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नए साल में मिलेगी करोड़ों की सौगात, नई योजनाओं से बढ़ेगी राजधानी के अस्पतालों में सुविधाएं - MEDICAL NEWS

राजधानी के केजीएमयू, पीजीआई समेत सरकारी अस्पतालों में बढ़ेगी सुविधा.

सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर (Photo credit: ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 31, 2024, 9:06 PM IST

लखनऊ : चिकित्सा क्षेत्र में इस वर्ष कई महत्वाकांक्षी योजनाओं और संसाधनों की डोज ने मरीजों को राहत दिलाई है. कतार से मरीजों और तीमारदारों को निजात दिलाने के लिए आधार कार्ड स्कैन कर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाए जा रहे हैं, लेकिन कतार कम करने के लिए अभी और प्रयासों की जरूरत है. जांच में अभी मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. केजीएमयू में नए साल से ट्रॉमा-2 का निर्माण शुरू हो जाएगा. 8 मंजिला रैन बसेरा बनना शुरू हो जाएगा. यहीं नही लारी कार्डियोलॉजी का नया भवन शुरू होने से 92 नए बेड और दो कैथ लैब बढ़ जाएंगी. इसके अलावा पीजीआई में भी आठ नए विभाग शुरू होंगे.

केजीएमयू (Photo credit: ETV Bharat)

लारी के नए भवन की उम्मीदें :केजीएमयू के लारी कार्डियोलॉजी में न केवल देश के विभिन्न अंचलों से हार्ट के रोगी पहुंचते हैं, बल्कि विदेश से भी रोगियों की बड़ी संख्या में आमद होती है. यहां रोज आने वाले मरीजों की संख्या करीब 1000 तक है. सीमित स्टॉफ और संसाधन होने के चलते सिर्फ 300 से 350 तक मरीज ही यहां पर देखे जा पाते हैं. जरूरत को देखते हुए शासन से इसके विस्तार की मांग की गई थी. मंजूरी मिलने के बाद वर्ष 2017 में नई इमारत का निर्माण शुरू करवाया गया. करीब 37 करोड़ की लागत से इस इमारत को बनाकर तैयार किया गया है. इस साल इसकी शुरुआत होने के आसार हैं. इसके शुरू होने से लारी में 92 बेड और दो कैथ लैब और बढ़ जाएंगी जिससे मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी. केजीएमयू कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने कहा कि आगामी वर्ष में हमारे यहां दो बड़े कम होने जा रहे हैं. लारी कार्डियोलॉजी-2 बनकर तैयार है और दूसरा ट्रामा सेंटर-2 बनके तैयार है, जिसका उद्घाटन वर्ष 2025 में होगा.

इस साल केजीएमयू में मिला मरीजों को स्वास्थ्य लाभ
ओपीडी 19 लाख
भर्ती 1.50 लाख
माइनर और मेजर ऑपरेशन 1 लाख
सरकारी योजनाओं के मरीज 30 हजार
शोध के लिए मिली ग्रांट 22 करोड़
कर्मचारियों का प्रमोशन 470
उपकरण खरीद के लिए मिले 300 करोड़
संस्थान के विस्तार के लिए मिली जमीन साढ़े 6 एकड़

ट्रॉमा सेंटर का हो रहा विस्तार :केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर का भी विस्तार नए साल में पूरा होने की उम्मीद है. ट्रॉमा सेंटर-2 के लिए बजट जारी हो चुका है, यह 500 बेड का होगा. इससे मरीजों को राहत मिलेगी. बच्चों का ट्रॉमा और इमरजेंसी वार्ड अलग होगा. इसके अलावा आठ मंजिल का नया रैन बसेरा भी बनेगा. साथ ही बोन व स्किन बैंक की भी शुरुआत होगी. इसके अलावा केजीएमू में डेढ़ साल बाद किडनी ट्रांसप्लांट फिर से शुरू हो गया. इसके अलावा बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी शुरू होगा.




सात परियोजनाओं को लगेंगे पंख :पीजीआई बच्चों की बीमारियों से जुड़े इलाज का प्रदेश का पहला हब बनेगा. नए साल पर पीजीआई में 1147 करोड़ रुपये की सात परियोजनाएं शुरू होंगी. एडवांस पीडियाट्रिक सेंटर में बच्चे के दिल की बीमारी से किडनी, दिमाग व लिवर आदि बीमारी का बेहतर इलाज मिलेगा. पीडियाट्रिक सेंटर में 200 से अधिक बेड होंगे, जहां जन्मजात दिल की बीमारी से पीड़ित बच्चों को इलाज मिलेगा. 1000 बेड का रैन बसेरा भी बनेगा.

अस्पतालों में शुरू होगी या सुविधा
- बलरामपुर व लोकबंधु अस्पताल में एमआरआई मशीन लगेगी.
- बलरामपुर में मॉड्यूलर नेत्र ओटी में होंगे ऑपरेशन.
- पांच नई डायलिसिस मशीन बढ़ेंगी.
- बेरा जांच सुविधा की सुविधा शुरू होगी.
- लोकबंधु अस्पताल में शुरू होगी डायलिसिस.
- ठाकुरगंज संयुक्त चिकित्सालय, बीआरडी महानगर, रानी लक्ष्मीबाई संयुक्त चिकित्सालय और रामसागर मिश्रा अस्पताल में पांच-पांच बेड के आईसीयू शुरू होंगे.
- सीएमओ के अधीन काकोरी व गोसाईंगंज में मदर एंड चाइल्ड विंग शुरू हो जाएंगी. यूनिट में जच्चा-बच्चा के इलाज को सुविधा मिलेगी.

आठ नए विभाग होंगे शुरू :नए साल में एसजीपीजीआई में आठ नए विभाग शुरू होंगे. इसमें चार विभाग बच्चों की बीमारियों से जुड़े होंगे. निदेशक आरके धीमान ने बताया कि इनमें पीडियाट्रिक के एंडोक्राइनोलॉजी, यूरोलॉजी विभाग व नेफ्रोलॉजी, सलोनी हार्ट सेंटर (एसएचसीईसीएचआर) के तहत कार्डियो वैस्कुलर और थोरैसिक सर्जरी, टेली आईसीयू, सिर और गर्दन सर्जरी विभाग, संक्रामक रोग और ऑर्थोपेडिक विभाग शामिल हैं. इसके साथ ही 15 विभागों में 87 पदों पर भर्तियां होंगी. इसका विज्ञापन जारी किया जा चुका है.

एसजीपीजीआई (Photo credit: ETV Bharat)

एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में आर्थोपेडिक्स विभाग में हाई डिपेंडेंसी यूनिट (एचडीयू) की शुरुआत की गई है. ऐसे में पीजीआई के ट्रॉमा सेंटर में आने वाले हड्डी के गंभीर मरीजों को आईसीयू की वेटिंग की वजह से ज्यादा समस्या नहीं होगी और एक छत के नीचे ही उन्हें भर्ती कर बेहतर इलाज मुहैया कराया जाएगा. अभी तक हड्डी के गंभीर मरीजों को ट्रॉमा के आईसीयू में बेड न मिलने की समस्या झेलनी पड़ती थी. इसके अलावा टेली-आईसीयू परियोजना और एडवांस डायबिटिक सेंटर, सलोनी हार्ट सेंटर का पहला फेज, इमरजेंसी मेडिसिन एंड रीनल ट्रांसप्लांट (ईएमआरटीसी) इसके अलावा इस साल ओपीडी में 1.16 लाख मरीज देखे गए. 48 हजार भर्ती हुए. 114 किडनी ट्रांसप्लांट और 14 हजार से अधिक ऑपरेशन हुए.


राम मनोहर लोहिया संस्थान (Photo credit: ETV Bharat)

लोहिया में नए साल से रोबोटिक सर्जरी की सुविधा :डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्वेद संस्थान के विस्तार में एक हजार बेड और जुड़ेंगे. शासन से मंजूरी के बाद काम शुरू हो जाएगा. इसके साथ ही न्यूरो साइंस सेंटर और रोबोटिक सर्जरी की भी सुविधा शुरू की जाएगी. लोहिया की ओपीडी में साल भर में डेढ़ लाख से अधिक मरीज देखे गए. 23 हजार सरकारी योजनाओं के मरीजों को चिकित्सीय सुविधा प्रदान की गई. इसके अलावा 200 से ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट हुईं.

लोकबंधु व ठाकुरगंज अस्पताल में लगेगी मशीन :नए साल में लोकबंधु और ठाकुरगंज टीबी संयुक्त अस्पताल में लेप्रोस्कोपी मशीन लगेगी. मरीजों का दूरबीन विधि से महीन चीरे से ऑपरेशन हो सकेगा. खरीद प्रक्रिया चल रही है. वर्ष 2024 में सिविल अस्पताल में ईको जांच शुरू हो गई है. दो साल बाद भी अस्पताल के विस्तार की फाइल शासन में ही अटकी रह गई. सरकारी अस्पतालों में मेडिकल अफसर लेवल-1 के 136 पद हैं, लेकिन सिर्फ 60 फीसदी बढ़े हैं. सीएमओ डॉ. एनबी सिंह की ओर से शासन को रिपोर्ट भेजी गई है, जिसमें मेडिकल अफसर लेवल-4 की 35 सीटें हैं, लेकिन सिर्फ 15 डॉक्टर नियुक्त हैं.


मोतियाबिंद ऑपरेशन का लक्ष्य बढ़ा :एनएचएम ने अंधता निवारण के तहत पिछले साल 57 हजार मरीजों के मोतियाबिंद ऑपरेशन का लक्ष्य रखा था. इसमें सरकारी व निजी केंद्र भी शामिल रहे. डॉक्टरों ने तय लक्ष्य के सापेक्ष 61,161 ऑपरेशन किए. वहीं चक गजरिया स्थित कल्याण सिंह कैंसर संस्थान नए साल में 535 बढ़ेंगे. भवन बनकर तैयार हो चुका है. वर्तमान में अभी 300 बेड पर भर्ती हो रही.

सीएमओ डॉ. एनबी सिंह ने बताया कि अब एनएचएम इस साल ऑपरेशन का लक्ष्य बढ़ाकर 87 हजार कर दिया है, वहीं बड़े सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों को साल भर में 700 ऑपरेशन करने का लक्ष्य मिला है. 50-100 बेड व सीएचसी पर कार्यरत नेत्र रोग विशेषज्ञों का लक्ष्य आबादी के अनुपात में तय किया जा रहा है.

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