लखनऊ : मौजूदा समय में छोटे-छोटे बच्चों को भी मोटे ग्लास वाले चश्मे लग रहे हैं. इसकी काफी वजहें हैं. लेजर तकनीक से बिना दर्द के सिर्फ 15 से 20 मिनट के अंदर ही लोगों का चश्मा उतर जाता है. आज के समय में यह तकनीक सभी मेडिकल संस्थानों में होनी चाहिए, लेकिन, ऐसा है नहीं. विशेषज्ञों के मुताबिक लेजर ट्रीटमेंट करने से पहले अपने एक्सपर्ट से यह जरूर पूछना चाहिए कि क्या उनकी आंखें पूरी तरीके से ठीक है?, लेजर ट्रीटमेंट करने लायक है या नहीं?.
केजीएमयू के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण कुमार शर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि कभी भी आंखों का ट्रीटमेंट किसी भी ऐसी-वैसी जगह से नहीं कराना चाहिए. ओपीडी में बहुत सारे ऐसे मरीज आते हैं, जो अपना चश्मा हटवाना चाहते हैं. बहुत सारी ऐसी लड़कियां आती हैं. जिनकी शादी इस वजह से रुक जाती है. क्योंकि उसने चश्मा पहना होता है. इस तरह के बहुत मामले आते हैं. ऐसे में कुछ केसों में हम उनकी गंभीरता को समझते हुए एसजीपीजीआई के विशेषज्ञों से कोऑर्डिनेट करके ऐसे मरीजों का ट्रीटमेंट करवाते हैं. फिलहाल केजीएमयू में लेजर ट्रीटमेंट नहीं होता है क्योंकि इसकी मशीन उपलब्ध नहीं है.
केजीएमयू के नेतृत्व विभाग में इलाज कराने के लिए पहुंची स्वाति ने बताया कि चश्मे का पावर लगातार बढ़ रहा है. चाहे कितना भी हेल्दी खा लो लेकिन कुछ असर नहीं पड़ रहा है. हर महीने जब चश्मा टेस्ट करते हैं तो पावर बढ़ जाता है. डॉक्टर कहते हैं कि जो पावर हो उसके हिसाब से चश्मा लगाना चाहिए. ताकि और पावर कम न हो. लेकिन, लगातार चश्मे का पावर बढ़ाने से बहुत दिक्कत हो रही है, सिर में दर्द रहता है. किसी ने बताया था कि लेजर ट्रीटमेंट होता है. लेकिन, यहां पर वह ट्रीटमेंट नहीं हो रहा है. अब पीजीआई में इलाज करवाने के लिए जाएंगे.
आई लेजर ट्रीटमेंट योग्य है या नहीं, यह जानना जरूरी : नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण कुमार शर्मा ने कहा कि लेजर नेत्र ट्रीटमेंट एक चिकित्सा प्रक्रिया है. इसमें आंख की सतह को फिर से आकार देने के लिए लेजर का उपयोग किया जाता है. यह निकट दृष्टि, दूर दृष्टि की समस्याओं को सुधारने या ठीक करने के लिए किया जाता है. यह प्रेसबायोपिया (बढ़ती उम्र के साथ पास से देखने में कठिनाई) पर काबू पाने में भी मददगार हो सकता है. इसके लिए जरूरी है कि आप सही जगह से यह ट्रीटमेंट लें. यह ट्रीटमेंट करने से पहले अपने विशेषज्ञ से यह जरूर जान लें कि क्या उनकी आंख या ट्रीटमेंट करने के लिए योग्य है या नहीं. यह जाहिर सी बात है कि केजीएमयू या किसी अन्य सरकारी मेडिकल संस्थान में इन सब ट्रीटमेंट का बहुत मामूली सा शुल्क लगता है जबकि यही ट्रीटमेंट अगर व्यक्ति किसी निजी अस्पताल में कराने जाए तो उसके लाखों रुपए लग सकते हैं. उन्होंने कहा कि सभी जनता से यही अपील करूंगा कि यह ट्रीटमेंट करने से पहले एक एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
पीजीआई को छोड़ कहीं भी नहीं होता यह ट्रीटमेंट : बता दें कि लोहिया संस्थान के प्रवक्ता डॉ. भुवन चंद्र तिवारी ने कहा कि लेजर ट्रीटमेंट अन्य किसी संस्थान में नहीं होता है. यह एक प्रकार की कॉस्मेटिक सर्जरी है इसका ट्रीटमेंट एसजीपीजीआई में होता है. वहीं, मरीजों का कहना है कि जिला अस्पतालों का भी यही हाल है. बेसिक इलाज तो हो जाता है, लेकिन, चश्मा हटाने के लिए ऐसा कोई भी लेजर ट्रीटमेंट नहीं होता है. जबकि देखा जाए तो यह एक बहुत ही मामूली ट्रीटमेंट है, जो की एक सरकारी संस्थान में होना चाहिए.
इन बातों का रखें ध्यान
- स्वस्थ रहने के लिए एक्सरसाइज और योग करें.
- बाहर से आकर आंखों को पानी से जरूर धोएं.
- बच्चों को स्क्रीन से दूर रखें.
- बच्चे लेटकर या अधिक नजदीक से पढ़ाई न करें.
- नट्स और बीन्स इत्यादि जरूर सेवन करें.
- पत्तेदार हरी सब्जियां खाएं.
- बीटा कैरोटीन के लिए शकरकंद खाएं.
- विटामिन-ए के लिए गाजर खाएं.
- विटामिन-सी के लिए खट्टे फल जरूर खाएं.
- विटामिन-ई के लिए एवोकाडो, बादाम और सूरजमुखी के बीज खाएं.
- बीन्स और जिंक फूड्स जरूर डाइट में शामिल करें.
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