जोधपुर: राजस्थान के जोधपुर में नेत्रदान की अलख जग रही है. हर तीसरे दिन एक दान हो रहा है. आईबैंक सोसाइटी आफ राजस्थान के जोधपुर चैप्टर के संयोजक राजेंद्र जैन की अगुवाई में इस वर्ष जनवरी से 16 जुलाई तक 81 लोगों के नेत्रदान हो चुके हैं. जैन बताते हैं कि नौ साल में अब तक कुल 1281 कॉर्निया हमने दान के रूप में प्राप्त कर आई बैंक को भेजे हैं, जो किसी न किसी के जीवन में रोशनी फैला रहे हैंं. वे बताते हैं कि आज भी हमारी सोसाइटी में इसको लेकर लोगों में भ्रम रहता है, जबकि नेत्रदान में आंख नहीं निकाली जाती है, सिर्फ कार्निया लिया जाता है. चेहरे पर कोई निशान नहीं होता है. इसको लेकर हम लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं.
जोधपुर में 190 लोगों को मिली रोशनी : संयोजक ने बताया कि कॉर्निया रिप्लसेमेंट के लिए केरोटोप्लास्टी की जाती हैं. जोधपुर एम्स में विगत करीब डेढ़ साल से डॉ. निखिल अग्रवाल यह काम बखूबी कर रहे हैंं. इस अवधि में हमने 190 कॉर्निया मंगवा कर उनको दिए जिनसे लोगों को रोशनी मिली है. उन्होंने बताया कि बाकी कॉर्निया जयपुर से राज्य के अन्य अस्पतालों में मांग के अनुरूप जारी होते हैं. सरप्लस होने पर राज्य के बाहर भी भेेजे जाते हैं. जैन बताते हैं कि देश में जितनी संख्या में लोगों को कार्निया की जरूरत है, उतने उपलब्ध नहीं हैं. इसलिए इसके लिए लगातार जागरूकता की आवश्यकता है.
35 से 40 लाख लोगों को जरूरत : भारत में कॉर्नियल ब्लाइंडनेंस लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है, क्योंकि यहां दुनिया के 15.8 कॉर्नियल रोगों से पीड़ित हैं. इस मामले में सबसे आगे थाईलैंड, जहां यह 20 फीसदी है. ऐसे लोगों की आंखों की रोशनी वापस लाई जा सकती है, जिनकी भारत में संख्या 35 से 40 लाख है. हर साल में इसमें 25 से 30 हजार का इजाफा हो रहा है. इसके लिए केरोटोप्लास्टी के माध्यम से आंखों में नए कॉर्निया लगाए जाते हैं, लेकिन देश में मांग के अनुरूप कार्निया उपलब्ध नहीं होते हैं.
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