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दुधवा टाइगर रिजर्व में खिला अनोखा फूल, विश्व में युलोफ़िया ओबटुसा' ऑर्किड के बचे हैं 30-40 पौधे - Dudhwa Tiger Reserve

दुधवा टाइगर रिजर्व युलोफ़िया ओबटुसा' नाम का ऑर्किड पाया गया है. जो विश्व में बहुत कम पाया जाता है. यह आर्किड 7 साल पहले बांग्लादेश में पाया गया था.

दुधवा में मिला आर्किड.
दुधवा में मिला आर्किड. (Photo Credit; X)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 6, 2024, 8:41 PM IST

लखमीपुर खीरीःदुधवा टाइगर रिजर्व बाघों और एकसिंघी गैंडों के लिए तो मशहूर है ही साथ ही अपनी जैव विविधता के लिए भी जाना जाता है. अब प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) ने जिस रेयर आर्किड को हाल ही में विलुप्तप्राय श्रेणी में दर्ज किया था. वह दुर्लभ आर्किड दुधवा टाइगर रिजर्व में मिला है. इसके पहले 2017 में ये ऑर्किड बांग्लादेश में पाया गया था. दुधवा के उपनिदेशक रंगाराजू टी. ने जमीन में पाए जाने वाले 'युलोफ़िया ओबटुसा' नाम का ऑर्किड की तस्वीर अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट किया है. इसके साथ लिखा है कि 'युलोफ़िया ओबटुसा' मानसून सीजन में खिलता है.ये ग्राउंड ऑर्किड विश्व में सिर्फ 30-40 ही बचे हैं. जिसमें एक दुधवा टाइगर में भी है. 'युलोफ़िया ऑर्किड' को हाल ही में आईयूसीएन ने विलुप्तप्राय श्रेणी की रेड लिस्ट में रखा है.

बता दें कि दुधवा टाइगर रिजर्व में 2020 में पहली बार युलोफ़िया को रिपोर्ट किया गया था. तब से इसको दुधवा में संरक्षित किया जा रहा है. युलोफ़िया के बीजों को भी संरक्षित किया जा रहा है. युलोिया मानसून में जुलाई अगस्त में दिखाई देता है. युलोफ़िया ओबटुसा ग्रासलैंड में पैदा होने वाला ग्राउंड ऑर्किड है, जो घास के बीच में ही होता है. एशिया में बांग्लादेश और नेपाल में इस ऑर्किड की प्रजाति रिकॉर्डेड है. 2017 में बांग्लादेश में बोटेनिस्ट एमडी शरीफ हुसैन सौरव ने 2017 में युलोफ़िया को बांग्लादेश में रिपोर्ट किया है.

आर्किड क्या है?

आर्किड पौधों का एक कुल है, जिसके सदस्यों के पुष्प अत्यंत सुंदर और सुगंधयुक्त होते हैं. आर्किडों ही पुष्प जगत में बड़ी प्रतिष्ठा है. क्योंकि इनके रंग रूप में विलक्षण और विचित्रता है. ऑर्किड बहुवर्षी बूटों का विशाल समुदाय है, जो प्राय: भूमि पर अथवा दूसरे पेड़ों पर उगते हैं. यह कुकुरमुत्ते के समान मृतभोजी जीवन बिताते हैं. मृतभोजी और्किडों में पर्णहरिम (क्लोरोफ़िल) नहीं होता. जो ऑर्किड वृक्षों पर होते हैं, उनमें बरोहियाँ (वायवीय जड़ें) होती हैं. जिनकी बाहरी पर्त में जलशोषक तंतु होते हैं.

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