कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव हो रहे है. राजनीतिक दलों द्वारा जनता से बड़े-बड़े वादे किए जा रहे हैं, लेकिन इस बीच लगातार बिगड़ता पर्यावरण संतुलन का मुद्दा चुनाव में गायब रहा. एक ओर जहां देशभर में गर्मी सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है. वहीं, खराब होता पर्यावरण संतुलन एक गंभीर मुद्दा बन गया है. हालांकि देशभर में चल रही चुनावी हवा के बीच ये मुद्दा नजर नहीं आ रहा है.
ढालपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान हिमालय नीति अभियान के राष्ट्रीय संयोजक गुमान सिंह ने कहा कि भारत में जहां पर्यावरण संतुलन लगातार बिगड़ता जा रहा है. वहीं, इस मसले पर देश का कोई भी राजनीतिक दल गंभीर नहीं है. लोकसभा चुनाव में विभिन्न दलों ने अपने प्रत्याशी तो खड़े किए गए, लेकिन चुनावी मुद्दे में कहीं भी पर्यावरण के मसले को ध्यान में नहीं रखा गया. जिसका खामियाजा आने वाले समय में जनता को भुगतना पड़ सकता है.
गुमान सिंह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में बीते साल प्राकृतिक आपदा के चलते सैकड़ों लोगों की जान चली गई. प्रदेश में हजारों करोड़ रुपए की संपत्ति नष्ट हो गई, लेकिन उसके बाद भी सरकार व राजनीतिक दल पर्यावरण के मसले को लेकर बिल्कुल भी गंभीर दिखाई नहीं दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को चाहिए कि वह हिमालय के विकास के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नीति तैयार करें, क्योंकि हिमालय में पर्यावरण संतुलन के बिगड़ने के चलते ग्लेशियर पिघल रहे हैं और आने वाले समय में लोगों को पेयजल संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है.
'बड़े निर्माण एवं परियोजनाओं पर रोक'
गुमान सिंह ने कहा कि हिमाचल के विकास के लिए जन सहभागिता के साथ पर्यावरण संरक्षण, टिकाऊ विकास, सम्मान जनक रोजगार और यहां की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रख कर नीति बनाई जानी चाहिए. इसके अलावा सभी तरह के ढांचागत निर्माण के लिए स्थानीय स्तर पर भौगोलिक व भूगर्भीय अध्ययन के अनुरूप नीति बनाई जाए और सभी बड़े निर्माण कार्यों व परियोजनाओं पर रोक लगाई जाए. उन्होंने कहा कि घरों और भवनों का निर्माण सुरक्षित स्थानों पर सुनिश्चित किया जाए. इसके साथ ही ऊंची बहुमंजिला इमारतों व विनाशकारी ढांचागत निर्माण पर पूरी तरह से रोक लगाई जानी चाहिए.
'प्लास्टिक व कचरा प्रबंधन के लिए ठोस नीति'