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श्री रेणुका जी जू में जल्द सुनाई देगी बाघों की दहाड़, इसी साल गूंजेगी शुभ खबर! - SRI RENUKA JI ZOO - SRI RENUKA JI ZOO

Sri Renukaji Mini Zoo is ready to welcome tigers: सिरमौर जिले का श्री रेणुका जी मिनी जू में बाघों के लिए बाड़े का निर्माण किया जा रहा है. साथ ही बाघ के जोड़े को लाने की तैयारी चल रही है. सेंट्रल जू ऑथोरिटी (सीजेडए) की अप्रूवल मिलते ही रेणुका जी मिनी जू बाघ के जोड़े को लाया जाएगा. उम्मीद जताई जा रही है कि इस साल चिड़ियाघर में बाघों को लाया जा सकता है.

श्री रेणुका जी जू में जल्द सुनाई देगी बाघों की दहाड़
श्री रेणुका जी जू में जल्द सुनाई देगी बाघों की दहाड़ (ETV Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 29, 2024, 7:38 AM IST

श्री रेणुका जी जू में जल्द सुनाई देगी बाघों की दहाड़ (ETV Bharat)

सिरमौर: 29 जुलाई को हर साल अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उदेश्य बाघों का संरक्षण करना है. देशभर में कई राज्यों में टाइगर सफारी, टाइगर रिजर्व और जू हैं, जहां बाघों की देखभाल की जाती है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के श्री रेणुका जी मिनी जू में भी इन दिनों बाघों का बेसब्री से इंतजार हो रहा है. श्री रेणुका जी मिनी जू में टाइगर का जोड़ा लाने के प्रयास लगातार किया जा रहा है. जू में नए मेहमानों को लाने की तैयारी चल रही है. अगर सब कुछ ठीक रहा, तो इसी साल रेणुका जी जू टाइगर की दहाड़ से गूंजता सुनाई देगा. उम्मीद है कि इसी साल यहां बाघों का जोड़ा लाया जा सकता है. बशर्त है कि समय रहते सेंट्रल जू ऑथोरिटी (सीजेडए) की अप्रूवल मिल जाए.

अंतिम चरण में एंक्लोजर का निर्माण कार्य
दरअसल रेणुका जी मिनी जू में टाइगर को लाने के लिए वन्य प्राणी विभाग कड़ी मशक्कत के साथ कार्य में जुटा हुआ है. इसके लिए दो राज्यों से बातचीत चल रही है. वहीं, मिनी जू में एंक्लोजर का निर्माण कार्य भी अंतिम चरण में है. बता दें कि कई सालों से लंबे यहां टाइगर के जोड़े को लाने के लिए वन्य प्राणी विभाग प्रयासरत है. यह योजना इस साल इस वजह से भी सिरे चढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि यहां टाइगर के लिए एंक्लोजर का निर्माण कार्य भी जारी है.

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से चल रही बातचीत
वन्य प्राणी विभाग शिमला के एसीएफ विनोद रांटा ने बताया कि रेणुका जी मिनी जू में टाइगर लाने के लिए मुहिम जारी है. जू में एंक्लोजर का निर्माण कार्य प्रगति पर है. नाइट शैडस का कार्य बचा है, जिसे भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा. टाइगर को लाने के लिए मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र दो जगहों से बातचीत चल रही है. सीजेडए की प्रोटोकॉल, कंडीशन और रुट के अनुसार ही यहां टाइगर लाए जाएंगे.

₹1.67 करोड़ का है यह प्रोजेक्ट
एसीएफ विनोद रांटा ने बताया कि रेणुका जी मिनी जू में ₹1.67 करोड़ की लागत से वातानुकूलित और आधुनिक तकनीक से एंक्लोजर बनाया जा रहा है. इसमें टाइगर के रहने, खाने एवं अन्य व्यवस्थाओं का खास ध्यान रखा गया है. प्रदेश सरकार के इस प्रोजेक्ट को अमली जामा पहनाने के लिए वन्य प्राणी विभाग तीव्र गति से कार्य कर रहा है.

सीजेडए की अप्रूवल के बाद लाने की प्रक्रिया होगी शुरू
एसीएफ विनोद रांटा ने बताया कि मिनी जू में टाइगर का जोड़ा केंद्रीय जू प्राधिकरण (सीजेडए) की टर्म एंड कंडीशन, प्रोटाेकॉल व गाइडलाइन के अनुसार ही लाया जाएगा. वन्य प्राणी विभाग को जैसे ही सीजेडए की अप्रूवल मिलेगी, तो यहां पर टाइगर का जोड़ा लाया जाएगा. यदि सब कुछ ठीक रहा तो इस वर्ष टाइगर का जोड़ा लाया जा सकता है.

कभी 29 शेरों की दहाड़ से गूंजती थी लाॅयन सफारी
रेणुका जी मिनी जू में लॉयन कभी 29 शेरों की दहाड़ से गूंजती थी. लॉयन सफारी में वर्ष 1975 में राजस्थान के जूनागढ़ से एक जोड़ी शेरों की लाई गई थी. इसके बाद में रेणुका जी में 90 के दशक में इनकी संख्या 29 शेर-शेरनियां तक जा पहुंची थी. एक ही गोत्र से संवर्धन होने के कारण शेरों में बीमारी फैल गई. धीरे-धीरे यहां शेर मौत के मुंह में चले गए. हालत यह रही कि रेणुका लॉयन सफारी से शेर कांगड़ा जिला के गोपालपुर में स्थित जू में भी शेर भेजे गए, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. बताया जा रहा है कि 2015 से यहां इनका वंश खत्म हो गया. इसके बाद न तो यहां दोबारा से शेरों को लाया जा सका और न ही यहां अब तक टाइगर का जोड़ा पहुंचा. इस कारण वीरान पड़ी लॉयन सफारी से पर्यटक खाली पिंजरों को निहार कर निराश होकर लौट जाते है.

फिलहाल मिनी जू में ये वन्य प्राणी मौजूद
वर्तमान में रेणुका जी मिनी जू में 4 तेंदुए, 1 नर हिमालयन काला भालू के अलावा काले हिरण सहित कक्कड़ चीतल, हॉग डियर, बारहसिंगा, इंडियन गीस, लाल जंगली मुर्गे और ईमू मौजूद है. ऐसे में मिनी जू को टाइगर के रूप में नए मेहमानों का इंतजार है. इनके पहुंचने से निसंदेह मिनी जू की एक बार फिर वह रौनक लौट जाएगी, जो कभी शेर की दहाड़ से यहां हुआ करती थी.

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