सिरमौर: 29 जुलाई को हर साल अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उदेश्य बाघों का संरक्षण करना है. देशभर में कई राज्यों में टाइगर सफारी, टाइगर रिजर्व और जू हैं, जहां बाघों की देखभाल की जाती है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के श्री रेणुका जी मिनी जू में भी इन दिनों बाघों का बेसब्री से इंतजार हो रहा है. श्री रेणुका जी मिनी जू में टाइगर का जोड़ा लाने के प्रयास लगातार किया जा रहा है. जू में नए मेहमानों को लाने की तैयारी चल रही है. अगर सब कुछ ठीक रहा, तो इसी साल रेणुका जी जू टाइगर की दहाड़ से गूंजता सुनाई देगा. उम्मीद है कि इसी साल यहां बाघों का जोड़ा लाया जा सकता है. बशर्त है कि समय रहते सेंट्रल जू ऑथोरिटी (सीजेडए) की अप्रूवल मिल जाए.
अंतिम चरण में एंक्लोजर का निर्माण कार्य
दरअसल रेणुका जी मिनी जू में टाइगर को लाने के लिए वन्य प्राणी विभाग कड़ी मशक्कत के साथ कार्य में जुटा हुआ है. इसके लिए दो राज्यों से बातचीत चल रही है. वहीं, मिनी जू में एंक्लोजर का निर्माण कार्य भी अंतिम चरण में है. बता दें कि कई सालों से लंबे यहां टाइगर के जोड़े को लाने के लिए वन्य प्राणी विभाग प्रयासरत है. यह योजना इस साल इस वजह से भी सिरे चढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि यहां टाइगर के लिए एंक्लोजर का निर्माण कार्य भी जारी है.
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से चल रही बातचीत
वन्य प्राणी विभाग शिमला के एसीएफ विनोद रांटा ने बताया कि रेणुका जी मिनी जू में टाइगर लाने के लिए मुहिम जारी है. जू में एंक्लोजर का निर्माण कार्य प्रगति पर है. नाइट शैडस का कार्य बचा है, जिसे भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा. टाइगर को लाने के लिए मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र दो जगहों से बातचीत चल रही है. सीजेडए की प्रोटोकॉल, कंडीशन और रुट के अनुसार ही यहां टाइगर लाए जाएंगे.
₹1.67 करोड़ का है यह प्रोजेक्ट
एसीएफ विनोद रांटा ने बताया कि रेणुका जी मिनी जू में ₹1.67 करोड़ की लागत से वातानुकूलित और आधुनिक तकनीक से एंक्लोजर बनाया जा रहा है. इसमें टाइगर के रहने, खाने एवं अन्य व्यवस्थाओं का खास ध्यान रखा गया है. प्रदेश सरकार के इस प्रोजेक्ट को अमली जामा पहनाने के लिए वन्य प्राणी विभाग तीव्र गति से कार्य कर रहा है.