चंडीगढ़ :बिजली विभाग के निजीकरण को लेकर यूटी पावर मैन यूनियन ने सेक्टर 17 के बिजली विभाग के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. उनका आरोप था कि चंडीगढ़ में अफसर नियमों की लगातार धज्जियां उड़ा रहे हैं. प्रॉफिट में चल रहे विभाग को कोलकाता की प्राइवेट कंपनी को सौंपा जा रहा है. इसके साथ ही बिडिंग प्रोसेस करने से पहले ट्रांसफर पॉलिसी तक नहीं बनाई गई है. बड़े स्तर पर धांधली की जा रही है. अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष का कहना कि 13 दिसंबर के बाद काम छोड़ो आंदोलन शुरू होगा.
सीपीडीएल का गठन :आपको बता दें कि पिछले दिनों चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से मीटिंग की गई थी जहां बिजली क्षेत्र में प्रमुख संरचनात्मक सुधारों के हिस्से के रूप में बिजली वितरण के निजीकरण की परिकल्पना की गई. वहीं चंडीगढ़ में अब निजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी के बाद, ‘चंडीगढ़ पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड’ (CPDL) का गठन किया गया है. निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए, चंडीगढ़ प्रशासन ने सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को आशय पत्र (LoI) भी जारी कर दिया है.
"शिकायतों का हो समाधान" :वहीं दूसरी ओर यूटी पावर मैन यूनियन और फेडरेशन ऑफ सेक्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन की याचिकाओं का निपटारा करते हुए उच्च न्यायालय ने इस तर्क को खारिज कर दिया था कि बिजली वितरण का निजीकरण करने की नीति केंद्र शासित प्रदेश के विद्युत अधिनियम, 2003 का उल्लंघन करती है. 2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने यूटी पावर मैन यूनियन चंडीगढ़ (रजिस्टर्ड) की विशेष अनुमति याचिका को खारिज करने के बाद यूटी चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया की अध्यक्षता में एक बैठक हुई जिसमें उन्होंने निर्देश दिए कि कर्मचारियों के सभी मौजूदा सेवा लाभों की रक्षा की जानी चाहिए और यूटी पावर मैन यूनियन की शिकायतों का व्यापक रूप से समाधान किया जाना चाहिए.
कर्मचारियों ने किया जोरदार विरोध :चंडीगढ़ में बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध में यूटी पावर मैन यूनियन ने सेक्टर 17 बिजली विभाग के कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया जिसमें यूटी पावर मैन यूनियन के महासचिव गोपाल दत्त जोशी ने चंडीगढ़ विभाग के अफसरों पर बड़ी धांधली का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि बिडिंग प्रोसेस करने से पहले अफसरों ने ट्रांसफर पॉलिसी क्यों नहीं बनाई. वहीं अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि उत्तर प्रदेश के आगरा और वाराणसी में भी चंडीगढ़ की तरह बिजली विभाग को प्राइवेट हाथों में सौंपा गया है जिसके विरोध में भी उनका प्रदर्शन चल रहा है. निजीकरण से बिजली के दाम बढ़ेंगे और उपभोक्ताओं को भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा.