कोरबा :छत्तीसगढ़ के सबसे ज्यादा बिजली उत्पादन करने वाले पावर प्लांट एचटीपीपी में कोल संकट गहरा गया है.कोल की आपूर्ति नहीं होने पर बिजली उत्पादन में फर्क पड़ सकता है.पवार प्लांट के अधिकारियों के मुताबिक एसईसीएल से कोल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है.जिसके कारण प्लांट में बिजली उत्पादन के लिए पर्याप्त कोल स्टाक नहीं है. वहीं एसईसीएल की माने तो नियमित तौर पर पावर प्लांट को कोल सप्लाई की जा रही है.
1340 मेगावाट है कुल उत्पादन क्षमता :छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के दर्री पश्चिम स्थित एचटीपीपी संयंत्र में 210×4 व 500 मेगावाट की एक इकाई से बिजली उत्पादन किया जाता है. जिसकी कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 1340 मेगावाट है. यहां एसईसीएल कुसमुंडा खदान से कोयला की आपूर्ति होती है. कोयला सप्लाई के लिए संयंत्र तक कन्वेयर बेल्ट बिछाई गई है. कम कोयला स्टॉक के बावजूद संयंत्र से डिमांड पूरा करने के लिए एक हजार मेगावाट से अधिक बिजली का उत्पादन हो रहा है. एक दिन पहले संयंत्र से पिक लोड ऑवर में 1032 मेगावाट बिजली का उत्पादन हुआ था.
प्लांट में कितना कोयला की जरूरत :संयंत्र को रोजाना बिजली उत्पादन के लिए लगभग 22 हजार टन कोयला की जरुरत है. वर्तमान में संयंत्र में लगभग 80 हजार टन कोल स्टॉक मौजूद है. जिससे चार दिनों तक बिजली का उत्पादन किया जा सकता है.जबकि निर्धारित मापदंडों के मुताबिक प्लांट में 15 दिनों का कोल स्टाक रहना चाहिए. एसईसीएल कुसमुंडा खदान से खपत से भी कम कोल मिलने के कारण स्टॉक तेजी से घटा है.पिछले दो तीन दिन से 22 हजार रोजाना खपत के मुकाबले संयंत्र में 25 हजार टन कोयले की रोज आपूर्ति की जा रही है. जिससे स्टॉक के जल्द सुधरने के आसार हैं.
गर्मियों में डिमांड के भी टूट रहे रिकॉर्ड :भीषण गर्मी के मौसम में प्रदेश में पीक लोड ऑवर के दौरान बिजली की डिमांड 5151 मेगावाट तक चली गयी है.
30 मई की दोपहर बिजली की डिमांड 5000 मेगावाट को पार कर गई है. जबकि छत्तीसगढ़ के बिजली संयंत्रों से कुल मिलाकर 2576 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है. छत्तीसगढ़ की जरूरत पूरी करने के लिए शेष 2584 मेगावाट बिजली सेंट्रल पूल से ली गई है. इसके बाद ही प्रदेश में बिजली डिमांड को पूरा किया जा रहा है.