जयपुर.छोटी काशी में दो ऐसे शिवालय हैं, जहां सावन के महीने में भी भक्त अपने भगवान के दीदार नहीं कर पाते. सुनकर हैरानी होगी, लेकिन ये सच है. भोलेनाथ के ये दोनों ही मंदिर भक्तों के लिए साल में महज एक या दो बार खुलते हैं. इनमें से एक है शंकरगढ़ (मोती डूंगरी) पर मौजूद एकलिंगेश्वर महादेव और दूसरे हैं सिटी पैलेस में मौजूद राजराजेश्वर. आखिर क्या वजह है कि सावन में भी भक्त अपने भगवान को जल तक अर्पित नहीं कर पाते.
सावन का पवित्र महीना चल रहा है जिसमें भगवान भोलेनाथ की आराधना करने के लिए राजधानी के कोने-कोने में बने छोटे-बड़े सभी शिव मंदिरों में भक्त अपने भगवान को रिझाने के लिए पहुंच रहे हैं. श्रद्धालु सुबह से ही मंदिरों के बाहर जुटना शुरू हो जाते हैं और भगवान का दुग्धाभिषेक-जलाभिषेक करते हैं. लेकिन जयपुर में ही दो प्राचीन मंदिरों में न तो भक्त पहुंच पाते हैं और न ही वहां सावन के महीने को देखते हुए कोई विशेष आयोजन होते हैं. यही नहीं इन मंदिरों में भगवान के दर्शन तक के लिए भक्तों को एक साल का लंबा इंतजार करना पड़ता है. छोटीकाशी के मोती डूंगरी (शंकरगढ़) पर स्थित एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर और सिटी पैलेस में मौजूद राजराजेश्वर मंदिर ऐसे शिवालय हैं.
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एकलिंगेश्वर महादेव : साल में सिर्फ एक बार शिवरात्रि के दिन भक्तों के लिए खुलने वाले एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर के खुलने का इंतजार सभी शिव भक्तों को रहता है. महाशिवरात्रि के दिन यहां देर रात से भक्तों की लम्बी कतार लग जाती है. भक्तों को इस मंदिर तक पहुंचने के लिए एक किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है. इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत के अनुसार ये मंदिर सवाई जयसिंह के समय का है. इस शिवलिंग को विधिवत तरीके से प्राण प्रतिष्ठित किया गया था. भगवान शिव के नाम पर ही इसे शंकरगढ़ नाम दिया. बाद में सवाई जयसिंह के छोटे बेटे माधो सिंह ने अपने ननिहाल उदयपुर की तर्ज पर यहां भी एकलिंगेश्वर महादेव होने की इच्छा व्यक्त की थी, और फिर शंकरगढ़ का नाम ही एकलिंगेश्वर महादेव किया गया.
सावन में भी बंद रहता है ये शिव धाम (फाइल फोटो) इस मंदिर के साथ एक किवदंती भी जुड़ी हुई है. बताया जाता है कि जब एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना हुई थी उस समय यहां शिवलिंग के साथ पूरा शिव परिवार विराजित कराया गया था. लेकिन कुछ समय बाद मंदिर से शिव परिवार गायब हो गया. कुछ समय बाद फिर इस मंदिर में शिव परिवार को स्थापित किया गया, लेकिन फिर से यहां सभी मूर्तियां गायब हो गई. तभी से एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर को चमत्कारी मंदिर कहा जाने लगा और किसी अनहोनी के डर से फिर कभी भी यहां शिव परिवार की मूर्तियां नहीं लगाई गई.
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राजराजेश्वर मंदिर :जयपुर के राजाओं की ओर से निर्मित ये मंदिर सिर्फ शिवरात्रि और गोवर्धन पूजा के दिन खुलता है. सिटी पैलेस में मौजूद राजराजेश्वर मंदिर महाराजा रामसिंह का निजी मंदिर था. उन्होंने शिव के वैभवशाली स्वरूप की कल्पना करते हुए इस मंदिर को तैयार कराया था. यहां भगवान भोलेनाथ सोने का सिंहासन, सोने का मुकुट धारण किए गए हैं. वहीं नेपाल से मंगाया गया पक्षीराज का चित्र भी यहां मौजूद है. इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत ने बताया कि यहां भगवान शिव का भूतेश्वर स्वरूप के बजाय राजेश्वर स्वरूप नजर आता है.
सावन के महीने में भी भक्तों के लिए नहीं खुलता छोटी काशी का ये प्राचीन शिवालय (फाइल फोटो) नियमित होती है पूजा : ये दोनों ही शिव मंदिर भले ही भक्तों के लिए इक्का-दुक्का दिन खुलते हैं, लेकिन पूजन नियमित होता है. जहां राजराजेश्वर मंदिर में सिटी पैलेस के ही धर्माधिकारी नियमित भगवान की सेवा करते हैं. इसी तरह एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर के लिए भी राज परिवार की ओर से ही पुजारी नियुक्त किया हुआ है. हालांकि महाशिवरात्रि के दिन विशेष चार पहर की पूजा होती है.