भोपाल। ईद-उल-फितर मुस्लिम समुदाय का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है. रमजान के पाक महीने यानि जैसे ही रोजा खत्म होता है, दुनिया भर के मुस्लिम लोगईद-उल-फितर को मनाते हैं. इसे मीठी ईद भी कहते हैं. यानि की हिजरी के 10वें महीने शव्वाल के पहले तीन दिनों में यह मनाया जाता है. इस बार यह ईद 11 अप्रैल को मनाई जाएगी. बता दें एक रात पहले चांद देखे जाने के बाद दूसरे दिन ईद मनाई जाती है. ईद को लेकर देश और प्रदेश में तैयारियां हो चुकी है. वहीं मंगलवार को राजधानी भोपाल में खराब मौसम के चलते चांद नहीं दिखाई दिया. जिसके बाद अब ईद गुरुवार को मनाई जाएगी.
शहर काजी का ऐलान 11 अप्रैल को मनाई जाएगी ईद
मध्य प्रदेश में ईद-उल-फितर को लेकर जोर शोर से तैयारियां की गई है. राजधानी भोपाल में मंगलवार को चांद देखने की पूरी तैयारी की गई है, लेकिन खराब मौसम के चलते चांद नहीं दिखाई दिया. जिसके बाद भोपाल शहर के काजी सयैद मुस्ताक अली नदवी ने 11 अप्रैल को ईद मनाने का ऐलान किया है. वहीं मंगलवार को 29वां रोज पूरा किया गया. बता दें राजधानी भोपाल में ईद की पहली नमाज ईदगाह हिल्स पर अदा की जाएगी. इसके बाद ही अलग-अलग समय के अनुसार दूसरी जगहों पर नमाज अदा की जाएगी.
भोपाल की मस्जिदों में नमाज अदा का समय
- ईदगाह: सुबह 7ः15 बजे.
- जामा मस्जिद में 7.30 बजे.
- ताज-उल-मसाजिद : 7ः45 बजे.
- मोती मस्जिद में 8ः00 बजे.
- जामा मस्जिद एहले हदीस (कबाड़खाना) में 7.00 बजे
- सुन्नी जामा मस्जिद सक़लैनी अशोका गार्डन में पहली नमाज सुबह 7ः00 बजे और दूसरी नमाज 7ः45 होगी.
- नूरूल मसाजिद (माता मंदिर के पास) में 7ः30 बजे.
- मस्जिद आरिफ नगर में 8ः15 बजे.
- मस्जिद हबीबगंज में 7ः30 बजे.
बुरहानपुर, खंडवा और इंदौर में नमाज अदा का समय
पूरी हुई ईद की तैयारियां
वहीं बुरहानपुर की सभी मस्जिदों में भी अलग-अलग समय पर नमाज अदा की जाएगी. बुरहानपुर में 7:15, 7:30. 7:45 और 8 बजे सुन्नी जामा मस्जिद लालबाग और मला मस्जिद मोमिनपुरा में नमाज अदा की जाएगी. जबकि खंडवा जिले में मुख्य नमाज ईदगाह पर 9:45 बजे अदा की जाएगी. इसके अलावा शहर के 39 अलग मस्जिदों में अलग-अलग समय पर नमाज अदा होगी. वहीं इंदौर की जामा मस्जिद में 7:15 और मोती मस्जिद में 8 बजे नमाज अदा की जाएगी.
शहर काजी की अपील ईद का सदका जरुर निकालें
भोपाल के शहर काजी सैय्यद मुश्ताक अली नदवी ने ईटीवी भारत के जरिए प्रदेश वासियों को ईद की मुबारकबाद दी है. उन्होंने मुबारकबाद पेश करते हुए कहा कि 'मालिक का शुक्र अदा करें कि खुशियों की ईद आई. इसी तरह से ईद मिलती रहे. मालिक इंसानियत के लिए रहमत बरकत बनाए रखे. उन्होंने खास अपील की ईद के मौके पर हर रोज़ेदार को ईदगाह जाने से पहले सदका देने का ख्याल रहे, ताकि गरीब भी अपनी ईद बेहतर तरीके से मना सके.'
क्यों मनाते हैं ईद-उल-फितर
गौरतलब है कि ईद-उल-फितर पहली बार 2 हिजनी यानी 624 ईस्वी में मनाई गई थी. इसकी शुरुआत मक्का से पैगंबर के प्रवास के बाद मदीना में हुई थी. बताया जाता है कि पैंगबर हजरत मोहम्मद ने बद्र की लड़ाई में फतह हासिल की थी. मतलब इस महीने में मुसलमानों ने पहली युद्ध लड़ा था, जो सऊदी अरब के मदीना प्रांत के बद्र शहर में हुआ था. लिहाजा इस युद्ध को जंग-ए-बद्र भी कहा जाता है. इस युद्ध में फतह हासिल करने की खुशी में सभी ने मीठा खाकर जश्न मनाया था. तब से ही इस दिन को मीठी ईद या ईद-उल-फितर के रूप में मनाया जाता है.