कैमूर: देश की आजादी के 77 साल होने को है, पर कैमूर की पहाड़ी में स्थित कई गांव ऐसे है जहां आज तक शिक्षा की रौशनी नहीं पहुंची है. इसका जीता जागता उदाहरण जिगनी गांव है, जो चैनपुर प्रखंड के कैमूर पहाड़ी पर बसा है. जहां 60 घर की बस्ती है और 300 लोग रहते है. यहां आज भी मूल भूत सुविधाओं का अभाव है.
गांव में नहीं है कोई शिक्षित:गांव की कई पीढ़ियां गुजर गई पर शिक्षा नहीं ले पाई. कारण है कि गांव में स्कूल नहीं है. दूसरे गांव में स्कूल भी है तो पहाड़ी रास्ते और जंगल से जाना पड़ता है. जंगली जानवरों के डर से बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं. 15 किलोमीटर की दूरी पर मझिगवां में स्कूल बना हुआ है. गांव के बच्चे बताती है कि गांव से स्कूल 15 किलोमीटर दूरी पर है, वो भी जंगल के रास्ते से जाना पड़ता है, डर से स्कूल नहीं जाते है इस वजह से पूरे गांव में कोई पढ़ा-लिखा नहीं है. गांव में बच्चे जिसकी उम्र 12 से 13 है पर हिंदी वर्णमाला तक नहीं जानते हैं.
"स्कूल दूसरे गांव में पहाड़ी रास्ते से 15 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. जंगली जानवरों से डर लगता है इस लिए कोई पढ़ा लिखा नहीं है. सिर्फ एक श्याम शिक्षित है, जिसे विभाग केयर टेकर की नौकरी मिली है. उसने भी भभुआ में रह कर किसी तरह मैट्रिक पास की है."- विक्रम, ग्रामीण