रायपुर:छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ईडी ने गुरुवार को रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर अनिल टुटेजा को छत्तीसगढ़ में चल रहे शराब सिंडिकेट का "किंगपिन" बताया है. ईडी ने कहा है कि अनिल टुटेजा शराब स्कैम के किंगपिन हैं. इस घोटाले से 2100 करोड़ रुपये से अधिक की आपराधिक आय हुई है. ईडी ने दावा किया कि 'सिंडिकेट सक्रिय संचालन के लिए राज्य प्रशासन के प्रबंधन में उनकी प्रत्यक्ष भागीदारी के भी सबूत मिले हैं. मामले में अनवर ढेबर के साथ टुटेजा सक्रिय रूप से शामिल पाए गए हैं.
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: ED ने रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर अनिल टुटेजा को बताया स्कैम का किंगपिन - Chhattisgarh liquor scam
ईडी ने रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर अनिल टुटेजा को लेकर बड़ा खुलासा किया है. ईडी ने गुरुवार को कहा है कि टुटेजा छत्तीसगढ़ में चल रहे शराब घोटाले का "किंगपिन" हैं.
By ETV Bharat Chhattisgarh Team
Published : Apr 25, 2024, 10:46 PM IST
अनिल टुटेजा के खिलाफ पाए गए साक्ष्य: दरअसल, अनवर ढेबर रायपुर के मेयर ऐजाज ढेबर के बड़े भाई हैं. टुटेजा को पिछले हफ्ते रायपुर में ईडी ने गिरफ्तार किया था. वर्तमान में वह पांच दिन के लिए ईडी की हिरासत में हैं. 29 अप्रैल को टुटेजा को दोबारा कोर्ट में पेश किया जायेगा. ईडी ने दावा किया है कि उसने सबूत जुटाए हैं कि टुटेजा "आधिकारिक तौर पर उत्पाद शुल्क विभाग का हिस्सा नहीं था, फिर भी वह इस विभाग के संचालन में सक्रिय रूप से शामिल था. जांच के दौरान टुटेजा ने 14.41 करोड़ रुपये की प्राप्ति से संबंधित डिजिटल साक्ष्य भी पाए गए हैं. मामले में सह-अभियुक्त अरुणपति त्रिपाठी की छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक के रूप में नियुक्ति में भी उनकी भूमिका पाई गई है. टुटेजा के मिलीभगत की वजह से राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ है.
भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत आए सामने:हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आयकर विभाग की शिकायत पर अपनी पिछली एफआईआर को रद्द करने के बाद ईडी ने कथित शराब घोटाला मामले में एक नया मनी लॉन्ड्रिंग केस दर्ज किया था. शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया कि कोई अनुसूचित अपराध नहीं है और इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग का मामला नहीं बनता है. इस फैसले से ठीक पहले एजेंसी ने मामले में अपनी जांच की रिपोर्ट छत्तीसगढ़ ईओडब्ल्यू/एसीबी के साथ साझा किया था और एक आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की थी. पूरे मामले में ईडी का आरोप है कि छत्तीसगढ़ में बेची गई शराब की हर बोतल से अवैध रूप से पैसा इकट्ठा किया गया था. अनवर ढेबर के नेतृत्व वाले शराब सिंडिकेट ने दो हजार करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत सामने आए हैं.