रांची:जमीन घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने रिमांड पीटिशन में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. ईडी ने विशेष अदालत को बताया है कि मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए हेमंत सोरेन ने अपनी शक्तियों का प्रयोग कर सबूत में छेड़छाड़ किया.
पहले समन के बाद ही शुरू हो गया था साक्ष्यों में छेड़छाड़: एजेंसी ने कोर्ट में दिए रिमांड पिटीशन में यह बताया है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पहला समन आठ अगस्त 2023 को भेजा गया था, उन्हें इस समन पर 14 अगस्त को उपस्थित होना था. लेकिन इस केस से पीछा छुड़ाने के लिए और जमीन से अपना दावा खत्म करने के लिए राज कुमार पाहन नाम के व्यक्ति से 16 अगस्त 2023 को आवेदन दिलवाया गया. राज कुमार पाहन ने अपने आवेदन बड़गाईं सीओ के पास जमा किया, आवेदन में राम कुमार पाहन ने बताया कि कुछ लोगों ने अवैध तरीके से उनकी जमीन की जमाबंदी करा ली है, इसलिए इस मामले की जांच करते हुए मामले में त्वरित संज्ञान लिया जाय.
29 जनवरी को रद्द कर दी गई जमाबंदी:मामले में आगे की कार्रवाई करते हुए एसएआर कोर्ट के आदेश पर सीओ ने 29 जनवरी को जमीन की जमाबंदी रद्द करते हुए जमीन राजकुमार पाहन के नाम पर रिस्टोर कर दिया गया. जबकि 29 जनवरी को ही दिल्ली में हेमंत सोरेन के आवास पर ईडी की रेड भी चल रही थी. एजेंसी ने रिमांड पीटिशन में अदालत को बताया है कि एजेंसी की कार्रवाई से बचने के लिए हेमंत सोरेन ने गलत प्रक्रिया अपनायी और सबूतों को नष्ट करने की कोशिश की. अपने आप को बचाने के लिए ही पूर्व मुख्यमंत्री ने 8.50 एकड़ जमीन को असल मालिक राजकुमार पाहन को सौंपवाया.
जांच में सहयोग नही कर रहे हेमंत:एजेंसी ने अदालत को यह भी बताया है कि जमीन घोटाले की जांच में तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहयोग नहीं कर रहे हैं. उन्होंने 8.50 एकड़ जमीन से जुड़ी जांच को भी प्रभावित करने की कोशिश की है. ईडी ने दावा किया है कि एजेंसी को उनकी कई अन्य संपत्तियों की भी जानकारी मिली है. ईडी ने कोर्ट को बताया है कि इस मामले में कई अन्य लोगों को समन किया गया है, जिसके साथ आगे की पूछताछ में हेमंत सोरेन का आमना सामना कराया जाएगा.
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