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दिल्ली विश्वविद्यालय ने मेडिकल के छात्रों पर थीसिस जमा करने में देरी पर लगाया एक हजार रुपये प्रतिदिन का विलंब शुल्क, विरोध शुरू - late fee on medical students

Late fee on medical students: डीयू से मेडिकल कोर्स करने वाले छात्रों को बड़ा झटका लगा है. दरअसल विश्वविद्यालय ने मेडिकल कोर्सेज के छात्रों पर थीसिस जमा करने में देरी पर एक हजार रुपये प्रतिदन का विलंब शुल्क लगाया है. इसपर कई डॉक्टर एसोसिएशन ने विरोध जताया है.

late fee on medical students
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 1, 2024, 6:48 AM IST

नई दिल्ली:दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा मेडिकल कोर्सेज एमएस, एमडी, एमडीएस, डीएम और एमसीएच कोर्सेज में थीसिस के लेट सबमिशन पर एक हजार रुपये प्रतिदिन का विलंब शुल्क लगाया गया है. इसको लेकर कई डॉक्टर एसोसिएशन ने कड़ी आपत्ति जताई है. रेजिडेंट डॉक्टर्स की संस्था आरडीए एवं फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (फोर्डा) ने डीयू प्रशासन से इस बढ़े हुए विलंब शुल्क को तुरंत वापस लेने की मांग की है. साथ ही सोशल मीडिया पर भी रेजिडेंट डॉक्टर्स द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है.

दरअसल दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा 19 फरवरी को एक सर्कुलर जारी कर परीक्षा फीस, एग्जामिनर का पारिश्रमिक, प्रश्न पत्र बनाने का प्रति पेपर पारिश्रमिक, प्रश्न पत्र के मॉडरेटर व कोऑर्डिनेटर का प्रति पेपर पारिश्रमिक, छोटे पेपर के मूल्यांकन का प्रति पेपर पारिश्रमिक, प्रैक्टिकल एग्जाम और वाइवा एग्जाम कराने के लिए एग्जामिनर का पारिश्रमिक सहित ट्रैवलिंग एलाउंस व अन्य चीजों का शुल्क निर्धारित किया था. डीयू के डीन एग्जामिनेशन प्रोफेसर अजय कुमार अरोड़ा द्वारा जारी सर्कुलर में सभी तरह के शुल्क के तुरंत प्रभाव से लागू करने की बात कही गई थी. हालांकि, सर्कुलर जारी होने के तुरंत बाद, कुछ डॉक्टर संगठनों ने आपत्ति जताई थी. अब यह मामला तूल पकड़ने लगा है. सर्कुलर में एमडी, एमडीएस, डीएम और एमसीएच की थीसिस जमा करने की फीस 15 हजार रुपये निर्धारित की गई थी.

जुर्माना लगाना ठीक नहीं: मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज की रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अविरल माथुर ने बताया कि गाइड छात्रों को दो हफ्ते बाद तक की तारीख दे देते हैं. ऐसे मामलों में छात्रों को मोटी रकम लेट फीस के रूप में देनी पड़ेगी. कई छात्र डीआरपी में काम के लिए गए थे, उनकी थीसिस पूरी नहीं हुई है. अगर उन पर नियम लागू हुआ, तो उन्हें 30 हजार रुपये तक का शुल्क देना होगा. थीसिस की फीस बढ़ाना ठीक है, लेकिन जमा न करने पर जुर्माना लगाना ठीक नहीं है. पहले एक हफ्ते देरी पर एक हजार जुर्माना लगता था. यह ठीक था, लेकिन नया नियम फंड एकत्र करने के लिए लाई गई योजना लगता है. इससे डाक्टरों पर वित्तीय संकट बढ़ेगा. डॉक्टर पहले से ही कई चुनौतियों से जूझ रहे हैं. फेडरेशन आफ रेसिडेंस डॉक्टर एसोसिएशन भी इसके विरोध में है और अगर इसे वापस नहीं लिया गया तो कुलपति से मुलाकात कर इसका विरोध जताया जाएगा.

डीयू से करें संपर्क:वहीं डीयू के परीक्षा विभाग के ओएसडी प्रो. अजय अरोड़ा ने कहा कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य समय पर परिणाम निकालना है. मेडिकल के छात्र थीसिस जमा करने में देरी करते हैं और इससे परिणाम प्रभावित होते हैं. इसलिए यह निर्णय लिया गया है. निर्णय स्नातकोत्तर के छात्रों के लिए है और उन्हें मेहनताना मिलता है. वे जिम्मेदार छात्र हैं और ऐसे में उन्हें थीसिस समय पर जमा करनी चाहिए. अगर उनके गाइड देर कर रहे हैं तो उन्हें डीयू से संपर्क करना चाहिए. नियमों के साथ उनकी मदद की जाएगी और उनसे कोई लेट फीस नहीं ली जाएगी. उन्होंने कहा कि तकनीकी विभागों के छात्रों की परीक्षा फीस बढ़ाई गई है. डीयू स्नातक के छात्रों की फीस बढ़ाने पर भी विचार कर रहा है. जल्द इसपर निर्णय लिया जाएगा.

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29 फरवरी से बढ़ाकर 15 मार्च की गई तिथि:डीयू के चिकित्सा विज्ञान संकाय की ओर से थीसिस जमा करने की तिथि को 29 फरवरी से बढ़ाकर 15 मार्च कर दी गई है. संकाय की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि एमडी, एमएस, एमडीएस बैच 2021 के छात्रों के हित में तिथि को बढ़ा दिया है. विश्वविद्यालय ने संस्थान के प्रमुख की सिफारिश पर निर्णय लिया है. इससे आगे छात्रों को कोई राहत नहीं दी जाएगी.

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