कुल्लू:हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू में करीब तीन माह बीत जाने के बाद भी कुल्लू में मेघ नहीं बरसे हैं. बारिश हिमपात न होने के किसान बागवान चिंतित हो गए हैं. अगर आने वाले 10 दिनों में हिमपात और बारिश नहीं हुई तो सेब की फसल पर भारी नुकसान हो सकता है. जिला कुल्लू में 24919.50 हेक्टेयर भूमि पर होती है सेब की सामान्य किस्में और 2290.37 हेक्टेयर भूमि पर होती है सेब की स्पर किस्मों की पैदावार होती है. जिला कुल्लू में 15 जुलाई से सेब का तुड़ान शुरू होता है और 15 अक्टूबर तक चलता है. ऐसे में सेब की बेहतर फसल को लेकर हिमपात और बारिश के लिए किसान बागवान आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं. अब तो बागवानों को चिलिंग आवर्स पूरे होने का डर सताने लगा है.
कुल्लू जिले में हर साल सेब की पैदावार में बढ़ोतरी हो रही है. इस बार सेब के लिए जरूरी चिलिंग आवर्स पूरे न होने का डर सताने लगा है. हालांकि अभी तक चिलिंग आवर्स पूरे नहीं हुए हैं. सेब के लिए 1200 से 1400 घंटे का सात डिग्री सेल्सियस तापमान का होना जरूरी है. ऐसे में सेब का उत्पादन बेहतर और गुणवत्ता भी अच्छी होती है. कुछ स्पर वैरायटी के लिए 500 से 900 घंटे का चिलिंग आवर्स की आवश्यकता रहती है.
बारिश के लंबे इंतजार ने किसानों-बागवानों को चिंता में डाल दिया है. लंबे अंतराल से बारिश न होने से बगीचों और खेतों में कृषि-बागवानी के कार्यों पर ब्रेक लग गई है. सेब बगीचों और खेतों में सूखे के चलते नमी न के बराबर है. बागवान न तो नए पौधे लगाने के लिए गड्ढे बना पा रहे हैं और न ही गोबर, खाद डालने का काम कर सके हैं. ऐसे में बागवान चिंतित हैं कि कब बारिश होगी और कब बगीचों में अधूरे कार्यों को पूरा करेंगे. अक्टूबर से लेकर जनवरी तक इस बार मौसम की बेरुखी किसानों-बागवानों के गले नहीं उतर रही है.