पटना:फर्जी लाइसेंस को रोकने के लिए बिहार सरकार का परिवहन विभाग कड़ा कदम उठाने जा रहा है. पटना और औरंगाबाद की तर्ज पर अब पूर्णिया, भागलपुर, दरभंगा, सारण और गया में कैमरे और अत्याधुनिक तकनीक से लैस ट्रैक पर ड्राइविंग टेस्टलिया जाएगा. परिवहन विभाग के इस निर्णय का उद्देश्य सही लोगों को बिना किसी परेशानी के ड्राइविंग लाइसेंस बनाना है.
टेस्टिंग ट्रैक का ऑटोमेशन:परिवहन विभाग ने निर्णय लिया है कि इसके लिए पूर्व से बने टेस्टिंग ट्रैक का ऑटोमेशन होगा. यह कार्य परिवहन विभाग द्वारा मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के सीएसआर फंड से कराया जाएगा. इन जिलों में ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक का ऑटोमेशन के लिए मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड और परिवहन विभाग के बीच मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (एमओए) किया गया है.
सुरक्षित यातायात में मिलेगी मदद:परिवहन विभाग मंत्री शीला कुमारी ने कहा कि भारत की अग्रणी वाहन निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी की सड़क सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता और उनके राष्ट्रव्यापी कार्यक्रमों की मैं सराहना करती हूं. ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक के ऑटोमेशन किए जाने से न केवल सड़क पर कुशल और प्रशिक्षित ड्राइवरों को तैयार करने में सहायता मिलेगी, बल्कि दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी और सुरक्षित यातायात सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.
कैमरे की निगरानी में ड्राइविंग टेस्ट:परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि लाइसेंस जारी करने से पूर्व कैमरे की निगरानी में अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से ड्राइविंग का टेस्ट लिया जाएगा. टेस्ट में पास होने के बाद आवेदकों का लाइसेंस निर्गत किया जाएगा. सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक के ऑटोमेशन का निर्णय लिया गया है. इस प्रक्रिया के तहत कंप्यूटर प्रणाली से बिना मानव हस्तक्षेप स्वचालित रुप से टेस्टिंग का कार्य पूर्ण किया जाएगा.
"परिवहन विभाग एवं मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के बीच ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक के ओटोमेशन के लिए एमओए (समझौता ज्ञापन) हस्ताक्षर किया गया. इसके लिए 5 जिलों में मारुति सुजुकी द्वारा सीएसआर के तहत ट्रैक का ऑटोमेशन किया जायेगा. अब कैमरे और अत्याधुनिक तकनीक से लैस ट्रैक पर ड्राइविंग का टेस्ट होगा."- संजय कुमार अग्रवाल, सचिव, परिवहन विभाग
ड्राइविंग कुशलता का होगा सही मूल्यांकन:परिवहन सचिव ने बताया कि अत्याधुनिक तकनीक आधारित ड्राइविंग टेस्टिंग किए जाने से ड्राइविंग क्षमता का सही मूल्यांकन हो सकेगा और सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी. इसके माध्यम से ड्राइविंग टेस्ट प्रक्रिया में मानवीय हस्तक्षेप कम होगा, जिससे निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित हो सकेगी.