शिमला:हिमाचल कठिन भौगोलिक परिस्थितियों वाला राज्य है. यहां के कुछ क्षेत्र आज भी विकास की दौड़ में पीछे छूट गए हैं, कारण यहां की भौगोलिक परिस्थितियां हैं. हिमाचल का डोडरा क्वार भी अति दुर्गम इलाका है. जिसे हिमाचल का 'काला पानी' कहा जाता था. भले ही आज यहां कुछ भौतिक संसाधन उपलब्ध हुए हैं, लेकिन जीवन की दुश्वारियां कम नहीं हुई हैं. कहां है ये डोडरा क्वार और क्यों कहते हैं इसे काला पानी ?
डोडरा क्वार में पहली बार रुका कोई मुख्यमंत्री
दरअसल डोडरा क्वार की बात इसलिये हो रही है क्योंकि हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बीते रविवार को डोडरा क्वार पहुंचे थे. सीएम ने डोडरा क्वार को कई योजनाओं की सौगात भी दी थी. इस इलाके की दुर्गमता का आलम ये है कि पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद किसी भी मुख्यमंत्री ने डोडरा क्वार में रात्रि विश्राम नहीं किया था.सीएम सुक्खू यहां रात्रि विश्राम करने पहले सीएम बने हैं.
शिमला के पास लेकिन बहुत दूर, खुला पहला एटीएम
खास बात ये है कि डोडरा क्वार हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में है और राजधानी शिमला से इसकी दूरी 212 किलोमीटर है. शिमला से रोहड़ू तक 112 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद रोहड़ू डोडरा क्वार रोड पर लरोट गांव के बाद चांशल दर्रा आता है. ये सारा जंगली इलाका है और रिहायशी इलाका देखने को नहीं मिलता है. चांशल से लगभग 14 किलोमीटर दूर डोडरा में पहली इंसानी बस्ती देखने को मिलती है. इसे डोडरा गांव कहते हैं.
इसके बाद गोसांगो में रुपन नदी को पार करने के बाद 13 किलोमीटर सफर तय कर क्वार मुख्यालय पहुंचते हैं. डोडरा क्वार रोहड़ू के छुआरा ब्लॉक में पड़ता है. डोडरा क्वार में पांच पंचायतें हैं. यहां की आबादी बहुत कम है. डोडरा क्वार में तीन सीनियर सेकेंडरी स्कूल (डोडरा, क्वार, जिस्कुन) आते हैं. यहां पर वन विभाग का एक कार्यालय, प्राइमरी स्कूल, क्वार में एक अस्पताल है. क्वार में एसडीएम, पीडब्ल्यूडी का डिवीजन ऑफिस है. आईपीएच का सब डिवीजन भी क्वार खोला गया था. इसके साथ ही यहां एक आईटीआई संस्थान भी है. साथ ही यहां एचपी को-ऑपरेटिव का एक बैंक भी है. चंद रोज पहले डोडरा क्वार में पहला एटीएम बूथ खोला गया है.
क्यों कहा जाता है काला पानी ?
लेखक रत्न चंद निर्झर लंबा समय डोडरा क्वार में बिता चुके हैं. उन्होंने बताया कि,'ये इलाका एकदम दुर्गम हैं. यहां खड़ी ढलानें हैं. बर्फबारी के दौरान इसका संपर्क पूरे प्रदेश से कट जाता है. बर्फबारी के दौरान डोडरा क्वार को आने जाने वाले सभी रास्ते बंद हो जाते हैं. कई फीट बर्फ के बीच पैदल चलना भी मुश्किल है. बर्फबारी के दौरान क्वार से गोसांगू आना पड़ेगा. जनता धार होकर कई किलोमीटर पैदल चलने के बाद उतराखंड के धौला स्थान पर पहुंचने के बाद छोटी गाड़ियां चलती हैं. फरवरी माह तक पीडब्ल्यूडी चांशल सड़क मार्ग को छोटे वाहनों के लिए मार्ग को बहाल करता है.'
क्वार से रोहड़ू के लिए चलती है एक बस
रत्न चंद निरझर के मुताबिक,'क्वार से रोहड़ू आने के लिए एचआरटीसी की सिर्फ एक बस है. क्वार से सुबह 8:30 बजे चलती है. दोपहर 3:30 बजे रोहड़ू पहुंचती है. यहां से शिमला पहुंचने के लिए दूसरी बस पकड़नी पड़ती है. बिना रुके शिमला तक पहुंचने के लिए 12 घंटे से अधिक का समय लग जाता है, लेकिन क्वार से रोहड़ू तक का सफर बहुत ही थका देने वाला है. क्वार से रोहड़ू तक का सफर करने के बाद लोग रोहड़ू में विश्राम कर अगले दिन शिमला या अन्य स्थानों के लिए यात्रा शुरू करते हैं. ऐसे में शिमला पहुंचने के लिए दो दिन लग जाते हैं. साथ ही क्वार से रोहड़ू आने पर रोहड़ू में रात्रि विश्राम करना पड़ता हैै. इसके बाद ही अगले दिन वापस क्वार पहुंचा जा सकता है.'
90 डिग्री ढलान पर है पंडार गांव
डोडरा क्वार में रेस्टोरेंट, ढाबे, दुकानें, होटल देखने को नहीं मिलते हैं. अब कुछ होटल और होम स्टे खुलना शुरू हुए हैं, लेकिन ये भी बर्फबारी के दौरान बंद हो जाते हैं. अब कुछ छुटपुट दुकानें डोडरा क्वार में देखने को मिल जाती हैं, लेकिन इनमें जरूरत का सामान कम ही मिलता है. जरूरी सामान, जैसे राशन, हार्डवेयर, सीमेंट, भवन निर्मान सामग्री के लिए 100 किलोमीटर दूर रोहड़ू या चिड़गांव ही आना पड़ता है. यहां से अतिरिक्त माल ढुलाई के कारण चीजें भी महंगी हो जाती हैं. यहां की जिस्कुन पंचायत का पंडार गांव 90 डिग्री ढलान पर बसा है. रुपिन नदी इसके नीचे बहती है. ये डोडरा क्वार का सबसे दूरस्थ गांव है.