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ये है हिमाचल का 'काला पानी' ? एक बार यहां पहुंच गए तो एक साल से पहले नहीं होती थी वापसी

डोडरा क्वार हिमाचल का अति दुर्गम इलाका है. यहां से शिमला तक पहुंचने के लिए दो दिन का समय लग जाता है.

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हिमाचल का डोडरा क्वार गांव (Etv Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 29, 2024, 4:15 PM IST

Updated : Nov 1, 2024, 3:33 PM IST

शिमला:हिमाचल कठिन भौगोलिक परिस्थितियों वाला राज्य है. यहां के कुछ क्षेत्र आज भी विकास की दौड़ में पीछे छूट गए हैं, कारण यहां की भौगोलिक परिस्थितियां हैं. हिमाचल का डोडरा क्वार भी अति दुर्गम इलाका है. जिसे हिमाचल का 'काला पानी' कहा जाता था. भले ही आज यहां कुछ भौतिक संसाधन उपलब्ध हुए हैं, लेकिन जीवन की दुश्वारियां कम नहीं हुई हैं. कहां है ये डोडरा क्वार और क्यों कहते हैं इसे काला पानी ?

डोडरा क्वार में पहली बार रुका कोई मुख्यमंत्री

दरअसल डोडरा क्वार की बात इसलिये हो रही है क्योंकि हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बीते रविवार को डोडरा क्वार पहुंचे थे. सीएम ने डोडरा क्वार को कई योजनाओं की सौगात भी दी थी. इस इलाके की दुर्गमता का आलम ये है कि पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद किसी भी मुख्यमंत्री ने डोडरा क्वार में रात्रि विश्राम नहीं किया था.सीएम सुक्खू यहां रात्रि विश्राम करने पहले सीएम बने हैं.

क्वार में पड़ी बर्फ (PC रत्न चंद निर्झर)

शिमला के पास लेकिन बहुत दूर, खुला पहला एटीएम

खास बात ये है कि डोडरा क्वार हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में है और राजधानी शिमला से इसकी दूरी 212 किलोमीटर है. शिमला से रोहड़ू तक 112 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद रोहड़ू डोडरा क्वार रोड पर लरोट गांव के बाद चांशल दर्रा आता है. ये सारा जंगली इलाका है और रिहायशी इलाका देखने को नहीं मिलता है. चांशल से लगभग 14 किलोमीटर दूर डोडरा में पहली इंसानी बस्ती देखने को मिलती है. इसे डोडरा गांव कहते हैं.

इसके बाद गोसांगो में रुपन नदी को पार करने के बाद 13 किलोमीटर सफर तय कर क्वार मुख्यालय पहुंचते हैं. डोडरा क्वार रोहड़ू के छुआरा ब्लॉक में पड़ता है. डोडरा क्वार में पांच पंचायतें हैं. यहां की आबादी बहुत कम है. डोडरा क्वार में तीन सीनियर सेकेंडरी स्कूल (डोडरा, क्वार, जिस्कुन) आते हैं. यहां पर वन विभाग का एक कार्यालय, प्राइमरी स्कूल, क्वार में एक अस्पताल है. क्वार में एसडीएम, पीडब्ल्यूडी का डिवीजन ऑफिस है. आईपीएच का सब डिवीजन भी क्वार खोला गया था. इसके साथ ही यहां एक आईटीआई संस्थान भी है. साथ ही यहां एचपी को-ऑपरेटिव का एक बैंक भी है. चंद रोज पहले डोडरा क्वार में पहला एटीएम बूथ खोला गया है.

डोडरा क्वार गांव में पानी ले जाते दो बच्चे (PC रत्न चंद निर्झर)

क्यों कहा जाता है काला पानी ?

लेखक रत्न चंद निर्झर लंबा समय डोडरा क्वार में बिता चुके हैं. उन्होंने बताया कि,'ये इलाका एकदम दुर्गम हैं. यहां खड़ी ढलानें हैं. बर्फबारी के दौरान इसका संपर्क पूरे प्रदेश से कट जाता है. बर्फबारी के दौरान डोडरा क्वार को आने जाने वाले सभी रास्ते बंद हो जाते हैं. कई फीट बर्फ के बीच पैदल चलना भी मुश्किल है. बर्फबारी के दौरान क्वार से गोसांगू आना पड़ेगा. जनता धार होकर कई किलोमीटर पैदल चलने के बाद उतराखंड के धौला स्थान पर पहुंचने के बाद छोटी गाड़ियां चलती हैं. फरवरी माह तक पीडब्ल्यूडी चांशल सड़क मार्ग को छोटे वाहनों के लिए मार्ग को बहाल करता है.'

खच्चरों पर सामान ले जाते लोग (PC रत्न चंद निर्झर)

क्वार से रोहड़ू के लिए चलती है एक बस

रत्न चंद निरझर के मुताबिक,'क्वार से रोहड़ू आने के लिए एचआरटीसी की सिर्फ एक बस है. क्वार से सुबह 8:30 बजे चलती है. दोपहर 3:30 बजे रोहड़ू पहुंचती है. यहां से शिमला पहुंचने के लिए दूसरी बस पकड़नी पड़ती है. बिना रुके शिमला तक पहुंचने के लिए 12 घंटे से अधिक का समय लग जाता है, लेकिन क्वार से रोहड़ू तक का सफर बहुत ही थका देने वाला है. क्वार से रोहड़ू तक का सफर करने के बाद लोग रोहड़ू में विश्राम कर अगले दिन शिमला या अन्य स्थानों के लिए यात्रा शुरू करते हैं. ऐसे में शिमला पहुंचने के लिए दो दिन लग जाते हैं. साथ ही क्वार से रोहड़ू आने पर रोहड़ू में रात्रि विश्राम करना पड़ता हैै. इसके बाद ही अगले दिन वापस क्वार पहुंचा जा सकता है.'

डोडरा क्वार में सफाई अभियान में भाग लेते लोग (PC रत्न चंद निर्झर)

90 डिग्री ढलान पर है पंडार गांव

डोडरा क्वार में रेस्टोरेंट, ढाबे, दुकानें, होटल देखने को नहीं मिलते हैं. अब कुछ होटल और होम स्टे खुलना शुरू हुए हैं, लेकिन ये भी बर्फबारी के दौरान बंद हो जाते हैं. अब कुछ छुटपुट दुकानें डोडरा क्वार में देखने को मिल जाती हैं, लेकिन इनमें जरूरत का सामान कम ही मिलता है. जरूरी सामान, जैसे राशन, हार्डवेयर, सीमेंट, भवन निर्मान सामग्री के लिए 100 किलोमीटर दूर रोहड़ू या चिड़गांव ही आना पड़ता है. यहां से अतिरिक्त माल ढुलाई के कारण चीजें भी महंगी हो जाती हैं. यहां की जिस्कुन पंचायत का पंडार गांव 90 डिग्री ढलान पर बसा है. रुपिन नदी इसके नीचे बहती है. ये डोडरा क्वार का सबसे दूरस्थ गांव है.

डोडरा क्वार सड़क मार्ग (PC रत्न चंद निर्झर)

किराए पर नहीं मिलते थे मकान

रत्न निर्झर के मुताबिक,'यहां पर एक सिविल अस्पताल है. यहां हमेशा स्टाफ की कमी होती है. यहां कोई सरकारी रात्रि विश्राम गृह भी नहीं है. यहां सरकारी कर्मचारी भी तैनाती से आनाकानी करते हैं, क्योंकि यहां न तो कर्मचारियों के लिए सरकारी आवास हैं और ढूंढने पर निजी कमरे भी बढ़ी मुश्किल से मिलते है. दैनिक रोजमर्रा का सामान भी बढ़ी मुश्किल से मिलता है. कर्मचारियों को कच्चे मकान के कमरों में ही रहना पड़ता था, लेकिन अब कुछ स्थानों पर पक्के मकान किराए पर उपलब्ध होने लगे हैं. मोबाइल युग से पहले यहां से संचार सुविधा भी न के बराबर थी. हालांकि यहां पोस्ट ऑफिस चिट्ठी, डाक आदि भेजने की सुविधा थी.'यहां तैनाती से आनाकानी का सबसे बड़ा कारण यहां से घर के लिए वापसी एक साल के बाद ही संभव पाती थी, क्योंकि कुछ साल पहले यहां सड़कें नहीं थी दूसरा दिसंबर के बाद ये इलाका हिमाचल से कट जाता था.

डोडरा क्वार के गांव का दृश्य (PC रत्न चंद निर्झर)

चांशल दर्रे पर सुरंग निर्माण की मांग

बर्फबारी के दौरान रास्ते बंद होने पर मरीज को घायल स्थिति में अस्पताल तक पहुंचाना बहुत मुश्किल होता है. पांगी और लाहौल की तरह यहां बर्फबारी में हेलिकॉप्टर की सुविधा नहीं मिलती है. ऐसे गंभीर हालत में मरीज को चारपाई पर उत्तराखंड तक पहुंचाना पड़ता है. इसके बाद मरीज को या तो देहरादून या रोहड़ू लाना पड़ता है. अटल टनल की तरह ही यहां के लोग भी चांश्ल दर्रे पर सुरंग निर्माण की मांग कर रहे हैं.

डोडरा क्वार का एक गांव (PC रत्न चंद निर्झर)

ट्रैकिंग के लिए मशहूर है डोडरा क्वार

डोडरा क्वार ट्रैकिंग के लिए खूब जाना जाता है. ट्रैकर सेवा दोगरी होकर जाते हैं और जिस्कुन में स्टे करते हैं. रुपिन दर्रे को पार कर सांगला निकलते हैं. यहां रात्रि विश्राम किया जा सकता है. यहां अब होम स्टे खुल चुके हैं. यहां की ब्रडासर झील बेहद रमणीय है.

घर की छत पर धूप का आनंद लेते बच्चे (PC रत्न चंद निर्झर)

ये हैं यहां की मुख्य फसलें

सर्दियों में जब चांशल घाटी बर्फ से ढक जाती है और डोडरा-क्वार का तापमान माइनस से नीचे चला जाता है. इस क्षेत्र में बाथू, कोदा, कावणी, फाफरा, ओगला, चिणी उगाए जाते हैं. ये सभी मिलेट्स में आते हैं. कोदा और ओगला की रोटी बनती है. चिणी के सिड्डू के अंदर बीड़न (स्टफिंग) डाला जाता है.

बाथू कोदे की होती है खेती (PC रत्न चंद निर्झर)

डोडरा क्वार से छंट रहा अंधेरा

शनिवार को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कार्यक्रम के दौरान गोसांगो से हारली सड़क का शिलान्यास किया है. इस दौरान उन्होंने कहा कि हारली से आगे सेवा दोगरी सड़क के निर्माण के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से संपर्क करेंगे. इस सड़क के बनने से साल के 12 महीने डोडरा क्वार क्षेत्र उत्तराखंड से जुड़ा रहेगा. मुख्यमंत्री ने चैधार मैदान में गसांगो से जिसकुन तक संपर्क सड़क का भी उद्घाटन किया. साथ ही डोडरा से चमधार तक सड़क और गांव पुजारली से वाया टाल पुल होते हुए उत्तराखंड सीमा तक संपर्क मार्ग का शिलान्यास किया. सीएम ने डोडरा क्वार को अलग जिला परिषद वार्ड बनाने की भी घोषणा की है ताकि इससे यहां का विकास तेजी से हो सके.

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Last Updated : Nov 1, 2024, 3:33 PM IST

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