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रायपुर के डॉ भीमराव अंबेडकर अस्पताल के डॉक्टरों ने किया कमाल, सिकल सेल मरीज के कूल्हों की हड्डी जोड़ी - hip joint of sickle cell patient

Dr Bhimrao Ambedkar Hospital डॉ भीमराव अंबेडकर अस्पताल के डॉक्टरों ने बड़ा कमाल किया है. ऑर्थोपैडिक विभाग के डॉक्टरों ने सिकल से पीड़ित मरीज के कूल्हों की हड्डी का सफल प्रत्यारोपण किया है. सिकल सेल के पीड़ित मरीजों की हड्डी को जोड़ना अपने आप में काफी जटिल काम माना जाता है.

Dr Bhimrao Ambedkar
सिकल सेल मरीज के कूल्हों की हड्डी जोड़ी

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 18, 2024, 10:12 PM IST

रायपुर:रायपुर के सबसे बड़े अस्पतालों में गिने जाने वाले डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के डॉक्टरों ने कमाल कर दिया है. दरअसल अस्पताल के आर्थो डिपार्टमेंट के डॉक्टरों ने सिकल से पीड़ित मरीज के कूल्हों की हड्डी को सफलता से सर्जरी कर जोड़ दिया है. सिकल सेल के मरीज की हड्डी को जोड़ना बड़ा कठिन काम होता है. जिस मरीज का डॉक्टरों ने हिप रिप्लेसमेंट किया है वो मरीज अब चलने फिरने लगा है. जिस मरीज का ऑपरेशन डॉक्टरों ने किया है उसकी उम्र 37 साल की है.

मुश्किल सर्जरी कर डॉक्टरों ने किया कमाल: डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के डॉक्टरों ने जो सर्जरी की है उसे मेडिकल भाषा मेंटोटल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी कहते हैं. अस्थि रोग विभाग के डॉक्टर राजेन्द्र अहिरे के नेतृत्व में इस सफल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी को पूरा किया गया. जिस मरीज का ऑपरेशन किया गया वो मरीज जशपुर के कुनकुरी का रहने वाला है. मरीज के कूल्हों की हड्डी घिस गई थी. बोन घिसने के चलते ऑपरेशन करना बड़ा मुश्किल था. डॉक्टरों ने जोखिम उठाते हुए इस ऑपरेशन को सफल बनाया.

मरीज बचपन से ही सिकल सेल एनीमिया का मरीज है जो कि एक जेनेटिक रोग है. इसमें शरीर में मौजूद रेड ब्लड सेल्स की संरचना पर प्रभाव पड़ता है जो पूरे शरीर में ऑक्सीजन का परिवहन करती है. मरीज की इसी बीमारी के कारण उसके कमर की दोनों ओर की हड्डी घिस कर खराब हो गई थी. मरीज को चलने में तकलीफ 2014 से हुई तो उसने अम्बिकापुर के निजी अस्पताल में दिखाया जहां उसे रायपुर जाने के लिए कहा गया. मरीज की तकलीफ धीरे-धीरे बहुत ज्यादा बढ़ गई और इतना बढ़ गई कि मरीज चलने-फिरने में असमर्थ हो गया. फिर मरीज अम्बेडकर अस्पताल में हमारे ओपीडी में पहुंचा, जहां उसे भर्ती करके उसके ख़ून, एम आर आई, एक्स रे एवं अन्य सभी प्रकार की जांच की गई. जांच रिपोर्ट देखने के बाद उसके कूल्हे की दोनों हड्डी बदलने की सलाह दी गई. इसके बाद मरीज 19 फरवरी 2024 को अम्बेडकर अस्पताल में भर्ती हुआ. दोनों कूल्हे की हड्डी बदली गई जो कि सफल रहा. मरीज अब पूरी तरह से अपने दोनों पांव जमीन पर रख कर चल फिर रहा है और स्वस्थ है. - राजेन्द्र अहिरे, डॉक्टर,अस्थि रोग विभाग, डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय

आपकी राय बदलनी चाहिए: अक्सर लोग सरकारी अस्पताल में इलाज कराने से कतराते हैं. लोगों की राय बन गई है कि सरकारी अस्पताल में डॉक्टर ठीक से इलाज नहीं करते. डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के डॉक्टरों ने जो सर्जरी की उसे देखकर और सुनकर आपकी राय जरूर बदलनी चाहिए. सरकार अस्पतालों के डॉक्टर भी अपने विषय के एक्सपर्ट होते हैं.

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