शिमला: समेज त्रासदी में लापता लोगों की पहचान के लिए पुलिस की डीएनए मिलान तकनीक मददगार साबित हो रही है. अभी तक तीन शवों की पहचान डीएनए के माध्यम से हो चुकी है. इनमें संतोष कुमारी पत्नी सूरत राम गांव कनराढ़ डाकघर सुघा तहसील रामपुर उम्र 54 वर्ष का डीएनए मिलान इनके बेटे राजेश कुमार के डीएनए से हुआ है. इसके साथ ही रूप सिंह सुपुत्र सुखराम डाकघर सरपारा तहसील रामपुर उम्र 52 वर्ष, रचना उम्र 23 साल निवासी समेज की पहचान भी डीएनए मिलान से ही हुई है.
लापता लोगों के शवों की पहचान के लिए पुलिस ने 37 लोगों डीएनए सैंपल लिए हैं. डीएनए से शवों की पहचान की जा रही है, क्योंकि कई दिनों से मलबे के नीचे पड़े शव क्षत विक्षत हो चुके हैं. उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि, 'कई शव क्षत-विक्षत हालात में मिले है, इनकी पहचान करना सबसे बड़ी चुनौती है, लेकिन हमने ऐसे लापता लोगों के परिजनों के डीएनए सैंपल लिए हैं. फिर शवों के डीएनए सैंपल से मिलान करवाए जा रहे हैं. इनमें से दो शवों के डीएनए मिलान कर लिए गए है. दोनों शव शिमला जिला के रहने वाले लोगों के थे. पुलिस ने डीएनए सैंपलिंग की हुई थी. इसी की वजह से शवों की पहचान हो पाई है.'
उपायुक्त ने बताया कि हमारी प्राथमिकता सर्च आपरेशन के दौरान मिलने वाले हर शव की पहचान करना है. इसी कड़ी में हमने वैज्ञानिक तकनीक का सहारा लिया है. पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने कहा कि वैज्ञानिक तकनीक के माध्यम से जांच को प्रभावी बनाया जाता है. डीएनए मिलान से ही परिजनों को शव मिल पा रहे हैं, क्योंकि कई शवों की पहचान बिना डीएनए के संभव ही नहीं थी. हमने पूरी योजना से डीएनए सैंपल प्रोफाईलिंग की है। इसी तरह अन्य शवों की पहचान करने में लगे है.
क्या होता है डीएनए टेस्ट