आगरा :मंडल की बात की जाए तो आगरा और मथुरा जिले में मुख्यमंत्री एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (आईजीआरएस) पर आने वाली शिकायतों के निस्तारण में अधिकारी फर्जीवाड़ा कर रहे थे. ये खुलासा मंडलायुक्त रितु माहेश्वरी की गुरुवार को हुई समीक्षा बैठक में हुआ. जिसके बाद मंडलायुक्त ने लापरवाही बरतने पर आगरा नगर निगम के सहायक नगर आयुक्त समेत तीन अधिकारियों को प्रतिकूल प्रविष्टि जारी की है. इसके साथ ही ग्राम्य विकास, सिंचाई विभाग, वन विभाग समेत 12 से अधिक विभागों में डिफाल्टर प्रकरण मिलने पर सख्ती बरतने के निर्देश दिए हैं.
मुख्यमंत्री एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (आईजीआरएस) की शिकायतों के निस्तारण की हर माह दो से तीन बार समीक्षा हो रही है. शिकायतों का निर्धारित अवधि में निस्तारण के भी निर्देश दिए जा रहे हैं. इसके बाद भी तय अवधि में शिकायतें निस्तारित नहीं हो रही हैं. आगरा मंडल की बात करें तो आगरा जिले की 43 और मथुरा की 45 प्रतिशत शिकायतें फर्जी तरीके से निस्तारित की गई हैं. ये खुलासा मंडलायुक्त रितु माहेश्वरी की शिकायतों के निस्तारण की समीक्षा में हुआ है. मंडल के नगर पंचायतों, नगर पालिका परिषदों, मंडी परिषद, वन निगम, ग्राम्य विकास, सिंचाई विभाग, सहायक रजिस्ट्रार सहित अन्य में सबसे अधिक डिफाल्टर प्रकरण मिले हैं. इसको लेकर मंडलायुक्त रितु माहेश्वरी ने 12 से अधिक अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी है.
एसडीएम और बीडीओ की जिम्मेदारी तय :मंडलायुक्त रितु माहेश्वरी ने बताया कि जिन प्रकरणों में सामूहिक रिपोर्ट जाती है उनमें संबंधित विभागों की रिपोर्ट नहीं भेजी जाती है. ऐसे प्रकरणों के लिए अब एसडीएम और बीडीओ जिम्मेदार होंगे. डीएम और सभी एसडीएम को निर्देश दिए हैं कि, निरोधात्मक कार्रवाई में रिपोर्ट अनिवार्य रूप से लगनी चाहिए. इसके साथ ही हर जिले और तहसील में राजस्व वादों का भी निस्तारण ठीक से हो. उन्होंने बताया कि, शिकायतों की मार्किंग भी अधिकारी ठीक तरीके से नहीं कर रहे हैं. शिकायतों को बिना देखे ही रिपोर्ट लगा रहे हैं. जिसमें शिकायकर्ताओं का बयान तक नहीं लिए गए हैं. जब शिकायतकर्ताओं ने अधिकारियों को कॉल किए तो निस्तारण के दावों की पोल खुली है.