आगरा: स्पेशल ओलंपिक भारत की नेशनल हैंडबॉल चैंपियनशिप आगरा में दो दिन तक चलेगी. डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के छलेसर कैंपस में 23 राज्यों के 300 से अधिक स्पेशल खिलाड़ी दमखम दिखाएंगे. ईटीवी भारत ने चैंपियनशिप का शुभारंभ करने पहुंचीं स्पेशल ओलंपिक भारत की अध्यक्ष डॉ. मल्लिका नड्डा से एक्सक्लूसिव बातचीत की.
डॉ. मल्लिका नड्डा ने कहा कि समाज में सभी की उपयागिता है. चाहे वे नॉर्मल बच्चे हों या स्पेशल बच्चे हों. सभी को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है. ऐसे ही दिव्यांगों के लिए हम ईच वन रीच बन नारे के साथ सभी से सहयोग और समर्थन की अपील कर रहे हैं. हमारा उद्देश्य विशेष स्पेशल बच्चों का उत्साहवर्धन करके उन्हें भी आगे बढ़ावा है.
डॉ. मल्लिका नड्डा ने बताया कि स्पेशल ओलंपिक भारत की ओर से देश के सभी प्रदेशों में स्पेशल बच्चों की खेल प्रतियोगिताएं की जाती हैं. क्योंकि, देश की आबादी का तीन प्रतिशत से अधिक स्पेशल लोग हैं, जो बड़ी आबादी है. यूपी की बात करें तो 75 लाख की इनकी आबादी है. देश में हर बच्चा खेले, अपने पसंदीदा खेल में कॅरियर बनाए, देश का नाम भी रोशन करें. अच्छी ट्रेनिंग से स्पेशल बच्चे भी आज देश के लिए पदक जीत रहे हैं. खुद के साथ ही देश का नाम रोशन कर रहे हैं. जिससे उन्हें आत्मविश्वास भी आ रहा है.
हर जिले की स्क्रीनिंग का लक्ष्य तय
डॉ. मल्लिका नड्डा के अनुसार यूपी में स्पेशल बच्चों की स्क्रीनिंग की जाएगी. स्पेशल बच्चों की शिक्षा, चिकित्सा के साथ ही उन्हें खेलों से जोड़ने की योजना बनाई गई है. यूपी में एक लाख स्पेशल बच्चों की स्क्रीनिंग की जाएगी. स्क्रीनिंग जिला स्तर पर की जाएगी. एक जिले में एक हजार से अधिक बच्चों का लक्ष्य तय किया गया है. इसमें जो स्पेशल खिलाड़ी सामने आए हैं. जिला स्तर, मंडल स्तर, प्रदेश स्तर और राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग के लिए उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी.
इन्क्लूजन और रिवोल्यूशन पर पूरा जोर
डॉ. मल्लिका नड्डा ने बताया कि आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि में जिस तरह का स्पोटर्स कॉम्पलेक्स हमें मिला है. ऐसे विवि, स्कूल, स्पोटर्स कॉम्पलेक्स के जरिए इन स्पेशल खिलाडियों को ट्रेनिंग देंगे. जिससे ऐसे खिलाड़ियों को अवसर खेलों के माध्यम से आगे बढ़ने का प्राप्त होगा. स्पेशल ओलंपिक भारत की बात करें तो पूरे देश और विश्व में इन्क्लूजन की दिशा में कार्य कर रहा है. हमारा उद्देश्य इन्क्लूजन, रिवोल्यूशन, सामयकिता और सबको समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है.
स्पेशल बच्चों को भी खेलो इंडिया में शामिल करने का प्रयास
डॉ. मल्लिका नड्डा के अनुसार अभी तक खेलो इंडिया में सामान्य के साथ पैरालिंपिक खिलाड़ियों को शामिल किया जाता है. अब तक खेलो इंडिया में विशेष बच्चों की सहभागिता नहीं शुरू हुई है. इसके लिए उनकी ट्रेनिंग और टेक्निकल सुविधाओं की भी कमी है. इसे दूर करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. उम्मीद है कि जल्द ही स्पेशल बच्चे भी खेलो इंडिया में अपनी प्रतिभा का दमखम दिखाएंगे. इस बारे में हम पीएम नरेन्द्र मोदी से वार्ता कर रहे हैं. साथ ही स्थानीय स्तर पर शैक्षिक संस्थानों, स्कूलों और महाविद्यालयों में भी ऐसे बच्चों को विशेष आरक्षण लाभ देकर प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था की जाएगी.