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दुमका में ठंड समाप्त होने के बाद बच्चों को मिला स्वेटर, चार महीने पहले मिली थी राशि, अधिकारी ने कहा - होगी कार्रवाई - दुमका के सरकारी स्कूल

Distribution of sweaters. दुमका के सरकारी स्कूल में ठंड समाप्त होने के बाद बच्चों के बीच स्वेटर बांटा गया. चार महीने पहले राशि मिलने के बाद भी स्वेटर की सप्लाई नहीं की गई थी. मामले में जांच चल रही है, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

Dumka government school
Dumka government school

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 29, 2024, 11:58 AM IST

Updated : Feb 29, 2024, 1:00 PM IST

दोरोती टुडू , प्रभारी प्राचार्य , प्रा. वि. सुंदराफलान

दुमकाः जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड में सरकारी स्कूल के बच्चों को ठंड समाप्त होने के बाद स्वेटर दिया जा रहा है. जबकि इसके लिए लगभग चार माह पूर्व ही राशि विद्यालय प्रबंधन समिति के खाते में भेज दी गई थी, लेकिन बच्चों को कड़कड़ाती ठंड में बगैर स्वेटर के रहना पड़ा. प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी ने इसे बड़ी लापरवाही बताते हुए कड़ी कारवाई की बात कही है.

क्या है पूरा मामला

सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए उनका सिस्टम काम करता है लेकिन अगर वह सिस्टम ही लापरवाही बरते या उसका अपना कोई स्वार्थ हो तो जाहिर है जरूरतमंदों को उसका लाभ सही ढंग से नहीं मिलता है. इसका एक नमूना दुमका में देखने को मिला है, जहां सरकारी विद्यालय के बच्चों को ठंड समाप्त होने के बाद स्वेटर दिए जा रहे हैं. दुमका के शिकारीपाड़ा प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय सुंदराफलान में 27 और 28 फरवरी को स्वेटर और अन्य पोशाक दिए गए. इस पूरे मामले पर प्राथमिक विद्यालय सुंदराफलान की प्रभारी प्राचार्य दोरोती टुडू ने बताया कि हमारे विद्यालय के जो संकुल साधन सेवी हैं, उन्होंने हमसे पोशाक के वाउचर पर दस्तखत करवा लिया और राशि की निकासी कर ली. शिक्षक ने कहा कि संकुल साधन सेवी ने बताया था कि बहुत जल्द पोशाक सप्लाई कर देंगे लेकिन उसके बाद से वे लगातार इसे टालते रहे. बाद में उन्होंने मेरा फोन उठाना बंद कर दिया. जब मैंने उच्च अधिकारियों को शिकायत करने की चेतावनी दी तो सोमवार 27 फरवरी को उन्होंने बच्चों का पोशाक दिया, इसलिए अब उसे बांटा गया.

जानकारी के मुताबिक कुछ अन्य विद्यालय में 28 फरवरी को स्वेटर बंटे. इधर विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों और उनके अभिभावक ने भी बताया कि मंगलवार को हमें यह पोशाक मिला है. हम आपको बता दें कि सरकारी विद्यालय के बच्चों के लिए सरकार ने मुफ्त में पोशाक की व्यवस्था की है. जिसके तहत प्रति बच्चों के लिए छह सौ रुपये दिए जाते हैं. जिसमें दो जोड़ी यूनिफार्म, एक स्वेटर और जूता - मोजा है. यह राशि विद्यालय प्रबंधन समिति के खाते में आता है. अब यह बड़ा सवाल यह है कि जब सितंबर - अक्टूबर में रुपए आ गए थे तो बच्चों को पोशाक देने में इतना विलंब क्यों किया गया.

क्या कहते हैं बीईईओ

इस पूरे मामले पर शिकारीपाड़ा के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी अमिताभ झा ने बताया कि यह बड़ी लापरवाही है. इसकी जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि इस मामले में विद्यालय की प्रभारी प्रिंसिपल भी दोषी हैं, क्योंकि सरकारी नियमों के अनुसार पोशाक की राशि विद्यालय प्रबंधन समिति के खाते में जाती है. बच्चों की संख्या के अनुसार पोशाक का ऑर्डर देना है और जब चयनित वेंडर पोशाक की सप्लाई दे दे तो उसके वाउचर के एवज में रुपए की निकासी करनी है. अगर प्रिंसिपल ने पोशाक प्राप्त करने से पहले वाउचर में सिग्नेचर कर दिया और वह वाउचर सीआरपी को दे दी तो यहां दोनों दोषी हैं मामले की जांच होगी और कार्रवाई की जाएगी.

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Last Updated : Feb 29, 2024, 1:00 PM IST

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