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ट्रेक ऑफ द ईयर पर दो मंत्रियों में घमासान, एक ने दी नसीहत तो दूसरे ने दिल बड़ा रखने की कही बात - Uttarakhand ministers Dispute

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 9, 2024, 10:15 AM IST

Updated : Aug 9, 2024, 10:34 AM IST

Ministers Dispute in Uttarakhand उत्तराखंड में योजनाओं को लेकर अजब हालत है. मंत्रालय किसी का है और घोषणा कोई दूसरा मंत्री कर रहा है. दरअसल हाल ही में सतपाल महाराज ने ट्रेक ऑफ द ईयर के रूप में सारू ताल ट्रेक और सिन्नला पास ट्रेक की घोषणा की है. मजे की बात यह है कि ये सेंचुरी क्षेत्र है और वन विभाग की अनुमति के बिना यहां कोई गतिविधि नहीं हो सकती. बावजूद इसके अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर सतपाल महाराज की ये घोषणा अब सीएम धामी के दो मंत्रियों के बीच तकरार की वजह बन गई है.

Uttarakhand Trek of the Year Dispute
घोषणा को लेकर वन मंत्री और पर्यटन मंत्री में विवाद (Photo-ETV Bharat)

ट्रेक ऑफ द ईयर पर कैबिनेट मंत्री आमने-सामने (Video-ETV Bharat)

देहरादून: धामी सरकार के दो मंत्रियों के बीच ट्रेक ऑफ द ईयर के रूप में दो ट्रेक की घोषणा विवाद की वजह बन गई है. दरअसल जिन ट्रेक को पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने ट्रेक ऑफ द ईयर घोषित किया है. वह सेंचुरी क्षेत्र में आते हैं, यानी ऐसे संरक्षित वन क्षेत्र जहां किसी को भी जाने की इजाजत नहीं होती है और ऐसे वन क्षेत्र में जाने के लिए वन विभाग की अनुमति जरूरी होती है. हैरत की बात यह है कि पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने ट्रेक ऑफ द ईयर के रूप में ट्रेक की घोषणा तो कर दी, लेकिन इसके लिए ना तो वन मंत्री सुबोध उनियाल से बात की गई और ना ही वन महकमे से इस पर कोई समन्वय स्थापित किया गया.

दो कैबिनेट मंत्रियों में टेंशन: इस बार राज्य में उत्तरकाशी जिले के सारू ताल ट्रेक और पिथौरागढ़ जिले में स्थित सिन्नला पास ट्रेक को ट्रेक ऑफ द ईयर घोषित किया गया है. जिसके लिए 2 सितंबर से 30 नवंबर तक तमाम पर्यटन गतिविधियां इस क्षेत्र में होना प्रस्तावित है. हालांकि अब इस विवाद के बाद ये घोषणा भी खटाई में पड़ती दिख रही है. इस मामले पर वन मंत्री सुबोध उनियाल ने बयान जारी करते हुए पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के इस निर्णय को अनुचित बता दिया है.

कैपसिटी तय करता है वन महकमा: सुबोध उनियाल ने कहा कि पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज को वह प्रणाम करते हैं, क्योंकि उन्होंने कुछ अच्छा सोचकर ही ट्रेक को लेकर फैसला लिया होगा. लेकिन जिस ट्रेक कि वह बात कर रहे हैं वो सेंचुरी क्षेत्र में आता है, और यहां पर वन महकमें की परमिशन के बिना गतिविधियां नहीं हो सकती. वन विभाग ही यहां पर किसी की आवाजाही को लेकर परमिट जारी करता है और यहां की कैपसिटी को भी विभाग ही तय करता है. ऐसे में वन विभाग की जानकारी के बिना ऐसे निर्णय लेना उचित नहीं है.

ट्रेकिंग के लिए बेहतर माहौल: उत्तराखंड में ट्रेकिंग के लिए बेहतर माहौल बन रहा है और देशभर के अलावा विदेशों से भी लोग ट्रैकिंग के लिए उत्तराखंड आ रहे हैं. कुल मिलाकर ट्रैकिंग एक बड़ा बाजार बनकर उभरा है. लेकिन समय-समय पर वन विभाग के कड़े नियम रोजगार और राज्य को राजस्व देने वाले इस नए बाजार को हतोत्साहित करते हैं.

वन विभाग पर साधा निशाना: वन मंत्री सुबोध उनियाल ने सतपाल महाराज की घोषणा पर सवाल खड़े किए तो पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज उन्हें नसीहत दे डाली. कहा कि हिमाचल प्रदेश में ऐसी गतिविधियों के लिए वन विभाग से आसानी से अनुमति मिल जाती है, लेकिन उत्तराखंड में परमिशन नहीं मिलती. सतपाल महाराज ने कहा कि पर्यटक यहां रहने के लिए नहीं जा रहे हैं बल्कि यहां पर उनके द्वारा केवल यात्रा की जाएगी. इसलिए वन विभाग को इसकी इजाजत देनी चाहिए.

प्रदेश दो मंत्रियों के विवाद में राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजना ट्रेक ऑफ द ईयर क्या दम तोड़ देगी? जबकि प्रदेश सरकार समय-समय पर पर्यटन को बढ़ावा देने की बात करती रहती है.

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Last Updated : Aug 9, 2024, 10:34 AM IST

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