देहरादून: धामी सरकार के दो मंत्रियों के बीच ट्रेक ऑफ द ईयर के रूप में दो ट्रेक की घोषणा विवाद की वजह बन गई है. दरअसल जिन ट्रेक को पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने ट्रेक ऑफ द ईयर घोषित किया है. वह सेंचुरी क्षेत्र में आते हैं, यानी ऐसे संरक्षित वन क्षेत्र जहां किसी को भी जाने की इजाजत नहीं होती है और ऐसे वन क्षेत्र में जाने के लिए वन विभाग की अनुमति जरूरी होती है. हैरत की बात यह है कि पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने ट्रेक ऑफ द ईयर के रूप में ट्रेक की घोषणा तो कर दी, लेकिन इसके लिए ना तो वन मंत्री सुबोध उनियाल से बात की गई और ना ही वन महकमे से इस पर कोई समन्वय स्थापित किया गया.
दो कैबिनेट मंत्रियों में टेंशन: इस बार राज्य में उत्तरकाशी जिले के सारू ताल ट्रेक और पिथौरागढ़ जिले में स्थित सिन्नला पास ट्रेक को ट्रेक ऑफ द ईयर घोषित किया गया है. जिसके लिए 2 सितंबर से 30 नवंबर तक तमाम पर्यटन गतिविधियां इस क्षेत्र में होना प्रस्तावित है. हालांकि अब इस विवाद के बाद ये घोषणा भी खटाई में पड़ती दिख रही है. इस मामले पर वन मंत्री सुबोध उनियाल ने बयान जारी करते हुए पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के इस निर्णय को अनुचित बता दिया है.
कैपसिटी तय करता है वन महकमा: सुबोध उनियाल ने कहा कि पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज को वह प्रणाम करते हैं, क्योंकि उन्होंने कुछ अच्छा सोचकर ही ट्रेक को लेकर फैसला लिया होगा. लेकिन जिस ट्रेक कि वह बात कर रहे हैं वो सेंचुरी क्षेत्र में आता है, और यहां पर वन महकमें की परमिशन के बिना गतिविधियां नहीं हो सकती. वन विभाग ही यहां पर किसी की आवाजाही को लेकर परमिट जारी करता है और यहां की कैपसिटी को भी विभाग ही तय करता है. ऐसे में वन विभाग की जानकारी के बिना ऐसे निर्णय लेना उचित नहीं है.