पटना: बिहार में शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय के कुलपतियों के बीच चल रहा विवाद फिलहाल थम गया है. दोनों पक्षों में पटना हाईकोर्ट में सुलह हो गई.पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए शिक्षा विभाग की ओर से विश्वविद्यालय के बैंक खातों के संचालन पर लगाई गई रोक भी हटाने का आदेश दे दिया है. पटना हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय की ओर से दायर याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की.
'शिक्षा विभाग की बैठक में वीसी के साथ होती है बदसलूकी': लंबी सुनवाई के बाद सभी पक्षों के बीच आपसी सहमति से बात बन गई. विश्वविद्यालयों के वीसी शिक्षा विभाग के साथ बैठक करने में अपनी सहमति दी. उनका कहना था कि बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में होना चाहिए. किसी के साथ बदसलूकी नहीं होनी चाहिए. इस बात पर शिक्षा विभाग की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ पूरी बैठक होगी. कोई भी अधिकारी किसी के साथ बदसलूकी नहीं करेंगे, लेकिन विश्वविद्यालयों के वीसी और अन्य अधिकारी भी पूरा सहयोग करेंगे.
दायर याचिकाओं पर हाईकोर्ट में सुनवाई:पटना हाईकोर्ट के जस्टिस अंजनी कुमार शरण ने एक-एक कर विश्वविद्यालयों की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई की. उनका कहना था कि शिक्षा विभाग की ओर से एक पत्र जारी कर कहा हैं कि विश्वविद्यालयों की परीक्षा का ससमय संचालन पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई गई थी. बैठक में भाग नहीं लेने पर विभाग ने विश्वविद्यालयों के सभी खातों के संचालन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गयी. कोर्ट को बताया गया कि विश्वविद्यालय कानून के तहत शिक्षा विभाग वीसी को बैठक में भाग लेने के लिए नहीं बुला सकती.
बैठक में वीसी आए पर शिक्षा विभाग से कोई नहीं आया: उनका कहना था कि वरीयताक्रम में चांसलर सबसे ऊपर होते है. उसके बाद वीसी फिर प्रोवीसी होते हैं. उसके बाद शिक्षा विभाग के सचिव का नम्बर आता हैं. ऐसे में विभाग के सचिव और निदेशक बैठक में भाग लेने के लिए वीसी को नहीं बुला सकते. उनका कहना था कि 2009 में चांसलर ने एक आदेश जारी कर विश्वविद्यालय के सभी अधिकारियों को निर्देश दे रखा है कि चांसलर के अनुमति से ही मुख्यालय छोड़ना है.
खाता के संचालन पर रोक लगाने का अधिकार नहीं: उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग एक माह में तीन तीन सत्र का परीक्षा लेने का दवाब बना रही है. उनका कहना था कि वीसी के नियुक्ति में राज्य सरकार का कोई भूमिका नहीं है, फिर भी बेवजह दवाब बनाने के लिए ऐसा किया जा रहा है. यही नहीं विश्वविद्यालय के खाता के संचालन पर रोक लगाने का अधिकार नहीं है.
शिक्षा का स्तर अन्य राज्यों के तुलना में काफी खराब: वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कहा कि जितना पैसा विश्वविद्यालयों को दी जा रही हैं, उस पैसा को छात्रों को दे दिया जाये, तो वे बेहतर शिक्षा ग्रहण कर लेंगे. उनका कहना था कि राज्य सरकार लगभग 5 हजार करोड़ रुपये देती हैं और शिक्षा का स्तर अन्य राज्यों के तुलना में काफी खराब है. शिक्षा की बदतर स्थिति के कारण छात्रों का पलायन जारी है.