जयपुर :राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लेकर अभी भी मंथन का दौर जारी है. इसी क्रम में सोमवार को स्कूल शिक्षा परिषद ने शिक्षक संगठन और कर्मचारी संगठनों के साथ चर्चा की. हालांकि, राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत ने आरोप लगाया कि इस मंथन में उन्हीं शिक्षक संगठनों को आमंत्रित किया गया है, जिन्होंने शिक्षा नीति 2020 की वकालत की है. जबकि विरोध जताने वाले संगठनों को चर्चा के लिए आमंत्रित ही नहीं किया गया. उन्होंने इस पॉलिसी को शिक्षक और छात्र विरोधी बताया.
राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ने सोमवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत शिक्षक संघ और कर्मचारी संघ के प्रतिनिधियों के साथ शिक्षा की दिशा और दशा पर चर्चा की. इस दौरान मौजूद रहे शिक्षा शासन सचिव कृष्ण कुणाल ने बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए मातृभाषा में प्री प्राइमरी शिक्षा को आवश्यक बताया.
उन्होंने कहा कि शिक्षा में बच्चों का हित सर्वोपरि है. तीन से आठ साल के बच्चों के बौद्धिक, स्वास्थ्य और कौशल विकास के लिए उनकी मातृभाषा में प्री प्राइमरी शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए. इसके लिए एक आसान शब्दकोश तैयार किया जा रहा है, जिससे बच्चों को स्थानीय भाषा में पढ़ने में सहायता मिलेगी. उन्होंने ड्रॉप आउट दर को कम करने के लिए प्री प्राइमरी शिक्षा को मजबूत बनाने और सरकारी विद्यालयों को सुढृढ करने पर जोर दिया.