वाराणसी/मुरादाबाद :डिजिटल अरेस्ट (DIGITAL ARREST) के नाम पर धोखाधड़ी का शिकार हुए एक पीड़ित की धनराशि को वापस कराने में वाराणसी के साइबर थाने की पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. पुलिस ने पीड़ित के 10 लाख रुपये से ज्यादा की धनराशि को वापस कराया है. वहीं, साइबर ठगों ने एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर और उसकी पत्नी को डिजिटल अरेस्ट कर 11 लाख से अधिक रुपये ठग लिए.
दरअसल, वाराणसी के चितईपुर थाना क्षेत्र के सुसुवाही के रहने वाले राम नरेश सिंह को बीते 9 मई 2024 की सुबह एक डिलीवरी कंपनी से कॉल आया. फिर वीडियो और WhatsApp कॉल करके राम नरेश के नाम से पार्सल होने की बात कही गई. वहीं, राम नरेश की तहरीर के अनुसार उनकी कॉल को साइबर क्राइम मुंबई को ट्रांसफर करके उन्हें डराकर बैंक वेरीफाई करने के नाम पर 10 लाख 47 हजार 808 रुपये की धोखाधड़ी कर ली गई.
वहीं, इस संबंध में साइबर क्राइम थाना प्रभारी निरीक्षक विजय नारायण मिश्र ने बताया कि टीम ने त्वरित कार्रवाई की है. पीड़ित के बैंक के नोडल अधिकारी का सहयोग लेते हुए जिस खाते में पैसा गया था उससे संपूर्ण धनराशि 10 लाख 47 हजार 808 रुपये बेनिफिसियरी खाते को सीज कराया गया था. वहीं, उच्चाधिकारियों के आदेश के बाद राम नरेश सिंह के खाते में धोखाधड़ी की संपूर्ण धनराशि 10 लाख 47 हजार 808 रुपये वापस कराई गई.
क्या है डिजिटल अरेस्ट :वहीं, साइबर क्राइम थाना प्रभारी निरीक्षक विजय नारायण मिश्र ने DIGITAL ARREST के विषय मे बताया कि इस फ्राॅड में आपको एक कम्प्यूटर जनरेटेड वाइस काॅल आती है या फिर नार्मल काॅल आती है और बताया जाता है कि जो आपका पार्सल जा रहा था कैंसिल हो गया है. अधिक जानकारी के लिए हमारे कस्टमर केयर अधिकारी से बात कीजिए. जैसे ही काॅल कनेक्ट की जाती है तो उनके द्वारा बताया जाता है कि आपके पार्सल में गैरकानूनी सामान था, या फिर कोई सामान लेकर जा रहा था, जिसमें आपके नाम का आधार और सिम कार्ड लगा है.
उन्होंने बताया कि अगर आपको लगता है कि आपके आधार या सिमकार्ड का दुरुपयोग हुआ है तो आप तुरन्त एफआईआर कराइये, नहीं तो आपको जेल भेज दिया जाएगा. फिर वहां से अपना एविडेंस देते रहिएगा तो पीड़ित को लगता है कि यहीं पर हम अपनी एफआईआर दर्ज करा दें. इसके बाद सामने वाला कस्टमर केयर अधिकारी बताता है कि ये हाई सिक्योरिटी का मामला है, सारी बातें गोपनीय रखिएगा किसी से अभी शेयर नहीं कीजिएगा.
उन्होंने बताया कि आपको विडियो काॅलिंग एप Skype डाउनलोड करा दिया जाता है. सामने फर्जी पुलिस वाले वर्दी में बैठे होते हैं और वो आपकी एफआईआर लिखना चालू करते हैं. जैसे ही आप अपनी घटना बताते हैं कि आधार या सिमकार्ड गलत यूज हुआ है. अपना नाम पता बताते हैं. तभी फर्जी पुलिस के तरफ से बैकग्राउंड से आवाज आने लगती है कि इसका नाम मनी लांड्रिंग में स्मलिंग भी नाम आया है. फर्जी पुलिस वाला कहता है कि आपको लाइन पर बने रहना होगा, क्योकि आपका नाम और भी केस में आया है.
उन्होंने बताया कि साइबर ठग जांच पूरी नहीं होने तक कैमरे के सामने बने रहने को बोलते हैं. कहा जाता है कि मनी लॉन्ड्रिंग वेरिफाई करने के लिए आपको अपने खाते की डिटेल और बैंक बैलेंस दिखाना होगा.अब जैसे ही पीड़ित दिखाता है कि खाते में इतना बैलेंस है तो कहते है ये पैसे आपको हमारे सुरक्षित आरबीआई के खाते में ट्रांसफर करना होगा. पैसे वेरिफाई करके ये पैसे आपको रिटर्न कर दिये जाएंगे.
वहीं, पीड़ित डर कर पैसे भेज देता है जो आरबीआई का ना होकर साइबर अपराधी का खाता होता है. फिर कहा जाता है कि हमारे आरबीआई के डिटेल में शो हो रहा है कि आपका और भी खाता है, ट्रेडिंग अंकाउंट भी है. जल्दी से जल्दी ये पैसे आप आरबीआई के वैलेट में भेजिये. फिर ऐसे ही बातों से डराकर लाखों करोड़ों रुपये ले लेते हैं और पूरे पैसे जाने के बाद एहसास होता है कि आपके साथ साइबर ठगी हुई है.
सॉफ्टवेयर इंजीनियर और उसकी पत्नी को 29 घंटे डिजिटल अरेस्ट कर ठगी :मुरादाबाद में साइबर ठगों ने एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर और उसकी पत्नी को डिजिटल अरेस्ट कर 11 लाख से अधिक रुपये ठग लिए. साइबर ठगों ने पीड़ित को उनके नाम से आए एक पार्सल में करीब 140 ग्राम ड्रग्स होने की बात कह कर डराया धमकाया और रुपये ट्रांसफर करा लिए. पीड़ित को जब साइबर ठगी का एहसास हुआ तो उसने सिविल लाइन थाने पहुंचकर मुकदमा दर्ज कराया.
साइबर क्राइम करने वाले लोग पहले आधार कार्ड अपडेट या बैंक वेरिफिकेशन के नाम पर लोगों से साइबर ठगी करते थे. अब ठगों ने नया तरीका निकाला है. कभी पुलिस द्वारा परिवार के किसी सदस्य को गिरफ्तार करने की बात पर ठगी कर लेते हैं तो कभी जान से मारने के नाम पर. लेकिन, मुरादाबाद में एक अलग ही या यूं कहें कि नया साइबर ठगी का मामला सामने आया है. जिसमें एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर और उसकी पत्नी को घर में डिजिटल अरेस्ट कर 11 लाख 95 हजार 504 रुपये ठग लिए.