धमतरी के वनांचल क्षेत्र की बच्चियां सेल्फ डिफेंस के लिए सीख रही कराटे, मनचलों को सिखाएंगी सबक - कराटे प्रशिक्षण योजना
Dhamtari School Girls Learning Karate धमतरी जिले के वनांचल क्षेत्र में इन दिनों स्कूली बच्चियों को कराटे प्रशिक्षण दिया जा रहा है. कराटे प्रशिक्षकों से बच्चियां आत्मरक्षा के गुर सिख रही हैं. राज्य सरकार की रानी लक्ष्मीबाई कराटे प्रशिक्षण योजना के तहत एक जनवरी से स्कूली छात्राओं को सुरक्षा के उपाय और कराटे का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
वनांचल क्षेत्र की बच्चियां सेल्फ डिफेंस के लिए सीख रही कराटे
धमतरी:भारत की पुरातन कराटे कला चीन और जापान से होते हुए वापस भारत लौट आयी है. कराटे की आत्मरक्षा के पैतरों की वजह से इसे कला भी कहा जाता है. धमतरी जिले के वनांचल क्षेत्र में इन दिनों स्कूली बच्चियों को आत्मरक्षा के लिए कराटे प्रशिक्षण दिया जा रहा है. राज्य शासन द्वारा रानी लक्ष्मीबाई कराटे प्रशिक्षण योजना के तहत सभी स्कूली छात्राओं को आत्मरक्षा के लिए कराटे प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
सेल्फ डिफेंस में आत्मनिर्भर हो रही स्कूली बच्चियां: वनांचल के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं को सेल्फ डिफेंस में आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. उन्हें कराटे की ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि वह अपनी रक्षा खुद कर सकें. छात्राओं में भी इसे लेकर जबरदस्त उत्साह देखी जा रही है. नगरी इलाके के गट्टासिल्ली में रहने वाले प्रवेश टेकाम बच्चियों को आत्मरक्षा के सभी दाव पेंच सीखा रहे हैं. वे सभी स्कूलों में जाकर स्कूली बच्चियों को कराटे की ट्रेनिंग देते हैं.
कराटे प्रशिक्षण में जुटी छात्राएं: सरकारी स्कूलों की बच्चियों के इस ललक को देखकर ऐसा लगता है कि आज देश की बेटियां कमजोर नहीं रहना चाहती हैं. ना तो वह अब सामाजिक प्रताड़ना बर्दाश्त कर सकती हैं. आज लड़कियां कदम से कदम मिलाकर लड़कों के साथ आगे बढ़ रही हैं. रानी लक्ष्मीबाई कराटे प्रशिक्षण योजना के तहत ट्रेनिग ले रही छात्राओं ने बताया कि "कराटे प्रशिक्षण उन्हें हर संकट मे लड़ने की आत्मनिर्भरता और प्रेरणा देगा."
आज की लड़कियां सशक्त हैं, बलवान हैं और ताकतवर हैं. वह अपनी ताकत को कैसे इस्तेमाल करें, बस इसे सीखने की जरूरत है. इसीलिए छात्राओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाने के उद्देश्य से यह पहल की जा रही है. अगर कोई उन्हें छेड़ने की भी कोशिश करें तो वह उसे उसी के भाषा में जवाब दे सकती हैं. - प्रवेश टेकाम, कराटे प्रशिक्षक
बच्चियों को आत्मनिर्भर बनाना एक अच्छी पहल: दरअसल, धमतरी जिले के वनांचल इलाकों में से एक जबर्रा गांव आदिवासी बहुल क्षेत्रों में से एक है. यहां पहुंचने के लिए आपको धमतरी से 60 किलोमीटर की दूरी का सफर करना होगा. घने जंगल होने की वजह से यहां जंगली जानवरों के खतरा होता है. जबर्रा गांव में एक शासकीय स्कूल है, जहां सिर्फ आठवीं तक ही कक्षाएं लगती है. आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें पड़ोस के गांव जाना पड़ता है. यहां बच्चियों को कराटे ट्रनिंग दी जा रही है, जिसमें भारी संख्या में स्कूली बच्चे शामिल हो रहे हैं. आज के दौर में महिला और बाल अपराध लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में इन बच्चों को स्वयं की सुरक्षा के लिए आत्मनिर्भर बनाना एक अच्ची पहल साबित होगी.