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मारुति वैन में जानवरों की तरह ठूसे जा रहे बच्चे, हादसों के बाद भी स्कूल प्रशासन नहीं ले रहा सबक - Dewas Private School Negligence

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 10, 2024, 3:44 PM IST

देवास में बच्चों की जान जोखिम में डालकर उन्हें पढ़ने भेजा रहा है. प्रशासन के नियमों की धज्जियां सरेआम उड़ाई जा रही है. यहां 7 सवारी के वाहन में 22-23 बच्चों की ठूस-ठूस कर भरकर स्कूल भेजा रहा है.

DEWAS PRIVATE SCHOOL NEGLIGENCE
मारुति वैन में जानवरों की तरह ठूसे जा रहे बच्चे (ETV Bharat)

देवास।जिले के निजी स्कूलों के संचालकों की मनमानी चरम पर है. जहां अभिभावकों के साथ विद्यार्थियों का भी शोषण करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. स्कूलो में बच्चों को आने जाने के लिए स्कूल प्रबंधन द्वारा वाहनों की व्यवस्था भी की गई, जिसमे शिक्षण शुल्क के अलावा वाहनों का शुल्क अलग व मनमाने तरीके से लिया जा रहा है. जिसका कोई निश्चित मापदंड ही नहीं है. निजी स्कूलों में शिक्षा विभाग के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है. ऐसा ही एक बड़ा मामला कन्नौद के एक निजी विद्यालय का सामने आया है. स्कूल संचालक द्वारा बच्चों को स्कूल वाहनों की बजाय निजी वाहनों में ठूस-ठूस कर ले जाया जा रहा है. स्कूल संचालक की मनमानी के आगे शिक्षा विभाग भी नत मस्तक है. जिम्मेदार कुम्भकर्णी नींद से जागने का नाम नहीं ले रहे हैं. ऐसे में भविष्य में कोई बड़ा हादसा होता है.

7 सवारी के वाहन में 22-23 बच्चे भरे

स्कूल संचालक की नजर में नौनिहालों के जान की कीमत कुछ भी नहीं है. कन्नौद के द संस्कार वैली स्कूल में एक मारुति में 22 बच्चों को ठूस-ठूस कर बैठाने का मामला सामने आया है. जबकि इस वाहन में आरटीओ द्वारा 7 सवारी की क्षमता निर्धारित की गई है. क्षमता से अधिक बच्चे बैठाने का एक वीडियो ग्रामीण ने बनाकर मीडिया को उपलब्ध कराया है. वीडियो ग्राम मोहाई का बताया जा रहा है, यह मारुति विक्रमपुर से कन्नौद बच्चों को लेकर जा रही है, जिसमें ड्राइवर खुद बता रहा है कि वाहन में करीब 20-22 बच्चे हैं. जबकि क्षमता 7 सवारी बैठाने की है. यह वाहन कन्नौद के द संस्कार वैली स्कूल का है. क्षेत्र में ऐसे अन्य वाहन भी क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाकर उनकी जान जोखिम में डाल रहे हैं.

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देवास में बच्चों की की जान से खिलवाड़

स्कूल संचालक द्वारा शिक्षा विभाग एवं यातायात विभाग के नियमों को ताक में रखकर मनमानी की जा रही है. स्कूल वाहन में क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाने पर न तो अभिभावक ध्यान दे रहे हैं और न ही शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी. ऐसे में रोजाना बच्चे अपना जिंदगी दांव पर लगाकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. स्कूली बसों समेत अन्य वाहनों का रंग पीला तो जरूर होता है, लेकिन उन पर स्कूल का पूरा नाम और संचालक का मोबाइल नंबर तक नहीं है. परिवहन विभाग की बड़ी लापरवाही के बाद स्कूली वाहनों में आने-जाने वाले बच्चे किस हालात में अपने घर और स्कूल को जाते हैं. इस बात की जानकारी अभिभावकों को भी नहीं रहती है. इसका फायदा स्कूल वाले उठाते हैं और बच्चों को वाहनों में ठूस ठूस कर भरते हैं. मामले में कन्नौद थाना प्रभारी तहजीब काजी ने बताया कि 'हम अभियान चलाकर स्कूली वाहनों की जांच करेंगे. जो वाहन निर्धारित मापदंड का पालन नहीं करते, उन पर कार्रवाई करेंगे. स्कूली वाहन में क्षमता से अधिक बच्चे बैठाने की सूचना पर हम तत्काल कार्रवाई करेंगे.

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