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ये देवता ब्राह्मणों से नहीं लेते दान, दशहरा उत्सव में भक्तों को दे रहे दर्शन

मणिकर्ण घाटी के एक ऐसे देवता हैं जो ब्राह्मणों से कभी दान नहीं लेते बल्कि ब्राह्मणों को हमेशा दान देते हैं.

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 5 hours ago

DEVTA KALI NAAG JODA NARAYAN
देवता काली नाग जोड़ा नारायण (ETV Bharat)

कुल्लू:ढालपुर में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में जिला कुल्लू के विभिन्न इलाकों से देवी देवता अपने-अपने अस्थाई शिविरों में बैठे हुए हैं. हजारों भक्त देवताओं के दर्शन के लिए आ रहे हैं. सभी देवताओं की अपनी अलग-अलग मान्यताएं हैं. दशहरा उत्सव में एक ऐसे भी देवता हैं जो ब्राह्मणों से कभी दान नहीं लेते बल्कि ब्राह्मणों को हमेशा दान देते हैं. सनातन धर्म में भी ब्राह्मणों को दान देने का विधान लिखा गया है और इंसान के साथ-साथ देवता काली नाग जोड़ा नारायण आज भी इस विधान का पालन कर रहे हैं.

देवता काली नाग जोड़ा नारायण मणिकर्ण घाटी के मतेउड़ा से ढालपुर आए हैं और साथ में उनकी बहन माता उपासना भी कुल्लू दशहरे में आई हुई हैं. देवता काली नाग के देव रथ में देवता जोड़ा नारायण का मोहरा लगा हुआ है जिसके चलते उनका नाम देवता काली नाग जोड़ा नारायण रखा गया है. मान्यता है कि आदिकाल में देवता काली नाग और देवता जोड़ा नारायण का मिलन हुआ था. उस दौरान उन्होंने कसम खाई थी कि वह आज के बाद कभी अलग नहीं होंगे.

इसके अलावा अगर कभी भी बारिश ना हो तो लोग बारिश मांगने के लिए उनके पास जाते हैं. वहीं, अगर कहीं पर बारिश के कारण ज्यादा नुकसान हो रहा है तो भी लोग अपनी समस्या को लेकर देवता के पास जाते हैं. ऐसे में यहां पर देवता की ओर से दशहरा उत्सव में श्रद्धालुओं के लिए भंडारे की भी व्यवस्था की गई है जहां पर रोजाना सैकड़ों लोग अन्न ग्रहण कर रहे हैं.

देवता काली नाग जोड़ा नारायण के पुजारी लौतम राम ने बताया "देवता काली नाग जोड़ा नारायण भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करते हैं. देवता ब्राह्मणों को हमेशा दान देते हैं और आज भी देवता ब्राह्मणों से कभी दान नहीं लेते बल्कि ब्राह्मणों को देवता की ओर से दान दिया जाता है"

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