गिरिडीहः मधुमक्खियों के छत्ते की तरह दिखने वाली घेवर मिठाई. रसदार, स्वाद से भरपूर, एक ही बाइट में जिंदगी का आनंद देने वाली यह मिठाई वैसे तो राजस्थान के परंपरागत भोज का हिस्सा है लेकिन यह मिठाई गिरिडीह के लोगों के रग रग में समाया हुआ है. गिरिडीह में पिछले 4 - 5 दशक से इस मिठाई को बनाया जाता है.
सर्द मौसम आते ही मिलने लगता है घेवर
बरसात के बाद जैसे ही मौसम करवट बदलता है और हल्की-हल्की ठंड पड़ने लगती है तो घेवर मिठाई की सोंधी सोंधी खुशबू गिरिडीह के गलियों में तैरने लगती है. चौक चौराहे पर घेवर बनाने का काम शुरू हो जाता है. लोग घेवर का स्वाद चखते ही आनंदित हो जाते हैं. इस मिठाई को बनाने वाले टुनटुन गुप्ता कहते हैं कि लगभग 40 वर्षों से उनके यहां यह मिठाई बनायी जाती है. बनाने वाले सभी कारीगर यहीं के हैं.
इसी तरह बड़ा चौक के पास दुकान घेवर की दुकान लगाने वाले राजेश कुमार शाहा बताते हैं कि 35-40 वर्ष से उनके यहां घेवर बनाया जाता है. बताया कि दूध और मैदा से यह मिठाई बनती है इसके बाद कई तरह के ड्राई फ्रूट्स, खोवा भी इसमें पड़ता है. बताया कि उनके दादा भी यही मिठाई बनाते और बेचते थे.
मकर संक्रांति में विशेष डिमांड
इस मिठाई को बनाने वाले कारीगर के साथ साथ स्थानीय लोग बताते हैं कि मकर संक्रांति को लेकर इसकी विशेष मांग रहती है. यहां के स्थानीय लोग बताते हैं कि दही चूड़ा के साथ तिलकुट और इस मिठाई को जरूर खाते हैं.