नई दिल्ली:दिल्ली में लगातार आग की घटनाओं खास तौर पर इस साल भीषण गर्मी और हीटवेव के चलते आग लगने के मामलों में बढ़ोतरी रिकॉर्ड की गई . बावजूद इसके दिल्ली सरकार के अस्पतालों में आग की घटनाओं से निपटने के लिए किए जाने वाले इंतजामों को लेकर लचर रवैया और लापरवाही देखी जा रही है. दिल्ली फायर सर्विस की विभाग की ओर से फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट मांगने वाले इन अस्पतालों की जब 'ग्राउंड रियलिटी' चेक की गई तो इनकी तमाम कमियां और खामियां सामने आई हैं. इन सभी खामियों के चलते इन अस्पतालों को दिल्ली फायर सर्विस विभाग ने फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट जारी नहीं किए हैं.
दिल्ली में आग की घटनाओं से निपटने के लिए दिल्ली सरकार के जो बड़े अस्पताल घोर लापरवाही बरत रहे हैं, उनमें खासकर नरेला का सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल, कोकीवाला बाग अशोक विहार का दीपचंद बंधु अस्पताल, हरी नगर का डीडीयू अस्पताल और पीतमपुरा का भगवान महावीर अस्पताल का मामला सामने आया है. इन सभी अस्पतालों में फायर सेफ्टी इंतजामों के निरीक्षण के दौरान घोर लापरवाही सामने आई है. इन अस्पतालों की जब जांच पड़ताल की गई तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. इन सभी कमियों के चलते दिल्ली फायर सर्विस विभाग फिलहाल इन अस्पतालों को एनओसी देने के लिए तैयार नहीं है.
डीएफएस डायरेक्टर की ओर से इन सभी अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं कि वह अस्पतालों में पाई गई इन कमियों को दूर करे. इस स्थिति में उनको फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जा सकता. साथ ही यह एडवाइस दी है कि अगर इन कमियों को दूर किए बिना अस्पतालों की बिल्डिंग या परिसर का संचालन किया जाता है तो यह सब उनके खुद के रिस्क पर होगा और इसकी जिम्मेदारी बिल्डिंग के ओनर या ऑक्यूपायर के ऊपर ही होगी.
दिल्ली सरकार के जिन अस्पतालों में दिल्ली फायर सर्विस विभाग के अधिकारियों ने जून में अलग-अलग तारीखों को जो निरीक्षण/औचक निरीक्षण करने के दौरान कमियां पाई हैं उनका सिलसिलेवार तरीके से यहां जिक्र किया गया है.