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मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे केजरीवाल, सीएम पद से हटाने की दूसरी याचिका भी हुई खारिज - Courts dont remove a CM says HC - COURTS DONT REMOVE A CM SAYS HC

Courts dont remove a CM says HC: दिल्ली हाई कोर्ट ने आबकारी नीति घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तारी के बाद अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से हटाने की जनहित याचिका पर कोर्ट ने विचार करने से इनकार कर दिया.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 4, 2024, 2:38 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. दिल्ली हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें केजरीवाल को दिल्ली के सीएम पद से हटाने की मांग की गई थी. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ऐसी ही एक याचिका खारिज की जा चुकी है. कोर्ट ने कहा कि ये मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को फैसला करना है कि वो राष्ट्रहित में क्या फैसला करते हैं. व्यक्तिगत हितों से राष्ट्र हित ऊपर रखना चाहिए.

सुनवाई के दौरान केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने कहा कि ये याचिका पहले ही वापस ले लेनी चाहिए थी क्योंकि ऐसी ही याचिका सुरजीत सिंह यादव की ओर से दाखिल की गई थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. बता दें कि, दूसरी याचिका हिन्दू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि अरविंद केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया है वे संविधान के तहत गोपनीयता भंग करने के दोषी हैं. उन्हें संविधान के अनुसार हटाया जाना चाहिए.

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याचिका में कहा गया कि केजरीवाल 21 मार्च को गिरफ्तार किए गए हैं और उस दिन से दिल्ली सरकार की ओर से संविधान के अनुच्छेद 154,162 और 163 का पालन नहीं किया जा रहा है. 21 मार्च से दिल्ली सरकार की मंत्रिमंडल नहीं बैठी है ताकि वो उप-राज्यपाल को सलाह दे सके और उस पर उप-राज्यपाल कोई फैसला कर सकें.

यह कोर्ट नहीं कार्यपालिका का काम है:29 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट ने एक ऐसी ही याचिका खारिज कर दिया था. दिल्ली कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि ये कोर्ट का काम नहीं है ये कार्यपालिका का काम है. कोर्ट ने कहा था कि ऐसा कोई कानून बताइए जिसमें मुख्यमंत्री के पद से हटाने का प्रावधान हो. कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई संवैधानिक विफलता है तो राष्ट्रपति या उप-राज्यपाल फैसला करेंगे. इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप की कोई गुंजाईश नहीं है.

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