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हाईकोर्ट ने अयोध्या राम मंदिर प्रसाद मुफ्त बेचने का दावा करने वाली वेबसाइट को सभी सोशल मीडिया से हटाने का दिया आदेश - ram mandir pran pratishtha

Delhi High Court: दिल्ली उच्च न्यायालय ने खादी आर्गेनिक वेबसाइट को सभी सोशल मीडिया से हटाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि वेबसाइट द्वारा अयोध्या राम मंदिर प्रसाद की डिलीवरी के नाम पर बेवकूफ बनाया गया.

delhi high court
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 22, 2024, 2:13 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट ने अयोध्या राम मंदिर प्रसाद की डिलीवरी करने का दावा करने वाली वेबसाइट को सभी सोशल मीडिया से हटाने का आदेश दिया है. जस्टिस संजीव नरुला की बेंच ने कहा कि वेबसाइट लोगों की आस्था और उनकी भावनाओं की आड़ में ठगी कर रही है और वो भी खादी के नाम का उपयोग कर. कोर्ट ने कहा कि वेबसाइट के मालिकों ने आम जनता को बेवकूफ बनाया और जो पैसे लिए उसकी न तो कोई रसीद दी और न ही प्रसाद पहुंचने का कोई प्रमाण दिया.

कोर्ट ने वेबसाइट के दो मालिकों को निर्देश दिया कि वे अपनी वेबसाइट को सोशल मीडिया के पेजों से हटाएं. साथ ही कोर्ट ने इस वेबसाइट को खादी आर्गेनिक चिह्न के नाम से कुछ भी बेचने या सेवा देने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि खादी आर्गेनिक चिह्न का उपयोग कर कुछ भी बेचना या सेवा देना खादी ग्रामोद्योग के ट्रेडमार्क अधिकारों का उल्लंघन है.

याचिका खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि मेसर्स ड्रिलमैप्स इंडिया प्राईवेट लिमिटेड नामक कंपनी ने खादी आर्गेनिक नामक ब्रांड का उपयोग किया. कंपनी के एक मालिक आशीष सिंह ने खादी आर्गेनिक नामक ब्रांड से बेवसाइट पर अयोध्या राम मंदिर प्रसाद बेचना शुरू किया. बेवसाइट पर आम लोगों से कहा गया है कि जो लोग अयोध्या से राम मंदिर प्रसाद मुफ्त में पाना चाहते हैं, वे एक फॉर्म भरकर 51 रूपये का भुगतान करें. वेबसाइट ने विदेशी ग्राहकों के लिए 11 अमेरिकी डॉलर का रेट तय किया था.

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याचिका में कहा गया था कि खादी आर्गेनिक चिह्न खादी ग्रामोद्योग आयोग के खादी ट्रेडमार्क के अधिकारों का उल्लंघन है. वेबसाइट के कथन के मुताबिक, ऐसा प्रतीत होता है कि श्रीराम जन्म प्राण प्रतिष्ठा करा रहे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से खादी ग्रामोद्योग आयोग की संबंद्धता है. याचिका में मांग की गई थी कि इस वेबसाइट को रोका जाए और अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो खादी ग्रामोद्योग आयोग को इसका गंभीर नुकसान होगा.

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