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राजस्थान में 31 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी दीपावली, धर्म सभा में विद्वानों ने लिया निर्णय - DEEPAWALI IN RAJASTHAN

जयपुर के केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में 'दीपावली निर्णय' विषय पर विशेष धर्मसभा हुई. इसमें दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनाने का निर्णय किया गया.

Deepawali  in Rajasthan
राजस्थान में दीपावली मनाने को लेकर धर्मसभा (Photo Etv Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 15, 2024, 8:24 PM IST

Updated : Oct 15, 2024, 8:55 PM IST

जयपुर:देशभर में दीपावाली को लेकर चल रहे असमंजस के बीच छोटी काशी जयपुर में मंगलवार को 80 से ज्यादा विद्वान जुटे. इन विद्वानों ने दीपावली 31 अक्टूबर को ही मनाए जाने का सर्वसम्मति से फैसला लिया. इस निर्णय तक पहुंचने से पहले धर्म सभा का आयोजन हुआ, जिसमें ज्योतिषाचार्य, धर्म शास्त्री और संस्कृत विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किए. इसके साथ ही दीपावली मनाने की तारीख को लेकर चल रहे असमंजस पर विराम लग गया. हालांकि, अयोध्या और रामेश्वरम में 1 नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी.

राजस्थान में 31 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी दीपावली (Etv Bharat Jaipur)

जयपुर के केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के सभागार में मंगलवार को 'दीपावली निर्णय' विषय पर विशेष धर्मसभा आयोजित की गई. यहां सभी ने एक स्वर में कहा कि 'सम्पूर्ण भारतवर्ष में दीपावली का महापर्व इस वर्ष 31 अक्टूबर 2024 गुरुवार को मनाना शास्त्र सम्मत है. इसके अलावा किसी भी अन्य दिन दीपावली मनाना शास्त्रानुसार नहीं है. संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ज्योतिषाचार्य विनोद शास्त्री ने कहा कि दीपावली 31 अक्टूबर को ही है, क्योंकि अमावस्या 31 अक्टूबर को पूरे प्रदोष काल में है.अमावस्या का दर्श भाग भी 31 अक्टूबर को ही है. एक नवंबर को तो अमावस्या सिर्फ 27 मिनट ही है, वो भी दर्श भाग नहीं है.

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व्यापिनी कार्तिक अमावस्या में लक्ष्मीपूजन शास्त्रसम्मत:धर्मसभा में वयोवृद्ध ज्योतिष आचार्य प्रो रामपाल शास्त्री ने तर्क दिया कि सभी सनातन धर्मियों के लिए 31 अक्टूबर 2024 गुरुवार को प्रदोषकाल से मध्यरात्रि व्यापिनी कार्तिक अमावस्या लक्ष्मीपूजन करना शास्त्रसम्मत होगा. राजमार्तण्ड ग्रंथ में कहा गया है कि लक्ष्मी की पूजा सदैव उसी दिन करनी चाहिए, जिस दिन कर्मकाल में तिथि की प्राप्ति होती हो. ये चतुर्दशी मिश्रित अमावस्या में करनी चाहिए.ऐसा व्यास, गर्ग जैसे ऋषियों का कथन है. इस सिद्धांत से 31 अक्टूबर को ही दीपावली शास्त्र सम्मत होगी.कई वर्षों तक चतुर्दशी में अमावस्या आने पर दीपावली भी मनाई है.ये कोई नई बात नहीं है, इसलिए कोई विवाद का प्रश्न ही नहीं है. हालांकि अयोध्या और रामेश्वरम में 1 नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी.

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एक नवंबर को कुछ मिनट के लिए ही है अमावस्या:इस पर धर्म सभा में मौजूद रहे हाथोज धाम के महंत बालमुकुंद आचार्य ने बताया कि 1 नवंबर को कुछ मिनट के लिए ही अमावस्या की व्याप्ति है, इसलिए 31 नवंबर को दीपावली मनाना उचित है. धर्म सभा का ये फैसला पूरे राज्य में प्रभावी होगा.सरकार ने छुट्टी भी 31 अक्टूबर की ही मानी है.उन्होंने बताया कि अलग-अलग देशकाल के अनुरूप सूर्य के उदियात के समय में घटत-बढ़त रहती है. वैसे भी ये पांच दिवसीय उत्सव है, यदि कोई एक नवंबर को भी मना रहा है, तो कोई दिक्कत नहीं है. दीपावली तो हर रोज मनाई जानी चाहिए.इस दौरान आचार्य महामण्डलेश्वर पद्मनाभशरणदेवाचार्य, महन्त मनोहरदास महाराज, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. सुदेश शर्मा, पूर्व कुलपति प्रो. अर्कनाथ चौधरी, ज्योतिषाचार्य प्रो. सतीशचन्द्र शास्त्री सहित कई ज्योतिषाचार्य और विद्वान मौजूद रहे.

Last Updated : Oct 15, 2024, 8:55 PM IST

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