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संसद की सुरक्षा में चूक मामला: आरोपी महेश कुमावत की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित - PARLIAMENT SECURITY BREACH CASE

-कोर्ट ने आरोपियों की न्यायिक हिरासत 30 नवंबर तक बढ़ाने का दिया था आदेश. -दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद रखा फैसला सुरक्षित.

संसद की सुरक्षा में चूक मामला
संसद की सुरक्षा में चूक मामला (ETV Bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 21, 2024, 8:47 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने संसद की सुरक्षा में चूक के आरोपी महेश कुमावत की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. एडिशनल सेशंस जज हरदीप कौर ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. कोर्ट ने जमानत याचिका पर 22 नवंबर को फैसला सुनाने का आदेश दिया. इस मामले में कोर्ट ने 18 नवंबर को आरोपियों की न्यायिक हिरासत 30 नवंबर तक बढ़ाने का आदेश दिया था. वहीं आरोपी नीलम आजाद की जमानत याचिका को भी खारिज कर दिया था. दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि आरोपी संसद भवन को निशाना बनाकर लोकतंत्र को बदनाम करना चाहते थे.

एआईएमआईएम की मान्यता रद्द करने की मांग करनेवाली याचिका खारिज:

दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहाद मुसलिमिन (एआईएमआईएम) की राजनीतिक दल के रुप में मान्यता रद्द करने की मांग करनेवाली याचिका खारिज कर दी है. जस्टिस प्रतीक जालान की बेंच ने याचिका खारिज करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने 7 सितंबर 2018 को एआईएमआईएम और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया था. याचिका तेलंगाना के शिवसेना के नेता टीएन मुरारी ने दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि एआईएमआईएम धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद के सिद्धांतों को नहीं मानती है. याचिका में कहा गया था कि एआईएमआईएम धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है. इसलिए उनकी बतौर राजनीतिक दल मान्यता रद्द की जानी चाहिए. याचिका में कहा गया था कि किसी भी पार्टी का रजिस्ट्रेशन करते समय निर्वाचन आयोग उसके पदाधिकारियों से इस बात का हलफनामा लेता है कि वे देश के संवैधानिक मूल्यों का पालन करेंगे. याचिका में कहा गया है कि एआईएमआईएम किसी खास धर्म के बढ़ावा के लिए काम करती है.

वहीं, कोर्ट ने कहा कि भ्रष्ट आचरण को परिभाषित करते समय चुनाव प्रक्रिया के समय का विवाद है. और उसके लिए चुनाव याचिका या जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8ए के तहत उम्मीदवारों की अयोग्यता के लिए याचिकाएं दायर की जाती हैं. कोर्ट ने साफ किया कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 का प्रावधान किसी राजनीतिक दल के रजिस्ट्रेशन के लिए जरुरी नहीं होते हैं. धारा 123 का प्रावधान संबंधित चुनाव के परिणाम या किसी को चुनाव में हिस्सा लेने से अयोग्य करार देने से जुड़ा हुआ है. ऐसे में याचिकाकर्ता की धारा 123 के प्रावधान से जुड़ी दलील खारिज की जाती है.

रिश्वत लेने के आरोपी इंस्पेक्टर को मिली जमानत:

वहीं एक अन्य मामले में राऊज एवेन्यू कोर्ट ने पुलिस इंस्पेक्टर के नाम पर दस लाख रुपये लेने के आरोपी सब-इंस्पेक्टर को जमानत दे दी है. स्पेशल जज संजीव अग्रवाल ने आरोपी सब-इंस्पेक्टर को पचास हजार रुपये के मुचलके पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. इस मामले में सब-इंस्पेक्टर भूपेश कुमार को सीबीआई ने 15 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था. कोर्ट ने कहा कि इस मामले के सह आरोपी संदीप कुमार अहलावत को 5 नवंबर को जमानत मिल चुकी है और रिश्वत की रकम भी बरामद हो गई है.

सीबीआई ने किया विरोध: जमानत याचिका का विरोध करते सीबीआई ने कहा कि आरोपी सब-इंस्पेक्टर भूपेश कुमार स्थानीय है और अगर उसे जमानत दी जाती है तो वो निश्चित रूप से गवाहों को प्रभावित करने और साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने की कोशिश करेगा. इससे जांच बुरी तरह प्रभावित होगी. सीबीआई ने कहा कि आरोपी इंस्पेक्टर संदीप अहलावत को दस लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था. गिरफ्तारी के समय सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया था.

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