जयपुर: चार दिन पहले 'दादी' शब्द के इस्तेमाल को लेकर राजस्थान की विधानसभा में शुरू हुआ गतिरोध लगातार सोमवार को भी जारी रहा. सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से कई बार इस गतिरोध को खत्म करने को लेकर चर्चाएं हुईं, लेकिन ये सभी प्रयास निरर्थक साबित हुए. पहले कौन माफी मांगे? इसी बात पर सदन में सोमवार को दिन भर हंगामा होता रहा.
सदन में गतिरोध को खत्म करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने दोनों ही पार्टियों के नेताओं को अपने चैंबर में बुलाया और अलग से वार्ता की, लेकिन जैसे ही सदन में चर्चा शुरू हुई. वैसे ही 'पहले माफी कौन मांगे?' के मुद्दे पर हर बार गतिरोध बन जाता. सत्ता पक्ष विपक्ष से तो विपक्ष सत्ता से माफी की मांग करता और सदन में फिर विपक्ष का हंगामा शुरू हो जाता. हालात ये रहे कि विपक्ष ने बजट पर चर्चा की कार्रवाई से बहिष्कार कर दिया.
निलंबित सदस्यों के विधानसभा में आने पर रोक:दूसरी ओर विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने आसन की बात नहीं मानने पर निलंबित 6 विधायकों के विधानसभा में आने पर रोक लगा दी. मार्शल को निर्देश दिए कि वे इन्हें अंदर नहीं आने दे. इस दौरान निलंबित विधायकों और मार्शल के बीच हल्की धक्का मुक्की भी देखी गई. सत्ता पक्ष विधायकों ने सदन में दिनभर चले हाई वोल्टेज ड्रामे को काले दिवस की संज्ञा दी. उन्होंने कहा कि राजस्थान ही नहीं, बल्कि देश के इतिहास में यह दिन कलंकित करने वाला रहेगा.
पढ़ें: कांग्रेस का विधानसभा घेराव : पुलिस ने कार्यकर्ताओं पर छोड़ा वाटर कैनन, हिरासत में लिया
कलंकित करने वाला दिन: सदन में दिन भर चले गतिरोध पर संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लेकर हमारे मंत्री ने कोई गलत या अमर्यादित शब्द का इस्तेमाल नहीं किया. सिर्फ उनका नाम लेना और यह कहना आपकी दादी सवर्गीय इंदिरा गांधी के नाम की योजनाएं थी. यह कोई असंसदीय शब्द नहीं है. ये संसदीय नियमों के विपरीत भाषा भी नहीं है. इसके बावजूद एक दूसरे को नीचा दिखाने के चलते ये गतिरोध बना रखा है. पटेल ने कहा कि आज का दिन विधानसभा को कलंकित करने वाला दिन रहा.
मुख्यमंत्री ने कहा, बड़ा दिल रखो:इस मामले में मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने भी कहा कि बड़ा दिल रख कर भी हमें गतिरोध तोड़ने की पहल करनी पड़े तो करना चाहिए. हम इस गतिरोध को तोड़ना चाहते है. हमने इसके लिए प्रयास भी किया, लेकिन कांग्रेस के नेता इसको लेकर तैयार नहीं. कांग्रेस के वरिष्ठ साथियों सचिन पायलट, टीकाराम जूली और राजेन्द्र पारीक ने भी प्रयास किया. विधानसभा अध्यक्ष के चैंबर में सबकी मौजूदगी में लिखित रूप से सब तय हुआ, लेकिन जब सदन में बोलने की बात आई तो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा अपनी बात से मुकर गए. इसके चलते गतिरोध बढ़ता चला गया.
संसदीय परंपराओं में ऐसा पहली बार:पटेल ने कहा कि विधायक गोविंद सिंह डोटासरा निलंबित थे. इसके बावजूद अध्यक्ष ने उन्हें विशेष व्यवस्था के तहत बुलाकर उन्हें बात रखने का मौका दिया. संसदीय परंपरा में ऐसा पहली बार हुआ कि निलंबित सदस्य को बात रखने दी गई. वहां उन्होंने सबके सामने मंजूर किया था कि हम प्रतिरोध तोड़ने के लिए खेद प्रकट करेंगे. यह विश्वास दिलाएंगे कि भविष्य में इस तरह की घटना नहीं होगी, लेकिन उन्होंने उस बात को नहीं माना और जो कहना था वह नहीं कहा. संसदीय परंपराओं को तोड़ा. पटेल ने कहा कि जहां तक मंत्री के माफी मांगने की बात है हम माफी मांगने को तैयार थे, लेकिन जिस तरह का रवैया विपक्ष ने अपनाया उसके बाद हम किसी भी स्थिति में अब माफी नहीं मांगेंगे.
यह भी पढ़ें: विधानसभा में तैनात किए गए मार्शल, स्पीकर बोले- कोई यह चाहे कि सदन हाईजैक कर लूं, ऐसा नहीं चलेगा
दिन भर चला गतिरोध:बता दें कि दादी शब्द को लेकर शुक्रवार से शुरू हुआ विवाद सोमवार को भी विधानसभा में छाया रहा. इसके चलते दिनभर गतिरोध रहा. सोमवार को सदन की कार्रवाई प्रश्नकाल के साथ शुरू हुई, लेकिन विपक्ष मंत्री से माफी मांगने पर अड़ा रहा. विपक्ष के हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही को तीन बार स्थगित करना पड़ा. प्रश्नकाल के दौरान तीन सवाल पूरे होने के साथ बढ़ते हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित करना पड़ी. दोपहर 12:00 बजे फिर कार्यवाही शुरू हुई, लेकिन विपक्ष का हंगामा फिर बरकरार रहा.
शून्यकाल के दौरान विपक्ष नारेबाजी करते हुए विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी की तरफ बढ़ने लगे. इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने मार्शल को बुलाया और उन्हें रोका. हंगामा बढ़ता देख सदन की कार्यवाही को दोपहर 1:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. 2:00 बजे बाद फिर सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्ष का हंगामा बरकरार रहा. इस बीच विधानसभा अध्यक्ष से पूर्व में हुई चर्चा के अनुरूप कांग्रेस की ओर से नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और राजेंद्र पारीक ने अपनी बात रखी. इसके बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को निलंबित होने के बाद विशेष व्यवस्था के लिहाज से बात रखने को बुलाया. डोटासरा ने सदन में मंत्री के बयान से लेकर आज तक की कार्यवाही पर खेद प्रकट तो किया, लेकिन अपनी व्यक्तिगत घटना पर माफी नहीं मांगी. इसके चलते सत्ता पक्ष ने एतराज किया. जूली ने बजट बहस की कार्यवाही से बहिष्कार कर बाहर निकल गए.
मार्शल किए तैनात: उधर, विपक्ष की ओर से किए जा रहे हंगामे के बाद विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने भी कड़ा रुख अपनाया. निलंबित कांग्रेस के सभी छह विधायकों के सदन में आने पर रोक लगा दी. कांग्रेस के तमाम विधायक विधानसभा से बाहर आ गए और नारेबाजी करने लगे. इसके बाद निलंबित 6 विधायकों में से तीन विधायक हाकम अली खान, रामकेश मीणा और जाकिर हुसैन विधानसभा के अंदर जाने लगे तो मार्शल ने उन्हें रोक दिया. कांग्रेस विधायकों ने कहा कि वे अपना सामान लेने के लिए अंदर जाना चाह रहे हैं, लेकिन उन्हें अंदर जाने से रोका जा रहा है. बाद में कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक राजेंद्र पारीक विधायकों को समझाइश कर अपने साथ ले गए.