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आखिर क्यों रद्द किए गये टेंडर ? दरभंगा में विधायक की शिकायत पर निगरानी विभाग ने भवन निर्माण के कार्यों की जांच की - VIGILANCE DEPARTMENT

DARBHANGA VIGILANCE DEPARTMENT: दरभंगा के केवटी विधायक की शिकायत के बाद निगरानी विभाग की टीम ने भवन निर्माण के निर्माण कार्यों की जांच की. जांच में क्या सामने आया इसको लेकर विभाग ने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया ,पढ़िये पूरी खबर

निगरानी की टीम ने की जांच
निगरानी की टीम ने की जांच (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 18, 2024, 10:51 PM IST

दरभंगाःभवन निर्माण विभाग के सचिव के निर्देशानुसार निगरानी विभाग की एक सदस्यीय टीम नेदरभंगामें विभाग से जुड़े निर्माण कार्यों की जांच की. केवटी के बीजेपी विधायक मुरारी मोहन झा की शिकायत के बाद विभाग की ओर से जांच के आदेश दिए गए है. विधायक ने विभाग की ओर से निकाले गये टेंडर को रद्द किए जाने की जांच की मांग की थी.

टीम ने कुछ भी बताने से किया इंकारःनिगरानी विभाग की टीम ने सर्किट हाउस, अधीक्षण अभियंता के आवासीय परिसर, ऑफिसर्स कॉलोनी सहित अन्य सरकारी भवनों की जांच की. जांच के बाद निगरानी विभाग के अधिकारी कुछ भी बताने से परहेज करते रहे. जांच के बाद निगरानी विभाग की टीम वापस लौट गयी.

दो-दो बार टेंडर रद्द किए गयेःजानकारी के मुताबिक 2022-23 में 112 ग्रुप में कुल 5 करोड़ का टेंडर निकाला गया था. बाद में उस टेंडर को रद्द कर करीब 3 करोड़ रुपये का काम विभाग की ओर कराया गया. इसके बाद 2023-24 में भी आवासों में रखरखाव के लिए आठ ग्रुप में 20 लाख रुपए का टेंडर निकाला गया. उसे भी कार्यपालक अभियंता की अनुशंसा पर अधीक्षण अभियंता ने निविदा को रद्द कर दिया. दोनों वर्ष के टेडर को रद्द कर विभागीय कार्य कराए गये.

नियमों की अवहेलना का आरोपः सरकारी नियमों को अनुसार 5 लाख रुपये से अधिक का काम विभागीय स्तर पर नहीं करवाया जा सकता है. ऐसे में विधायक ने ये सवाल उठाए थे कि आखिर किन परिस्थितियों में विभागीय कार्य करवाया गया. इसी को लेकर विधायक ने पत्र लिखकर जांच की मांग की थी. जिसके बाद निगरानी की टीम पूरे मामले की जांच के लिए पहुंची थी.

उपेंद्र कुमार थे तत्कालीन कार्यपालक अभियंताः जानकारी के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2022-23 में कार्यपालक अभियंता के पद पर उपेंद्र कुमार पदस्थापित थे. लेकिन उनका तबादला होने के बाद समस्तीपुर के कार्यपालक अभियंता राजीव कुमार दोसे तीन महीने तक चार्ज में रहे थे. वही कार्यालय परिसर में उपस्थित ठेकेदारों का आरोप था कि अभियंताओं ने मनचाहे ठेकेदार से काम करवाकर निम्नस्तरीय काम करवाया गया और पैसे की लूट की गयी.

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