पटना :'14 सितंबर को पूर्व विधायक के बेटेडिजिटल अरेस्टहुए, 29 अक्टूबर को आईआईटी पटना का छात्र, 18 नवंबर को रिटायर्ड महिला प्रोफेसर तो 21 नवंबर को दरभंगा के व्यवसायी', ये तो मजह 4 आंकड़े हम आपके सामने रखे हैं. ऐसे न जाने बिहार में कितने लोग हैं जो आजकल साइबर अपराधियों के चंगुल में फंस रहे हैं.
साइबर ठगी के 300 से अधिक मामले : साइबर अपराध का लेखा जोखा रखने वाली संस्था नेशनल क्राईम रिर्पोटिंग पोर्टल के अनुसार हाल के दिनों में बिहार में साइबर ठगी से जुड़े करीब 300 मामले सामने आए हैं. जिसमें 10 करोड़ रुपए तक की ठगी कर ली गई है. वहीं आर्थिक अपराध इकाई के अनुसार समय पर सूचना मिलने पर करीब 1.5 करोड रुपए की राशि को होल्ड कराया गया है.
कैसे बढ़े बिहार में साइबर अपराध के मामले : NCRP पर बिहार राज्य से संबंधित साइबर ठगी (ऑनलाईन वित्तीय धोखाधड़ी) के वर्ष 2022 में 10240 शिकायतें दर्ज किये गये, जबकि वर्ष 2023 में शिकायतों का आंकड़ा 42033 पर पहुंच गया. वहीं वर्ष 2024 में साइबर ठगी के अक्टूबर माह के अंत तक कुल 61725 शिकायतें दर्ज की गई हैं.
इस साल अबतक 674 करोड़ की राशि :NCRP पर अब तक (माह अक्टूबर 2024 के अंत तक) प्रतिवेदित शिकायतों में करीब 674 करोड़ की राशि की ठगी प्रतिवेदित हुई है. जिसके विरूद्ध करीब 94.5 करोड़ की राशि को बचाया (होल्ड) कराया गया है.
लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर रहे साइबर अपराधी : आंकड़ों से साफ है कि बिहार में साइबर अपराध के मामले काफी बढ़े हैं. साइबर ठग अब लोगों को डिजिटल अरेस्ट करने लगे हैं. खुद को वीडियो कॉल करके बड़ा अधिकारी बता रहे हैं और लोगों को करोड़ों का चूना लगा रहे हैं. बीते 2 महीने में ही दर्जन भर से अधिक डिजिटल अरेस्ट के मामले सामने आ चुके हैं.
आम से लेकर खास तक हर कोई बन रहा निशाना : इसमें हैरानी की बात है कि जांच एजेंसी भी अभी तक कोई खास उपलब्धि इन मामलों में हासिल नहीं कर पाई है. ऐसे में साइबर अपराधियों के मनोबल भी बढ़े हुए हैं. साइबर अपराधियों का मनोबल इस कदर बढ़ा हुआ है कि आम लोग तो छोड़िए, बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों को भी अपना शिकार बनाने लगे हैं.
क्या है डिजिटल अरेस्ट ? : अब सवाल उठता है कि आखिर ये डिजिटल अरेस्ट है क्या? साइबर एक्सपर्ट अंकुर कुमार बताते हैं कि डिजिटल अरेस्ट में व्यक्ति के पास अननोन नंबर से वीडियो कॉल के जरिए संपर्क किया जाता है. इसमें सामने बैठा व्यक्ति पुलिस की वर्दी में रहता है अथवा किसी बड़े पदाधिकारी की पोशाक में रहता है. जहां से वीडियो कॉल में दिखता है कि कॉल किसी सरकारी दफ्तर से है.
''साइबर ठग की ओर से व्यक्ति को अलग-अलग बातों में डराया और धमकाया जाता है, जिसमें व्यक्ति फंस जाते हैं. इसके बाद व्यक्ति को कई दिनों अथवा कई घंटे तक कैमरे के सामने बैठे रहने को कहा जाता है. इस दौरान साइबर ठग उस व्यक्ति की कई पर्सनल जानकारी हासिल कर लेते हैं और बैंक डिटेल्स निकाल लेते हैं. इसके बाद सभी को मिलाकर बैंक अकाउंट से पैसे उड़ा लेते हैं.''- अंकुर कुमार, साइबर एक्सपर्ट
क्या कहता है EOU ? : आर्थिक अपराध इकाई (EOU) का कहना है कि साइबर अपराधी अब डिजिटल अरेस्ट का तरीका अपना कर लोगों से ठगी कर रहे हैं. इसमें साइबर ठग खुद को पुलिस का बड़ा अधिकारी बताते हैं. लेकिन लोगों को यह जानना जरूरी है कि पुलिस, बैंक अथवा कोई भी जांच एजेंसी आपसे फोन पर भुगतान या बैंक डिटेल्स की जानकारी नहीं मांगती है. इसके अलावा जांच एजेंसियां संचार के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नहीं करते. ना हीं वीडियो कॉल अथवा वॉइस कॉल के आधार पर बयान दर्ज किया जाता है. पुलिस जब किसी को कॉल करती है तो उसे अन्य लोगों से बातचीत करने से रोकती अथवा धमकाती नहीं है.
''अगर किसी को ऐसे फोन कॉल आ रहे हैं तो अपनी कोई भी व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचें. उस कॉल डिटेल और यदि लेनदेन किए हैं तो सभी साक्ष्य को सहेज कर रखें. इसके बाद तुरंत इसकी शिकायत इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर में करें अथवा पुलिस स्टेशन को इसकी जानकारी दें. साइबर अपराध से जुड़े हेल्पलाइन नंबर 1930 पर भी कॉल करके कंप्लेंट दर्ज कर सकते हैं.''- जेएस गंगवार, एडीजी, बिहार पुलिस मुख्यालय
जानकारी ही बचाव है : बिहार पुलिस मुख्यालय के एडीजी जेएस गंगवार बताते हैं कि साइबर अपराध में जानकारी ही बचाव है. काफी पढ़े लिखे लोग भी साइबर अपराध के शिकार हो रहे हैं. इसलिए साइबर अपराध से बचने के लिए जगह-जगह जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. लोगों से आग्रह किया जा रहा है कि किसी को भी अपनी व्यक्तिगत जानकारी नहीं दें.
''सभी जिलों में साइबर थाना पिछले वर्ष ही खुल चुका है, जहां मामले आने पर अनुसंधान हो रहे हैं. समय-समय पर साइबर थाना के इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर को हार्ड ट्रेनिंग भी दी जाती है. साइबर अपराध के मामले सामने आने पर बिहार पुलिस काफी तेजी से रिस्पांस करती है. रिस्पांस के मामले में देश में बिहार पहले अथवा दूसरे स्थान पर रहता है.''-जेएस गंगवार, एडीजी, बिहार पुलिस मुख्यालय