सासाराम:बिहार के रोहतास में आदिवासी समाज का धार्मिक धरोहर अति प्राचीन शिव मंदिर सोन नदी के तट पर अवस्थित है. झारखंडी महादेव मंदिरके नाम से जाने वाले इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए काफी दूरदराज से लोग आते हैं. वहीं, सावन के महीने में यहां लोगों की भारी भीड़ जमा होती है, जिसमें महिलाओं और खासकर कुंवारी लड़कियों की संख्या अत्याधिक होती है. ऐसा माना जाता है कि कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर मांगती हैं और भगवान भोलेनाथ उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं.
झारखंडी महादेव मंदिर का ऐतिहासिक महत्व:मंदिर के बारे में स्थानीय लोग बताते हैं कि हजारों साल पूर्व चेरो खरवार का जब साम्राज्य हुआ करता था, तब से यह प्राचीन मंदिर चर्चा में है. कहा जाता है कि इस मंदिर में कुंआरी कन्याएं भगवान शिव से मनचाहा वर मांगती हैं वो पूरी हो जाती है. वहीं इस मंदिर में वर-वधू की शादी के लिए झारखंड, यूपी ,छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों से भी लोग आते हैं और बेटे-बेटियों की शादी कर भगवान भोले का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
डेहरी में स्थित है झारखंडी मंदिर:रोहतास जिले के डेहरी के एनीकट स्थित प्राचीन झारखंडी महादेव मंदिर काफी प्रसिद्ध है. मंदिर के अंदर पूर्व मध्यकालीन काले पत्थरों से बनी मूर्तियां इसके ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को प्रसिद्धि दिलाती हैं. यही कारण है कि यहां आईपीएस और आईएएस भी भगवान भोले का आशीर्वाद लेने आते हैं. लोग संतान की कामना भी करते हैं. बताया जाता है कि शावर जनजातियों के आराध्य देव भगवान शिव हैं, जिनकी कालांतर में यहां शासन व्यवस्था थी. वहीं 1865 में यही से विश्व विख्यात सोनहर प्रणाली निकली है. झारखंडी महादेव के प्रसिद्ध मंदिर में चतुर्भुज लघु स्तंभ मंदिर के प्राचीन कुएं पर खुदाई के दौरान मिले थे. जो यहां अवस्थित है, जिसकी श्रद्धालु पूजा करते हैं.
"सोन नदी के तट पर अवस्थित झारखंडी महादेव मंदिर की प्रसिद्ध काफी दूर-दूर तक फैली हुई है. यहां मनोकामना जो भी मांगी जाती है, भगवान शिव हर भक्त की मनोकामना को पूर्ण करते हैं. यही कारण है कि यहां बिहार के अन्य राज्यों के अलावे भी लोग जलाभिषेक करने को आते हैं."-पप्पू कुमार सिंह, स्थानीय