देहरादून: बजट की कमी से जूझ रहा गढ़ी कैंट बोर्ड सरकार के कई विभागों से भी परेशान है. बोर्ड को कई सरकारी भवनों से बकाया कर नहीं मिल रहा है. कर जमा नहीं करने वालों में सीएम आवास से लेकर राजभवन और बीजापुर गेस्ट हाउस तक शामिल हैं. गढ़ी कैंट बोर्ड में पांच ऐसे सरकारी भवन हैं, जिन पर प्रॉपर्टी टैक्स के रूप में करोड़ों रुपए बकाया है.
सरकारी भवनों पर कर का करोड़ों रुपए बकाया: गढ़ी कैंट बोर्ड के अंतर्गत पांच बड़े सरकारी भवन आते हैं. इनमें सीएम आवास, राजभवन, बीजापुर गेस्ट हाउस, एफआरआई और प्रेमनगर का सरकारी हॉस्पिटल शामिल है. इसमें से कुछ भवनों जैसे राजभवन ने तो अपना कर जमा कर दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री आवास का साल 2009 से कोई टैक्स जमा नहीं हुआ है. इस तरह कुल मिलाकर मुख्यमंत्री आवास पर करीब 85 लाख से ज्यादा का कर बकाया है.
राजभवन ने 23 में 13 लाख रुपए ही जमा कराया: वहीं, राजभवन पर भी साल 2022 से अब तक का करीब 23 लाख रुपए का कर था. इसमें से 13 लाख रुपए जमा किए जा चुके हैं. अभी भी करीब 10 लाख रुपए का बकाया कर है. वहीं बीजापुर गेस्ट हाउस पर साल 2022 से अब तक 20 लाख रुपए से ज्यादा का कर बकाया है.
प्रेम नगर सरकारी हॉस्पिटल पर 58 लाख रुपए बकाया: इसके अलावा प्रेमनगर में संयुक्त अस्पताल स्वास्थ्य विभाग के अधीन है. इस अपस्ताल पर साल 2022 से अब तक 58 लाख रुपए कर बकाया है. कई बार छावनी परिषद की ओर से सीएमओ देहरादून को इस संबध में पत्र लिखा गया है, लेकिन आज तक बकाया कर जमा नहीं किया गया है.
एफआरआई ने पांच करोड़ से ज्यादा देने हैं:सबसे बुरी हालत एफआरआई की है. एफआरआई पर करीब साढ़े पांच करोड़ कर बकाया है. जब कैंट बोर्ड ने बार-बार पत्राचार किया तो एफआरआई ने कर बकाया तीन हिस्सों में विभाजित कर दिया. साथ ही आधा हिस्सा एफआरआई का है, जबकि बाकी आधे में सेंटर एकेडमी स्टेट फॉरेस्ट और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी का क्षेत्र है. जिसके बाद बोर्ड ने 2.63 करोड़ के कर वसूली के लिए एफआरआई और बाकी के ढाई करोड़ का बिल दोनों संस्थानों को भेजा है.