देहरादून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2047 तक देश को ड्रग फ्री कंट्री बनाने का लक्ष्य तय किया है. इससे दो कदम आगे बढ़ते हुए उत्तराखंड सरकार ने साल 2025 तक राज्य को ड्रग फ्री स्टेट बनाने के लक्ष्य से खुद को जोड़ा है. खास बात यह है कि पिछले कुछ समय में राज्य में लक्ष्य को पूरा करने के लिए पुलिस ने अभियान भी तेज किया है. जिला स्तर पर पुलिस अपनी कार्रवाई कर रही है, जबकि राज्य में एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का भी गठन कर लिया गया है, जिसमें स्पेशल टास्क फोर्स को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है.
उत्तराखंड में पिछले 3 साल में 5 हजार से ज्यादा केस दर्ज:आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तराखंड में पिछले 3 साल के दौरान नशे की रोकथाम से जुड़े करीब 5080 से ज्यादा केस दर्ज किए गए हैं. इन मामलों में 588 लोगों की गिरफ्तारी भी की गई है. इतना ही नहीं नशा तस्करों पर कठोर कानूनी कार्रवाई के लिए ऐसे मामलों से जुड़े तस्करों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत भी केस किए गए हैं और इसी के तहत उनकी संपत्तियों को भी जब्त किया जा रहा है. बताया गया है कि ऐसे तस्करों की करीब 3 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई है. इसके अलावा उत्तराखंड के साथ-साथ पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश भी नशे के कारोबारियों के टारगेट पर है. रिकॉर्ड के अनुसार हिमाचल प्रदेश में साल 2021 में करीब 1500 केस दर्ज किए गए. साल 2022 में यह आंकड़ा 1,517 पहुंचा, जबकि साल 2023 में करीब 2,147 मामले दर्ज हुए हैं.
कार्रवाई के दौरान भारी मात्रा में नशीले पदार्थ बरामद:स्पेशल टास्क फोर्स के एसएसपी आयुष अग्रवाल ने बताया कि राज्य में नशा तस्करों की गैंग को खत्म करने के लिए लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं. इस दौरान बड़ी मात्रा में चरस, गांजा, स्मैक, भांग की खेती, नशे के इंजेक्शन और कई दूसरी नशे की सामग्री को जब्त किया गया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में न केवल मैदानी जिले, बल्कि पर्वतीय जिलों में भी नशा तस्कर इस कारोबार को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि लगातार सख्त कार्रवाई करते हुए उनकी धर-पकड़ कर उनके मंसूबों को नाकामयाब भी किया जा रहा है.