आगरा :शरद पूर्णिमा पर मोहब्बत की निशानी ताजमहल की 'चमकी' देखने का क्रेज देशी और विदेशी पर्यटकों में खूब होता है. इसके दीदार के लिए चार दिन के सभी स्लॉट के टिकट बुक हो चुके हैं. हर कोई चांदनी रात में ताज का दीदार करना चाहता है. सुपर मून की किरणें ताजमहल के धवल संगमरमरी बदन पर अठखेलियां करती हैं तो ताजमहल दमकता और चमकता है. यही ताजमहल की 'चमकी' है. जिसकी टिकटों को लेकर खूब मारामारी रही. वहीं मेहताब बाग के पास यमुना किनारे बने एडीए ताज व्यू प्वॉइंट से आप चमकी के दीदार किए जा सकते हैं. इसके लिए पर्यटकों को एडीए ताज व्यू प्वॉइंट पर टिकट मिल सकता है.
बता दें कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की ओर से शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में ताजमहल की 'चमकी' देखने के लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग हो रही है. चार दिन के सभी स्लॉट बुक हो गए हैं. ये टिकट देशी और विदेशी पर्यटक ने बुक कराए हैं, जो शरद पूर्णिमा के फुल मून में ताजमहल का दीदार करेंगे. टिकट बुक कराने में दिल्ली, मुम्बई, बेंगलुरू, अहमदाबाद, पुणे, देहरादून, भोपाल, लखनऊ, जयपुर, जोधपुर समेत अन्य शहरों के साथ ही विदेशी पर्यटकों ने भी मून नाइट में ताजमहल निहारने की टिकट बुक कराई है.
ताजमहल की 'चमकी' क्या है? :वरिष्ठ टूरिस्ट गाइड शमशुद्दीन ने बताया कि हर साल देशी-विदेशी पर्यटक शरद पूर्णिमा का एक साल तक इंतजार करते हैं. पूर्णिमा की चांदनी रात में ताजमहल के धवल संगमरमरी बदन पर चंद्रमा की किरणों जब अठखेलियां करती हैं तो ताजमहल पर जड़े बेसकीमती पत्थर (सेमी प्रीसियस और प्रीसियस स्टोन) चमकने लगते हैं. यह नजारा बेहद अद्भुत होता है. इसे ही 'चमकी' कहते हैं. साल में सिर्फ पांच दिन ही 'चमकी' देखने का मौका मिलता है. मगर, इस साल पर्यटक चार दिन ही चमकी देख सकेगे. इसलिए सैलानियों में 'चमकी' का क्रेज है.
पहले शरद पूर्णिमा पर लगता था रात भर मेला :वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर राजे बताते हैं कि शरद पूर्णिमा पर चांद की दूधिया रोशनी जब ताजमहल के धवल संगमरमरी बदन पर पड़ती है तो ताजमहल का सौंदर्य और निखर उठता है. सन् 1984 से पहले ताजमहल रात में भी खुलता था, तब शरद पूर्णिमा पर ताजमहल परिसर में मेला लगता था. इस दौरान लोग रात में चमकी देखते थे. तब पांच नहीं, सात दिनों तक चमकी देखी जाती थी. इस दौरान ताजमहल परिसर में पूरी रात बच्चे, युवा और बड़ों की यही आवाज गूंजती थी... ‘ये चमकी, वो चमकी’.