पटना: बिहार का संजय गांधी जैविक उद्यान यानी पटना जूगैंडा कंजर्वेशन के लिए देश ही नहीं बल्कि दुनिया में प्रसिद्ध है. सेंट्रल जू अथॉरिटी के मुताबिक पटना गैंडा कंजर्वेशन के लिए स्पेशल सेंटर है. यहां ब्रीडिंग प्रोग्राम चलाया जाता है. सबसे अधिक गैंडों की ब्रीडिंग पटना जू में होती है. यहां देश का पहला गैंडा प्रजनन केंद्र है.
पटना जू में 13 राइनो:दुनिया भर में अमेरिका के सैन डियागो जू के बाद सबसे अधिक राइनो यानी गैंडा पटना जू में ही है. सैन डियागो जू में जहां 15 राइनो है, वहीं पटना जू में 13 राइनो है. बिहार सरकार ने लक्ष्य रखा है कि अगले कुछ वर्षों में पटना जू में गैंडों की संख्या 22 किया जाए.
पटना जू का फैन है सैन डियागो जू:राइनो कंजर्वेशन में पटना जू ने जिस प्रकार से बीते कुछ वर्षों में उपलब्धि हासिल की है, इसका परिणाम है कि सैन डियागो जू प्रबंधन भी पटना जू का फैन बन गया है. वहां का प्रबंधन भी अब पटना जू के राइनो की डिमांड कर रहा है. सैन डियागो जू ने पटना जू के एक नर गैंडे के बदले तीन जिराफ और दो मादा गैंडे की डील कर डाली है. पटना जू में अभी के समय आठ नर गैंडा और पांच मादा गैंडा है.
पहली बार 1979 में पटना जू आया था गैंडा:पटना जू प्रबंधन की मानें तो पटना स्थित संजय गांधी जैविक उद्यान में 28 मई 1979 को एक जोड़ा नर-मादा गैंडा लाया गया था. इसमें एक नर 2 साल का और मादा 5 साल की थी. इसके बाद 28 मार्च 1982 को तीसरा गैंडा लाया गया. इसके बाद धीरे धीरे यहां गैंडों की संख्या में बढ़ोतरी हो गई. देश-विदेश के अन्य चिड़ियाघरों में गैंडा भेजने के बाद भी पटना जू गैंडों की संरक्षण में विश्व में नंबर वन है. यहां अदला-बदली कार्यक्रम के तहत दूसरे चिड़ियाघरों में गैंडा भेज कर दूसरे जानवरों को लाया जाता है. पटना जू से 50 से अधिक गैंडा दूसरे जू भेजे जा चुके हैं और उनके बदले दूसरे जानवर पटना जू में आए हैं.