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अमेरिका का सैन डियागो जू प्रबंधन पटना जू का फैन, देश का पहला गैंडा प्रजनन केंद्र है यहां - first rhinoceros breeding center

By ETV Bharat Bihar Team

Published : 4 hours ago

Updated : 4 hours ago

बिहार के पटना संजय गांधी जैविक उद्यान में 13 गैंडे हैं. पटना जू प्रबंधन ने 5 साल में गैंडों की संख्या 13 से 22 तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. अमेरिका का सैन डियागो जू प्रबंधन भी पटना जू का फैन बन गया है. वहां का प्रबंधन भी अब पटना जू के राइनो की डिमांड कर रहा है. पढ़ें पूरी खबर

FIRST RHINOCEROS BREEDING CENTER
पटना जू में देश का पहला गैंडा प्रजनन केंद्र (ETV Bharat)

पटना: बिहार का संजय गांधी जैविक उद्यान यानी पटना जूगैंडा कंजर्वेशन के लिए देश ही नहीं बल्कि दुनिया में प्रसिद्ध है. सेंट्रल जू अथॉरिटी के मुताबिक पटना गैंडा कंजर्वेशन के लिए स्पेशल सेंटर है. यहां ब्रीडिंग प्रोग्राम चलाया जाता है. सबसे अधिक गैंडों की ब्रीडिंग पटना जू में होती है. यहां देश का पहला गैंडा प्रजनन केंद्र है.

पटना जू में 13 राइनो:दुनिया भर में अमेरिका के सैन डियागो जू के बाद सबसे अधिक राइनो यानी गैंडा पटना जू में ही है. सैन डियागो जू में जहां 15 राइनो है, वहीं पटना जू में 13 राइनो है. बिहार सरकार ने लक्ष्य रखा है कि अगले कुछ वर्षों में पटना जू में गैंडों की संख्या 22 किया जाए.

पटना जू में 13 राइनो (ETV Bharat)

पटना जू का फैन है सैन डियागो जू:राइनो कंजर्वेशन में पटना जू ने जिस प्रकार से बीते कुछ वर्षों में उपलब्धि हासिल की है, इसका परिणाम है कि सैन डियागो जू प्रबंधन भी पटना जू का फैन बन गया है. वहां का प्रबंधन भी अब पटना जू के राइनो की डिमांड कर रहा है. सैन डियागो जू ने पटना जू के एक नर गैंडे के बदले तीन जिराफ और दो मादा गैंडे की डील कर डाली है. पटना जू में अभी के समय आठ नर गैंडा और पांच मादा गैंडा है.

पहली बार 1979 में पटना जू आया था गैंडा:पटना जू प्रबंधन की मानें तो पटना स्थित संजय गांधी जैविक उद्यान में 28 मई 1979 को एक जोड़ा नर-मादा गैंडा लाया गया था. इसमें एक नर 2 साल का और मादा 5 साल की थी. इसके बाद 28 मार्च 1982 को तीसरा गैंडा लाया गया. इसके बाद धीरे धीरे यहां गैंडों की संख्या में बढ़ोतरी हो गई. देश-विदेश के अन्य चिड़ियाघरों में गैंडा भेजने के बाद भी पटना जू गैंडों की संरक्षण में विश्व में नंबर वन है. यहां अदला-बदली कार्यक्रम के तहत दूसरे चिड़ियाघरों में गैंडा भेज कर दूसरे जानवरों को लाया जाता है. पटना जू से 50 से अधिक गैंडा दूसरे जू भेजे जा चुके हैं और उनके बदले दूसरे जानवर पटना जू में आए हैं.

पटना जू का फैन है सैन डियागो जू (ETV Bharat)

यहां का माहौल गैंडा के लिए काफी अनुकूल: पटना जू के डायरेक्टर डॉ सत्यजीत कुमार ने बताया कि यहां का माहौल गैंडों के लिए काफी अनुकूल है. इसलिए यहां प्रजनन दर भी अच्छा है. मोर्टालिटी रेट भी कम है. यही कारण है कि यहां गैंडों की संख्या बढ़ रही है.

"पटना जू से भारत के अन्य राज्य के अलावा विदेशों में भी गैंडे भेजे गए हैं. पिछले वर्ष एक मादा गैंडा हड़ताली की बूढ़े होने पर मौत हो गई थी. इसके बावजूद यहां देश में सबसे अधिक और दुनिया में दूसरे नंबर पर गैंडे की संख्या है. जल्द ही पटना जू गैंडा के मामले में सबसे बड़ा केंद्र बन जाएगा. सैन डियागो जू से सिर्फ दो गैंडे की संख्या कम है."-डॉ सत्यजीत कुमार,डायरेक्टर,पटना जू

पटना में देश का पहला गैंडा प्रजनन केंद्र: पटना में गैंडों की संख्या को लेकर सेंट्रल जू ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ने देश का पहला गैंडा प्रजनन केंद्र पटना में शुरू किया. साल 2020 के अगस्त महीने में इसे शुरू किया गया और इसे बनाने का काम साल 2008 से शुरू हुआ था. यह केंद्र 3.5 एकड़ में फैला है. इस केंद्र को केंद्रीय चिडियाघर प्राधिकरण के सहयोग से 538.74 लाख रुपए की लागत से बनाया गया. इसमें 25 गैंडों को रखने की क्षमता है. पटना जू प्रबंधन ने 5 साल में गैंडों की संख्या 13 से 22 तक पहुंचाने का लक्ष्य है.

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