रांची: बांग्लादेशी घुसपैठ और डेमोग्राफिक चेंज के सवाल पर "बिहार से आकर बिहारी के रामगढ का मुखिया" बनने वाला बयान देने वालीं कांग्रेस विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने मीडिया के सामने आकर सफाई दी है. विधायक ने कहा कि उन्होंने अपने दो मिनट के इंटरव्यू में एक बार भी घुसपैठिये शब्द का इस्तेमाल नहीं किया. मेरी बातों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया .
कांग्रेस विधायक ने कहा कि आज भी मैं इस बात पर अडिग हूं कि बाहरी लोगों की वजह से झारखंड का डेमोग्राफिक चेंज हुआ है. पांचवीं अनुसूची क्षेत्र के बावजूद कानून को ताक पर रख कर आदिवासियों की जमीन हड़पी गयी और बड़े-बड़े अपार्टमेंट, मॉल किसने बनाये. तत्कालीन सीएम रघुवर दास के कार्यकाल में 1985 स्थानीय नीति वाले कानून से अपार्टमेंट में रहने वाले लोग भी स्थानीय बन गए, यह एक सच्चाई है.
'मेरे बयान से भाजपा का गुस्सा स्वाभाविक'
मांडर से कांग्रेसी विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि मेरे बयान से भाजपाइयों को दर्द होना स्वाभाविक है लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनको यह नागवार लगा है. उन्होंने कहा कि दो दो राज्यों में वोटर कार्ड और तीन तीन राज्यों में राशन कार्ड रखने वाले लोगों को मेरी बात अच्छी नहीं लगेगी. लेकिन यह सच्चाई है कि झारखंड का डेमोग्राफी में बदलाव हुआ है और इस बहस को मैं रांची से शुरू करूंगी.
'बिहार से सटे इलाके में ज्यादा घटी है आदिवासियों की संख्या'
एक एजेंसी द्वारा कराए गए रिसर्च का जिक्र करते हुए विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि 1900 में इस इलाके में आदिवासियों की जनसंख्या 65% थी जो 1991 में 27% रह गयी. रिसर्च यह भी बताता है कि बिहार के बॉर्डर वाले प्रखंड में आदिवासियों की संख्या अधिक घटी, बाहरी लोगों का आना, जनगणना डेटा में हेरफेर जैसी बातें भी हुई हैं.