जयपुर.कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य आनंद शर्मा शुक्रवार को जयपुर पहुंचे और प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मेनिफेस्टो कमेटी की बैठक ली. इस बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किए जाने वाले मुद्दों को लेकर पार्टी नेताओं और सिविल सोसायटी से चर्चा की गई. मीडिया से बातचीत में आनंद शर्मा ने भाजपा पर राम मंदिर के नाम पर राजनीती करने का आरोप लगाया और कहा कि सनातन धर्म किसी की बपौती नहीं है. भाजपा 1980 में बनी है. क्या सनातन धर्म उनका हो गया? देश की हजारों साल पुरानी संस्कृति है.
हार सच्चाई है, लोकतंत्र हार-जीत दो पहलू: प्रदेश में कांग्रेस की लगातार दो लोकसभा चुनाव में हार के सवाल पर आनंद शर्मा बोले, वह तो एक सच्चाई है कि हम हार रहे हैं. लोकतंत्र में विजय और पराजय दो पहलू होते हैं. कांग्रेस पार्टी एक बड़ा राजनीतिक दल है. 138 साल पूरे कर चुकी है. अब अगले चुनाव की तैयारी है. हम अगले चुनाव की तैयारी में लग गए हैं. मेनिफेस्टो के रूप में जो भी हम प्रस्ताव तैयार करें. उसमें लोगों की नाम सहमति हो, यह हमारा प्रयास रहेगा. जो भी प्राथमिकताएं अलग-अलग राज्यों से आएगी. प्रयास करेंगे कि उन्हें मेनिफेस्टो में शामिल करें.
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कहीं दिखाई नहीं दे रहा भाजपा की जीत का उत्सव:आनंद शर्मा ने कहा कि जो देश में चल रहा है. वह राजनीति के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है. चुनी हुई सरकारों का दायित्व होता है. संविधान के प्रति और मतदाताओं के प्रति विधानसभा चुनावों में कई राज्यों में थोड़ा फर्क रहा है. राजस्थान में भी रहा. लेकिन जिस तरह उन्होंने कमान दी है. उस पर लोग हर्षोल्लास नहीं कर रहे हैं. कहीं उत्सव दिखाई नहीं दे रहा है. राजस्थान हो या मध्यप्रदेश, विजय का उत्सव होता है. लेकिन ऐसा है नहीं.
अभी सिर्फ शोर है, कांग्रेस ने मंदिर पर राजनीती नहीं की: आनंद शर्मा बोले, यह समय की बात है. यह शोर है. अभी इस मुद्दे (राम मंदिर) पर राजनीति भाजपा और आरएसएस कर रही है. साफ दिख रहा है. जब शिलान्यास हुआ था, किसकी सरकार थी. हमने तो उसे भुनाने की कभी कोशिश नहीं की. राम में सबकी आस्था है. जो जाना चाहेगा, सब जाएंगे. आस्था और समय अनुसार लोग राम मंदिर जाएंगे.
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जिम्मेदारों के लिए पहला ग्रंथ संविधान है:आनंद शर्मा ने कहा, आस्था-आस्था है और सनातन धर्म में जो बाहुल्य है. उसकी आस्था के लोग हैं. लेकिन आस्था निजी बात होती है. मेरी भी आस्था है. लेकिन मैंने अपनी आस्था को राजनीति में नहीं इस्तेमाल किया. जिनको देश और समाज चलना है, जिन पर जिम्मेदारी है. उनके लिए पहला धर्म ग्रंथ भारत का संविधान है.