नूंह: गोरक्षा के नाम पर लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाने और पिछले साल जिले में हुई सांप्रदायिक हिंसा की न्यायिक जांच कराने जैसे वादे कांग्रेस उम्मीदवार आफताब अहमद ने किए हैं. आफताब अहमद ने कहा कि सांप्रदायिक हिंसा से पहले ही चेतावनी दी गई थी और उन्होंने प्रशासन के सामने पहले ही चिंता जताई थी, लेकिन उन्होंने "इसे होने दिया", जिससे ना केवल जान-माल का नुकसान हुआ, बल्कि आस्था को भी ठेस पहुंची.
गौरक्षकों पर हिंसा का आरोप: आफताब अहमद ने कहा "पिछले साल नूंह जिले में हुई सांप्रदायिक हिंसा का कारण भाजपा द्वारा 'गौरक्षकों' के वेश में असामाजिक तत्वों का प्रचार करना था, उन्होंने भय का माहौल बनाया और माहौल को उत्तेजित कर दिया. विधायक के रूप में मैंने प्रशासन के संज्ञान में लाया कि 'आपको ऐसी घटनाओं को रोकना चाहिए' लेकिन उन्होंने ऐसा होने दिया." उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रेवाड़ी में एक बैठक में व्यस्त थे.
नूंह हिंसा की न्यायिक जांच की मांग: कांग्रेस उम्मीदवार ने कहा कि दोनों पक्षों के असामाजिक तत्वों द्वारा चुनौती दिए जाने के बावजूद पूरे मार्ग के लिए केवल 300 पुलिसकर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गई थी. उन्होंने इसे होने दिया और आज तक हम मांग कर रहे हैं कि जिम्मेदार अधिकारियों, ऐसी हिंसा के कारणों और उनके द्वारा हिंसा से निपटने के तरीके का पता लगाने के लिए न्यायिक जांच की जाए.