पटनाःजेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमारने जब 2019 में बेगूसराय लोकसभा सीट से सीपीआई के टिकट पर चुनाव लड़ा तो पूरे देश में सुर्खियां बटोरीं. कन्हैया के प्रचार के लिए देश के हर क्षेत्र की जानी मानी हस्तियां पहुंचीं, हालांकि कन्हैया कुमार मोदी मैजिक से पार नहीं पा सके और बहुत बड़े अंतर से चुनाव हार गये. अब 5 साल बाद फिर कन्हैया की चर्चा तो है लेकिन इस बात के लिए कि कन्हैया कहां गायब हो गये हैं, आखिर क्या होगा उनका सियासी भविष्य ?
2019 में हार के बाद कांग्रेस में आए कन्हैयाः 2019 में बेगूसराय से हार के बाद अपनी सियासत चमकाने के लिए कन्हैया कुमार ने बिहार में करीब-करीब हाशिये पर जा चुकी कांग्रेस ज्वाइन की. कांग्रेस नेतृत्व भी कन्हैया के आने से उत्साहित था, उसे लग रहा था कि बोलने में माहिर कन्हैया बिहार में पार्टी को पुनर्जीवित करने में कामयाब होंगे, लेकिन लालू-तेजस्वी की आंखों की किरकिरी बने कन्हैया धीरे-धीरे साइड लाइन कर दिए गये.
कभी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में थे कन्हैयाः कन्हैया कुमार के कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद ये भी कयास लगाए जा रहे थे कि इस युवा और तेजतर्रार नेता को बिहार कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है लेकिन प्रदेश अध्यक्ष तो बनाना दूर लालू-तेजस्वी के दबाव में उन्हें 2020 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने कोई बड़ी भूमिका नहीं दी.
कहां है् कन्हैया कुमार ?: अपने सियासी भविष्य की तलाश में सीपीआई से कांग्रेस में आए कन्हैया कुमार फिलहाल सियासी फलक से गायब हैं. माना जा रहा था कि इस बार भी कन्हैया कुमार बेगूसराय से कांग्रेस के टिकट पर गिरिराज सिंह को चुनौती देंगे, लेकिन बेगूसराय सीट सीपीआई के खाते में चली गयी. जिसके बाद बेगूसराय तो छोड़ ही दीजिए कन्हैया कुमार के लोकसभा चुनाव लड़ने पर सस्पेंस बना हुआ है.
बीजेपी ने कसा तंजःकन्हैया के अरमानों पर पानी फिरने के बाद बीजेपी और जेडीयू तंज कस रहे हैं. बीजेपी प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल का कहना है कि लालू और तेजस्वी यादव का महागठबंधन में दबदबा है. उन्हें लगेगा कि कोई भी चुनौती दे रहा है तो उसे हाशिये पर पहुंचा दिया जाएगा. कन्हैया कुमार हो चाहे पप्पू यादव इसके उदाहरण हैं.
'कांग्रेस बेबस और लाचार': बीजेपी के साथ-साथ जेडीयू ने भी इस मामले को लेकर निशाना साधा है. जेडीयू प्रवक्ता हेमराज राम का कहना है कि "लालू यादव और तेजस्वी यादव ने कांग्रेस को बेबस, लाचार और अपाहिज बना दिया है.कांग्रेस ने तेजस्वी यादव के इशारे पर कन्हैया और पप्पू यादव से विश्वासघात और धोखा किया है."
तेजस्वी के कारण कन्हैया दरकिनार !:इस मुद्दे पर राजनीतिक विशेषज्ञ प्रियरंजन भारती का कहना है कि "कन्हैया कुमार तेज तर्रार वक्ता हैं.युवा वर्ग को खास रूप से प्रभावित करते हैं. बिहार में तेजस्वी यादव भी युवा है लालू प्रसाद यादव नहीं चाहते हैं कि तेजस्वी के मुकाबले कोई भी युवा चेहरा सामने हो. 2020 में भी यह चर्चा में रहा कि कन्हैया कुमार को तेजस्वी के कारण ही बिहार में चुनाव प्रचार में तवज्जो नहीं दी गई."