लखनऊ:अनुसंधान अभिकल्प और मानव संगठन (आरडीएसओ) में गुरुवार से तीन दिवसीय इनो रेल प्रदर्शनी की शुरुआत हुई है. इस प्रदर्शनी में देश की तो कंपनियां हिस्सा ले ही रही हैं, विदेश की तमाम कंपनियां भी शिरकत करने पहुंची हैं. विश्व के 10 देश इस प्रदर्शनी में अपने रेल उपकरणों के साथ आए हैं. लगभग डेढ़ सौ स्टॉल यहां पर लगाए गए हैं.
आरडीएसओ ने भी अपने अत्याधुनिक उपकरणों का प्रदर्शन किया है. इसके अलावा मेक इन इंडिया के तहत रेलवे उपकरण बनाने वाली देश की अन्य कंपनियों ने भी अपने उपकरणों का प्रदर्शन किया. 30 नवंबर तक यह प्रदर्शनी लगी रहेगी. बड़ी संख्या में लोग यहां पर प्रदर्शनी में आए उपकरणों को देखने पहुंच रहे हैं. इस प्रदर्शनी में सिविल कंस्ट्रक्शन, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, सिग्नलिंग एंड टेलीकॉम सिस्टम, रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम, मेट्रो एंड आरआरटीएस सिस्टम, कंपनियों की नई प्लानिंग व लॉन्चिंग, रेलवे के क्षेत्र में कंपनियों के डीलिंग समेत कई महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराईं जा रही हैं.
10 देशों की कंपनियों ने प्रदर्शित किए मॉडर्न उपकरण (Video Credit; ETV Bharat) इनो रेल इंडिया के आयोजन का यह छठवां संस्करण है. हर दो साल पर आयोजित होने वाले इस आयोजन का पहला संस्करण 2014 में आयोजित हुआ था. साल 2022 में भी आरडीएसओ में ही इसका आयोजन हुआ था, जिसमें करीब 12,000 से ज्यादा मेहमानों ने शिरकत की थी. भारत के अलावा ऑस्ट्रिया, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, कोरिया, रूस, स्पेन, स्विट्जरलैंड, ताइवान, यूक्रेन, यूके और यूएसए की 200 से अधिक कंपनियों ने हिस्सा लिया था. इस बार रेलवे के विभिन्न विभागों के इंजीनियर इसमें अपनी नई तकनीकों के बारे में बता रहे हैं. दुनिया भर की कंपनियां अपने नए उत्पादों के बारे में जानकारी दे रही हैं. आरडीएसओ के महानिदेशक उदय बोरवणकर का कहना है कि प्रदर्शनी में डेढ़ सौ से ज्यादा स्टॉल हैं. 10 से अधिक देशों की कंपनियां इसमें हिस्सा ले रही है. अपनी नई टेक्नोलॉजी का प्रदर्शन कर रही हैं. इनो रेल मतलब इनोवेशन, नए विचार, नए आइडियाज का आदान-प्रदान होगा. सभी इंजीनियर, साइंटिस्ट और स्टूडेंट यहां आए इस एग्जीबिशन में भरपूर लाभ उठाएं. अपना ज्ञानवर्धन करें. नई टेक्नोलॉजी को समझें और भारतीय रेल के साथ ज्यादा से ज्यादा संख्या में जुड़ें. उन्होंने बताया कि इस प्रदर्शनी में जर्मनी, ऑस्ट्रिया, रूस, यूनाइटेड स्टेट्स, यूनाइटेड किंगडम जैसे बड़े देश शामिल हुए हैं. हम रिएक्टिव मेंटेनेंस और प्रोडक्टिव मेंटिनेस की तरफ मूव कर रहे हैं. किसी इक्विपमेंट के फेल्योर होने से पहले से ही समझ लें इस पर काम हो रहा है. अच्छी गति की जो ट्रेन हैं उस तरह की टेक्नोलॉजी, मॉडर्न सिगनलिंग सिस्टम, मॉडर्न ट्रैक फिटिंग और परिचालन के क्षेत्र में जो भी टेक्नोलॉजी है वह यहां प्रदर्शित हो रही है.
आरडीएसओ के महानिदेशक का कहना है कि एआई बेस्ड टेक्नोलॉजी पर भारतीय रेल का बहुत ज्यादा फोकस है. इस पर हम काम भी कर रहे हैं. सर्दी में फॉग की समस्या अभी भी बनी हुई है. फॉग में दो तरह की चुनौतियां हैं. एक तो सेफ्टी की चुनौती है, जिसमें ऐसा ना हो कि ड्राइवर से कोई सिग्नल मिस हो जाए और कोई दुर्घटना हो जाए. दूसरी स्पीड मेंटेनेंस की चुनौती है. सेफ्टी की चुनौती को हमने ओवर कम कर लिया है. हमने लोकोमोटिव में एक ऐसा डिवाइस लगाया है जिससे अगला सिग्नल कहां पर स्थित है, कितनी दूरी पर है, उसका हमेशा ड्राइवर को हर सिग्नल का फोरकास्ट उस डिवाइस में आ जाता है. इससे पता लग जाता है और लोको पायलट चौकन्ना हो जाता है. अब हम नई टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं. फॉग विजन में क्लियर विजन मिले यह टेक्नोलॉजी भी शीघ्र आने वाली है. लोकोमोटिव में और भी कई तरह के काम हो रहे हैं. क्लोज सर्किट कैमरा लग रहे हैं. वॉइस रिकॉर्डिंग इक्विपमेंट लग रहे हैं. सेफ्टी और पंक्चुअलिटी दोनों में अच्छा करने का प्रयास है. बहुत तेजी से हम काम कर रहे हैं. फाग डिवाइस की टेक्नोलॉजी बहुत जल्दी आ जाएगी. जो टेक्निकल फेल्योर हैं उसके लिए नई-नई टेक्नोलॉजी हम डेवलप कर रहे हैं. अब दुर्घटना से पहले ही हमें संकेत मिल जाए इस तरह की टेक्नोलॉजी विकसित कर रहे हैं.
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