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सीएम योगी ने की 'संस्कृत छात्रवृत्ति योजना' की शुरुआत, कल तक खातों में पहुंच जाएंगे पैसे, इन बच्चों को सौंपा चेक

Sanskrit Scholarship:सीएम योगी संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में संस्कृत छात्रवृत्ति योजना की शुरुआत की.विद्यार्थियों को पहली बार एक साथ छात्रवत्ति योजना का लाभ मिला.

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संपूर्णानंद विश्वविद्यालय में संस्कृत छात्रवृत्ति योजना (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 4 hours ago

वाराणसी:मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में 'संस्कृत छात्रवृत्ति योजना' की शुरुआत की. प्रदेश के संस्कृत के विद्यार्थियों को पहली बार एकसाथ छात्रवत्ति योजना का लाभ मिल रहा है. सीएम योगी ने इस मौके पर 69,195 विद्यार्थियों को 586 लाख रुपये की छात्रवृत्ति का वितरण किया. उन्होंने मंच से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में 12 बच्चों को प्रतीकात्मक चेक प्रदान करके 'संस्कृत छात्रवृत्ति योजना' की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि कल तक 69,195 छात्रों के बैंक अकाउंट में छात्रवृत्ति की धनराशि पहुंच जाएगी.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज वाराणसी में थे. यहां उन्होंने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में 'संस्कृत छात्रवृत्ति योजना' की शुरुआत की. कार्यक्रम के मंच पर उनके साथ कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा, श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर, उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. दयाशंकर मिश्र 'दयालु' मौजूद थे. इनके साथ ही वाराणसी से महापौर अशोक तिवारी, विधायक नीलकण्ठ तिवारी, डॉ. सुनील पटेल, सौरभ श्रीवास्तव, नील रतन सिंह, त्रिभुवन राम, डॉ. अवधेश सिंह कार्यक्रम में मौजूद थे.

300 छात्रों के लिए स्कॉलरशिप की व्यवस्था थी:नम: पार्वती पतये, हर-हर महादेव' के जयघोष के साथ सीएम योगी ने अपने भाषण की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि यह समारोह संस्कृत के लिए, भारतीय संस्कृति के लिए और उसकी आत्मा की दृष्टि से महत्वपूर्ण समारोह है. मुझे आश्चर्य होता है गरीब छात्रों के लिए छात्रवृत्ति होनी चाहिए. लेकिन, संस्कृत को उससे क्यों उपेक्षित किया गया मुझे नहीं समझ आया. अभी तक केवल 25 करोड़ की आबादी में केवल 300 बच्चों के लिए स्कॉलरशिप की व्यवस्था थी. वह भी छात्रों को पता नहीं होता था और कोई आवेदन नहीं कर पाता था.

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मान्यता न होने के कारण छात्र नहीं आ रहे थे: सीएम योगी ने कहा, कि संपूर्णानंद संस्कृत विश्विद्यालय से जब प्रथमा, पूर्व मध्यमा, उत्तर मध्यमा की भी मान्यता प्राप्त होती थी तब नेपाल और देश के अलग-अलग जगहों के छात्र काशी और गोरखपुर में भी अध्ययन करने के लिए आते थे. साल 2001 में उत्तर प्रदेश संस्कृत परिषद बना. परिषद को मान्यता नहीं मिली, लेकिन छात्रों प्रवेश होता रहा. कभी प्रयास नहीं हो पाया कि हम इस संस्कृत परिषद को मान्यता दिला पाएं. मैंने एक बार पूछा कि संस्कृत से छात्र क्यों भाग रहे हैं तो पता लगा कि मान्यता न होने के कारण बाहर के बच्चे अब आने से कतराते हैं.

उत्तर प्रदेश संस्कृत परिषद की मान्यता बहाल कराई:सीएम योगी ने कहा कि, हम लोगों उत्तर प्रदेश संस्कृत परिषद की मान्यता बहाल करवाई. संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में मान्यता पहले से थी. यह देश का प्राचीन संस्कृत विश्वविद्यालय है. उत्तर प्रदेश संस्कृत परिषद को मान्यता तब मिल पाई जब हम लोगों की सरकार साल 2017 में आई. आज उत्तर प्रदेश संस्कृत परिषद को भी मान्यता मिली हुई है. अब छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. उन्होंने कहा, कि पहले तो संस्कृत के बच्चों को स्कॉलरशिप नहीं मिलती थी, उसमें भी आयु सीमा जोड़ दी गई. हम लोगों ने कहा कि संस्कृत के साथ जुड़ने वाले हर छात्र को छात्रवृत्ति मिलनी चाहिए.

69,195 छात्रों के बैंक अकाउंट में पहुंच जाएगी छात्रवृत्ति:उन्होंने कहा कि कल तक 69,195 छात्रों के बैंक अकाउंट में छात्रवृत्ति की धनराशि पहुंच जाएगी. उत्तर प्रदेश के अंदर जितने भी संस्कृत के बच्चे हैं, प्रथमा से लेकर आचार्य तक, इन सभी के फॉर्म भरवाने हैं, सभी को ये स्कॉलरशिप उपलब्ध करवानी है. इसके लिए हर संस्थान को लगना पड़ेगा. अपने स्तर पर प्रयास करना पड़ेगा. विपरीत परिस्थितियों में संस्कृत को बचाए रखने, उसके संरक्षण के लिए, उसके संवर्धन के लिए जो प्रयास हुआ है. उत्तर प्रदेश के अंदर लगभग 1.50 लाख बच्चे ऐसे हैं जो संस्कृत के साथ अपना जीवन समर्पित करते हुए भारतीय संस्कृति के लिए अपना जीवन बढ़ा रहे हैं.

ऐसे विद्यालय जो गुरुकुल की परंपरा को पुनर्जीवित कर सकें:सीएम योगी ने कहा कि, आगे हम व्यवस्था करने जा रहे हैं कि अब संस्कृत विद्यालयों में हम एड उन्हीं संस्थानों को देंगे जो अपने यहां छात्रों के लिए नि:शुल्क छात्रावास की व्यवस्था करेंगे और खाने-पीने की व्यवस्था करेंगे. जहां पर भी कोई व्यक्ति, कोई आश्रम, कोई न्यास अच्छा छात्रावास, विद्यालय बनाकर देगा, बच्चों के खाने-पीने की नि:शुल्क व्यवस्था देगा, वहां हम अनुदान देकर उस संस्थान को संस्कृत की मान्यता के लिए अच्छे आचार्यों की नियुक्ति के लिए एक स्वतंत्रता भी देंगे. हमने कहा है कि युद्धस्तर पर प्रदेशभर में इस प्रकार के विद्यालय खोलें जो गुरुकुल की परंपरा को पुनर्जीवित कर सकें.

इन बच्चों को सौंपा प्रतीकात्मक चेक:मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में 12 बच्चों को प्रतीकात्मक चेक प्रदान करके 'संस्कृत छात्रवृत्ति योजना' की शुरुआत की. इसमें सुहानी कुमारी, तनुजा शुक्ला, रंजना कुमारी, कृष्णा द्विवेदी, आर्यन चतुर्वेदी, अभिनव मिश्रा, स्मति पाठक, अमन पाठक, योगेश कुमार दूबे, प्रिंस पांडेय, हर्ष कुमार मिश्रा और ज्योति शामिल थे. सीएम योगी ने कहा कि गुरुकुल की परंपरा ने भारत को विश्वगुरू के रूप में स्थापित किया. इस परंपरा के कारण ही विपरीत परिस्थितियों में भी हमारी सनातन संस्कृति, तमाम झंझावातों का मुकाबला करते हुए भी आज जीवित बनी हुई है, सुरक्षित है.

प्रदेश सरकार ने संस्कृत के लिए कई प्रयास:प्रदेश की योगी सरकार ने 518 मानदेय संस्कृत शिक्षकों की नियुक्ति, 04 व्यावसायिक डिप्लोमा पाठ्यक्रम (पौरोहित्य, व्यावहारिक वास्तुशास्त्र, व्यावहारिक ज्योतिष एवं योग विज्ञान) की शुरुआत की, 12 करोड़ रुपये से लखनऊ में उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा निदेशालय एवं उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद भवन की स्थापना, अशासकीय सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों के जीर्णोद्धार एवं सुविधा विकास हेतु 'सहयोगी अनुदान योजना' की शुरुआत की गई है.

किया गया संस्कृत पाठ्यक्रम का पुनर्संयोजन:इसके साथ ही प्रदेश सरकार ने 24 जनपदों के 130 संस्कृत विद्यालयों के जीर्णोद्धार के लिए 34.12 करोड़ की परियोजनाएं स्वीकृत कीं. इसके साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुसार संस्कृत पाठ्यक्रम का पुनर्संयोजन एवं आधुनिक विषयों में एनसीईआरटी की पुस्तकें लागू की गईं. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद को भारत सरकार की मान्यता भी मिली है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने संस्कृत को व्यावसायिक शिक्षा बनाने एवं उसके साथ छात्रों को जोड़ने के लिए ऐसे ही कई प्रयास किए हैं.

हम स्कॉलशिप की घोषणा करने जा रहे हैं:सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जो भी आचार्य और छात्र संस्कृत में विशिष्ट शोध की थीसिस लिखेंगे, कुछ अच्छा कार्य करेंगे, मैं उन सभी को आश्वत करता हूं कि उनके लिए हम एक अच्छी स्कॉलरशिप की घोषणा करने जा रहे हैं. हम उन्हें दो से तीन वर्ष के, एक निश्चित अवधि के लिए स्कॉलशिप देंगे. वह इन तीन वर्षों के अंदर बिना किसी चिंता के अपने शोध के कार्य को आगे बढ़ा सके. साथ ही इसके माध्यम से वह भारतीय संस्कृति के मूल तत्व को दुनिया के सामने रख सके. यह आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है.

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