भेड़िया के हमले में घायलों से मिलते सीएम योगी (Video Credit; ETV Bharat) बहराइच:भेड़िये के हमले में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों और घायलों से मिलने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को हेलीकॉप्टर से बहराइच के महसी के सिसौया चूड़ामणि गांव पहुंचे. जहां उन्होंने भेड़िया के हमले में घायल लोगों से मुलाकात की साथ ही जिला प्रशासन से जानकारी ली. इसके बाद उन्होंने मृतक के परिजनों से बात कर उनका हाल जाना और उनको ढाढस बंधाया. मुख्यमंत्री ने उपस्थित लोगों को संबोधित किया. जिसमें उन्होंने कहा कि, भेड़िया जहां भी लोगों पर हमला करते दिखे तो उसे गोली मार दो. इसके साथ ही उन्होने कहा कि, भेड़िया के जितने भी हमले हुए हैं सबके पास अपने पक्के आवास हैं, लेकिन गर्मी के कारण वह बाहर सोते हैं. उसी दौरान जंगली जानवर को हमला करने का अवसर मिलता है. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने अपने घरों पर दरवाजे नहीं लगाए थे. उनके दरवाजा लगाने की व्यवस्था की गई है. साथ ही जिनके घर में शौचालय नहीं बने हैं उनके घरों में शौचालय बनने की व्यवस्था की गई है.
सीएम योगी ने कहा कि, जंगली जीव जंगल और कछार क्षेत्र में रहते हैं लेकिन पानी भर जाने से वह मानव बस्ती की ओर पलायन करते हैं. अगर एक शिकार उनके हाथ लग गया तो वह बार बार हमला करते हैं, उन्होंने कहा कि बीते दो महीने में करीब 20 से 25 किलोमीटर के दायरे में हमले हो रहे हैं. इस पर रोकथाम के लिए जिला प्रशासन और वन विभाग की ओर से हरसंभव उपाय किए जा रहे हैं, उसमे सफलता भी मिली है. मुख्यमंत्री ने सभा स्थल पर एक महिला के बच्चे को गोद में लेकर उसको दुलार किया.बच्चा मुख्यमंत्री की गोद में काफी खुश दिखा. इसके साथ ही उन्होंने सभी बच्चों को चाकलेट दिया.
सीएम योगी ने घायलों का जान हालचाल (Video Credit; ETV Bharat) गोरखपुर:उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को गोरखपुर में महंत दिग्विजयनाथ की 55वीं और महंत अवेद्यनाथ की 10वीं पुण्यतिथि पर आयोजित सम्मेलन में हिस्सा लिया. इस मौके पर सीएम योगी ने कहा कि, दुनिया में जब सभ्यता, संस्कृति और मानवीय मूल्यों के प्रति आग्रह नहीं था, तब भारत में सभ्यता, संस्कृति और मानवीय जीवन मूल्य चरम पर थे. भारतीय सभ्यता और संस्कृति प्राचीन काल से लेकर वर्तमान काल तक लोकतांत्रिक मूल्यों से परिपूर्ण है. इसका उद्देश्य किसी को नुकसान करना या किसी पर जबरन शासन करना नहीं था, बल्कि इसकी भावना ‘सर्वे भवंतु सुखिनः’ की रही है. इसका नया स्वरूप आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ सबका विकास’ के संकल्प में दिखता है. हमारी ऋषि परंपरा "जियो और जीने दो" की रही है, क्योंकि यही सच्चा लोकतंत्र है.
सम्मेलन के मुख्य अतिथि के रूप में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह शामिल हुए. सीएम योगी ने आगे कहा कि, लोकतंत्र को लेकर वैदिक काल से लेकर रामायणकालीन और महाभारतकालीन अनेक उद्धरण देखने को मिलते हैं. भारत के लोकतंत्र में प्राचीन समय से लेकर आज तक जनता की आवाज और जनता के हित को ही सर्वोपरि रखा गया है. भारतीय सभ्यता में हमेशा ही यह कह गया है कि प्रजा का सुख ही राजा का दायित्व है. रामायण काल में भगवान श्रीराम ने भी अक्षरशः जनता की आवाज को महत्व दिया, भगवान श्रीकृष्ण ने भी खुद को कभी राजा नहीं समझा. उनके समय में वरिष्ठ व्यक्ति के नेतृत्व में गणपरिषद शासन का कार्य देखती थी. द्वारिका में जब अंतर्द्वंद्व प्रारंभ हुआ तब इस परिषद के सदस्य आपस में लड़कर मर-मिट गए. उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने परिषद के सदस्यों की दुर्गति पर कहा था कि राज्य के नियम प्रत्येक नागरिक पर समान रूप से लागू होते हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में कुछ लोगों पर गुलामी की मानसिकता आज भी हावी है. जबकि भारत में लोकतंत्र की जड़ें प्राचीन समय से ही गहरी रही हैं. उन्होंने बताया कि भारत तब गुलाम हुआ जब लोकतंत्र की विरासत को संजोने में चूक हुई. उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत में निरंकुश राजा को सत्ताच्युत करने का अधिकार जनता के प्रतिनिधित्व वाले परिषद के पास होता था. लोकतंत्र में यह स्पष्ट है कि जनता का हित ही सर्वोच्च है. प्राचीन काल में देखें तो वैशाली गणराज्य इसका एक उदाहरण है जहां पूरी व्यवस्था जनता के हितों के लिए समर्पित थी.
वहीं ‘लोकतंत्र की जननी है भारत’ विषय पर आयोजित सम्मेलन के मुख्य अतिथि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि, लोकतंत्र के संस्कार पांच हजार वर्ष पुराने भारतीय मूल्यों से गढ़े गए हैं. सही मायने में भारतीय मूल्यों और संस्कारों से ही लोकतंत्र चल रहा है. उन्होंने कहा कि खुलकर अपनी बात रखना ही लोकतंत्र का यथार्थ है और यह मूल्य भारत की हजारों वर्षों की परंपरा में निहित रहे. भारतीय लोकतंत्र में जनता को हर प्रकार की आजादी के साथ खामी को भी ठीक करने की गुंजाइश है. उन्होंने कहा कि अंग्रेजी मूल्यों से प्रभावित लोगों ने ही भारतीय लोकतंत्र को आयातित समझने की भूल की है. इस भूल का कारण यह रहा कि भारतीय लोकतंत्र को यूनान को नजर से देखने की आदत डाली गई.
यह भी पढ़ें:'ज्ञानवापी ही विश्वनाथ धाम है, इसे मस्जिद कहना दुर्भाग्यपूर्ण'; सीएम योगी का गोरखपुर में बड़ा बयान - CM Yogi Statement on Gyanvapi